खतरे में है भारतीय संविधान, इसे बचाने के लिए मिलकर लड़ना होगा : पी साईनाथ
खतरे में है भारतीय संविधान, इसे बचाने के लिए मिलकर लड़ने का समय आ गया है : पी साईनाथ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम में दौरान रेमन मैग्सेसे से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ( Ramon Magsaysay award winner P Sainath ) ने हिंदू राष्ट्र को लेकर जारी अभियान के बीच बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ( Indian constitution ) के सामने गंभीर खतरा पैदा हो गया है। अब वो समय आ गया है कि लोगों को संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए।
लखनऊ के गोमतीनगर स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध अनुसंधान केंद्र में हुए एक समारोह में बतौरमुख्य अतिथि पी साईंनाथ ( P Sainath ) ये संविधान को खतरे बताकर मोदी सरकार ( Modi government ) पर हमला बोल दिया है। इस मौके पर राजनीतिक टिप्पणीकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद ( Professor Apoorvanand ) भी मौजूद थे।
पी साईंनाथ ( P sainath ) ने कहा कि हर दिन भारतीय संविधान जो देश की आजादी की लड़ाई का सार है, पर हमला हो रहा है। हम किसी भी पार्टी के घोषणा पत्र के मुकाबले भारतीय संविधान के बल पर ज्यादा लोगों को एकजुट कर सकते हैं।
उन्होंने आरएसएस ( RSS ) का नाम लेकर कहा कि पिछले 97 वर्षों से संघ अपने हिंदू राष्ट्र ( Hindu Rashtra ) के अभियान से कभी नहीं टस से मस नहीं हुआ। वो डगमगाया नहीं, बल्कि हिंदू राष्ट्र की जिद पर अड़ा है। आरएसएस अपने उद्देश्य का 70% लक्ष्य हासिल भी कर चुका है। कहने का मतलब यह है कि भारतीय संविधान की रक्षा के लिए सभी राजनीतिक मोर्चों पर लड़ने का समय आ गया है। इसके लिए सबको आगे आने और मिलकर काम करने की जरूरत है।
पी साईंनाथ ने कहा कि दूसरी चीज जो सांप्रदायिक ताकतों के विस्तार को रोक सकती है वो हैं ऐसे राजनीतिक दल जिनकी क्षेत्रीय जड़ें मजबूत हैं और उनकी वहां की भाषा-संस्कृति पर पकड़ है। उन्होंने लालू प्रसाद यादव को इसका एक अच्छा उदाहरण बताया। हम लोग उनका मजाक उड़ाते हैं, लेकिन वह जनता की भाषा बोलते हैं और उनसे जुड़ते हैं। भाजपा वाले उनसे ही सबसे ज्यादा डरते हैं।
हमारा भाईचारा और बंधुत्व एक साजिश : अपूर्वानंद
वहीं डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद ( Professor Apoorvanand ) ने कहा कि कि एक्टिविस्ट, किसान, छात्र, शिक्षाविद, खिलाड़ी, कलाकार, जब वे किसी मुद्दे के समर्थन में खड़े होते हैं या किसी आंदोलन में भाग लेते हैं, तो सवाल उठाया जाता है कि आप इसका हिस्सा क्यों बन रहे हैं। आपका भाईचारा, बंधुत्व एक साजिश दिखता है। इसीलिए रिहाना जैसे गायकों या मार्टिना नवरातिलोवा जैसे खिलाड़ियों ने जब भारतीय किसानों के आंदोलन का समर्थन किया तो उनकी आलोचना की गई और उन्हें 'टूलकिट' साजिश का हिस्सा बताया गया।