वन्यजीवों की रक्षा का मिला इनाम! राजस्थान में खाप पंचायत के फरमान पर तीन परिवारों का हुक्कापानी बंद
जोधपुर. वन्यजीवों के शिकार के खिलाफ आवाज उठाना है राजस्थान के तीन परिवारों को भारी पड़ रहा है। राज्य के जोधपुर जिले में बिलाड़ा में खाप पंचायत के फरमान के बाद तीन परिवारों का हुक्का पानी बंद कर दिया गया है। जिसके बाद 5 जून से इन परिवारों के 16 लोग अपने घरों में ही कैद हो गये हैं। फरमान के कारण न तो कोई दुकानदार इन परिवारों को राशन दे रहा है इसके बाद अब इन परिवार के लोगों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वहीं इस मामले को लेकर जैन मुनि ने सीएम गहलोत को पत्र लिख, कार्रवाई करने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
बिलाड़ा के बाला ग्राम पंचायत में मतवाला की ढाणी, कानावासिया और मानपुरा तीन राजस्व गांव हैं। और गांव, पंचायत समिति को मिलाकर तकरीबन 700 के घर हैं। यहां मतवाला की ढाणी के निवासी पप्पाराम, छोटू सिंह गोदारा और सुरेश ओल का परिवार खाप पंचायत के फरमान के बाद 5 जून से अपने घरों में कैद है। इनकी गलती बस इतनी है कि इन्होंने वन्यजीवों को मारने का विरोध किया है।
Rajasthan: A Khap Panchayat has allegedly imposed a total boycott on 3 families in a village in Bilara area of Jodhpur for raising voice against wildlife hunting
— ANI (@ANI) June 28, 2021
"Bilara SHO is investigating the matter," said Sunil K Pawar, Additional SP, Jodhpur (Rural) yesterday. pic.twitter.com/F5zUhNxMOe
बता दें कि सुरेश विश्नोई जाति से हैं। और कहा जाता है कि विश्नोई जाति हिरण की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर काफी सजग होते हैं। लेकिन इनके गांव में फसलों को वन्यजीवों से बचाने के लिए खेतों में तारबंदी की गई है। इन कटीले तारों में फंसकर कई बार हिरण घायल हो जाते हैं। कई बार तो कुत्ते व अन्य शिकारी इनका शिकार कर लेते हैं। इस तरह की लगातार होती घटनाओं को देख वन विभाग में इसकी शिकायत की गई। इस पूरे मामले में वन विभाग ने सुरेश को सरकारी गवाह बना लिया। लेकिन गांव वालों को यह नागवार गुजर गया, जिसके बाद पंचायत का फरमान सुरेश औऱ उनके परिवार पर किसी आफत की तरह टूट पड़ा। वही इस मामले पर जोधपुर के एडिशनल एसपी सुनील के पवार ने बताया कि बिलाड़ा के एसएचओ पूरे मामले की जांच कर रहे हैं।
बहिष्कार झेल रहे परिवार में दाने के लाले
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के दिन खाप पंचायत की बैठक हुई। इसमें सरपंच नाथूराम ओलक सहित करीब 50 लोग जुटे और पप्पाराम, छोटू सिंह, सुरेश के परिवार के हुक्कापानी बंद करने का फ़रमान जारी किया। साथ ही गांव में यह फरमान जारी किया गया कि किसी ने इस निर्णय की ख़िलाफत की तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। गौर करने वाली बात यह भी है कि इस खाप पंचायत में 40-50 लोग ही शामिल होते हैं। इनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाता है।
5 जून के फरमान के बाद भी कुछ ऐसा ही हुआ है। फरमान जारी होते ही तीनों के परिवारों से लोगों ने दूरी बना ली। आटा-दाल, खाद-बीज, कृषि उपकरण आदि तक के दुकानदारों ने इन परिवारों को कोई भी सामान देने से इनकार कर दिया है। यहां तक कि औजार मरम्मत करने वाले मिस्त्री ने भी इनसे किनारा कर लिया है। पिछले 24 दिनों से तीनों परिवार तिरस्कार झेल रहा है। गांव का कोई भी व्यक्ति ना इन परिवार के सदस्यों से बात करता है, ना किसी तरह का कोई रिश्ता ही रखा है। अब हर छोटी-बड़ी चीज के लिए इन परिवारों को पीपाड़ जाना पड़ता है, जो काफी दूर है।
दूध लेने से भी इनकार
उल्लेखनीय है कि सुरेश के 5, छोटू सिंह के 3 और पप्पाराम के 2 बच्चे हैं। सुरेन्द्र की 13 वर्षीय बेटी और बेटे को 5 जून को उरमूल डेयरी से लौटा दिया गया। इन बच्चों से कहा गया कि तुम्हारे घर का दूध इस डेयरी में नहीं लिया जाएगा। साथ ही बाकायदा पंचायत के फरमान का हवाला भी दिया गया। उधर, उरमूल डेयरी अध्यक्ष ने कहा कि दूध लेने से गांव वालों ने मना कर दिया है। आप सरपंच से कहलवा दो तो हम दूध लेना शुरू कर देंगे। संस्था गांव की है। गांव वाले जो कहेंगे, वैसा होगा। गांव वालों की उपस्थिति में यह निर्णय हुआ है। इसलिए नियम हमको भी मानना पड़ेगा।
सरकारी गवाह बनना पड़ा भारी
पीडित सुरेश ने बताया कि तारबंदी तोड़ने का मेरे खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज हुआ, जबकि तार खेतों में लगे हैं। कंटीली तारबंदी से उलझ कर वन्यजीव व श्वानों का शिकार करते हैं। इसी के खिलाफ आवाज उठाई थी और शिकार के मामले में सरकारी गवाह बना इसकी गाज हम पर गिरी है।
"For last 3-4 years, I have been involved in the protection of wildlife. Many hunters were arrested on my tip-off. Since these hunters are influential, the Khap Panchayat imposed a boycott on my family along with two other families," said a man in Jodhpur's Bala village yesterday pic.twitter.com/I0BA1ReQmq
— ANI (@ANI) June 28, 2021
बहिष्कार झेल रहे शख्स ने कहा कि, "पिछले 3-4 वर्षों से, मैं वन्यजीवों के संरक्षण में लगा हुआ हूं। मेरी सूचना पर कई शिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। चूंकि ये शिकारी प्रभावशाली हैं, इसलिए खाप पंचायत ने मेरे परिवार पर दो अन्य परिवारों के साथ बहिष्कार किया।
जैन मुनि ने सीएम को लिखा पत्र
अब इस पूरे मामले पर जैन मुनि श्रमण डॉक्टर पुष्पेंद्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने खाप पंचायत के तुगलकी फरमान को निरस्त करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वन्यजीवों के प्रति हिंसा को रोकने का इससे बुरा परिणाम अब तक नहीं देखा है। ऐसे में राज्य की सरकार को इन दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए औऱ पीड़ित परिवार तक जल्द से जल्द राहत पहुंचाए। ताकि, भविष्य में कोई भी इस तरह का तुगलकी फरमान जारी ना करें।