रोज झगड़ा करने वाली बहू को सास ससुर निकाल सकते हैं घर से बाहर, ऐसे में कहां रहेगी बहू?
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Delhi High Court : दिल्ली हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि झगड़ालू प्रवृत्ति की बहू को संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है और संपत्ति के मालिक उसे बेदखल कर सकते हैं। बता दें कि यह मामला एक पति पत्नी के बीच झगड़े का था, जिसमें ना चाहते हुए भी 69 साल की सास और 74 साल के ससुर को बीच में आना पड़ा।
क्या है पूरा मामला
पति पत्नी के बीच अक्सर लड़ाई झगड़े होते थे। पति ने पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पत्नी ने भी लोअर कोर्ट में केस दर्ज किया। सास ससुर बेटे बहू के रोजाना झगड़े से परेशान हो गए थे| जिसके बाद बेटा घर छोड़कर किराए के मकान में शिफ्ट हो गया लेकिन बहू अपने बुजुर्ग सास ससुर के खिलाफ खड़ी रही। बहू ससुराल छोड़कर जाना नहीं चाहती थी। वहीं सास ससुर अपनी बहू को घर से निकालना चाहते थे। जिसके लिए ससुर ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी।
घर से निकाल देने के बाद कहां जाएगी बहू
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मौजूदा मामले में बहु जब तक शादी के बंधन में रहेगी उसे घरेलू हिंसा के अधिनियम की धारा 19(1) एफ के तहत दूसरा घर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि अगर बहू का तलाक नहीं हुआ है और सास-ससुर उसे घर से निकाल रहे हैं तो वह बहू के रहने की दूसरी व्यवस्था करेंगे। जिसके जिम्मेदारी ससुराल वालों की होगी।
बहू को किया जा सकता है संपत्ति से बेदखल
दिल्ली हाई कोर्ट के जज योगेश खन्ना ने कहा कि संयुक्त परिवार के घर के मामले में संबंधित संपत्ति के मालिक बहू को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। हालांकि, एक पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि घरेलू हिंसा से पीड़ित पत्नी को पति के माता-पिता के घर में सिर्फ रहने का कानूनी हक है लेकिन पति के बनाएं घर पर पत्नी का अधिकार होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह सुनाया था फैसला
बता दें कि इस मामले में सुनवाई का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने बहु की अपील को खारिज कर दिया था और सास-ससुर के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। कोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग सास-ससुर को शांति भी जीने का हक है। वह अपने सुकून के लिए घर से बाहर बहू को निकाल सकते हैं। संयुक्त परिवार में संपत्ति के मालिक बहू को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं।
बता दें कि जब बहू ने प्रॉपर्टी पर दावा किया था, तब ससुर ने साल 2016 में लोअर कोर्ट में अपने घर के कब्जे के लिए एक मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसके अनुसार वह संपत्ति के पूरे मालिक हैं और उनका बेटा बहू किसी दूसरी जगह पर रहने लगे हैं। वही दोनों बुजुर्ग अपनी बहू के साथ नहीं रहना चाहते हैं क्योंकि बहू रोज लड़ाई करती है। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा-19 के तहत आवास का अधिकार संयुक्त परिवार में रहने का एक जरूरी अधिकार नहीं है। खासतौर उन मामलों में जहां एक बहू अपने बुजुर्ग सास ससुर के खिलाफ खड़ी हो।