Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Sudha Bhardwaj : एल्गार परिषद केस में बीते तीन सालों से जेल में बंद सुधा भारद्वाज रिहा

Janjwar Desk
9 Dec 2021 7:37 AM GMT
Sudha Bhardwaj  : एल्गार परिषद केस में बीते तीन सालों से जेल में बंद सुधा भारद्वाज रिहा
x
Sudha Bhardwaj : एल्गार परिषद केस में बीते तीन सालों से जेल में बंद सुधा भारद्वाज रिहा हो गई हैं....

Sudha Bhardwaj : भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद केस में बीते तीन सालों से जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता व अधिवक्ता सुधा भारद्वाज गुरुवार को रिहा हो गई हैं। बुधवार को स्पेशल एनआईए कोर्ट ने उन्हें तीन महीने के भीतर पचास हजार रुपये की नकद जमानत और एक व्यक्तिगत बांड के निर्देश पर रिहा करने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने रिहाई के बाद की उनकी तस्वीर ट्विटर पर साझा की है।

अदालत ने उनके जमानत आदेश में 16 शर्तें भी सूचीबद्ध की हैं, जिनमें से कुछ ये हैं -

- वह बॉम्बे कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में रहेंगी और कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं जाएंगी।

- वह कोर्ट और एनआईए को तुरंत मुंबई में अपने निवास स्थान और अपने संपर्क नंबरों के बारे में सूचित करेंगी। भारद्वाज को अपने साथ रहने वाले अपने रिश्तेदारों के संपर्क नंबर भी देने होंगे।

- वह दस्तावेजी प्रमाण के साथ कम से कम तीन रक्त संबंधियों की सूची उनके विस्तृत आवासीय और कार्य पते के साथ प्रस्तुत करेगी।

- जमानत के दौरान अगर वह आवासीय पता बदलती हैं तो उन्हें एनआईए और अदालत को सूचित करना होगा।

- उन्हें पहचान प्रमाण (Identity Proofs) पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, बिजली बिल, वोटर कार्ड में से किन्हीं दो की प्रतियां जमा करनी होगी।

- इन दस्तावेजों को जमा करने के बाद एनआईए उसके आवासीय पते का फिजिकली या वर्चुअली वेरिफिकेशन करेगी और अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करेगी।

- वह मुकदमे की कार्यवाही में भाग लेंगी और यह देखेंगी कि उसकी अनुपस्थिति के कारण सुनवाई लंबी न हो।

- वह हर पखवाड़े व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए नजदीकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करेंगी।

- वह किसी भी प्रकार के मीडिया - प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल के समक्ष अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही के संबंध में कोई बयान नहीं देंगी।

- वह उन गतिविधियों की तरह किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जिसके आधार पर उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत अपराधों के लिए वर्तमान प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

- वह सह-आरोपी या समान गतिविधियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल किसी अन्य व्यक्ति के साथ संचार स्थापित करने का प्रयास नहीं करेगी या समान गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को कोई अंतरराष्ट्रीय कॉल नहीं करेंगी।

- वह ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करेगी जो न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही के खिलाफ हों।

सोशल मीडिया पर सुधा भारद्वाज की रिहाई की खूब चर्चा हो रही है। नीचें पढ़ें रिहाई पर प्रतिक्रियाएं -

डॉ. पूजा त्रिपाठी लिखती हैं- वह मुस्कान जो राज्य की ताकत के खिलाफ खड़ी थी! वापसी पर स्वागत है।

लेखक और ब्लॉगर हंसराज मीणा ने अपने ट्वीट में लिखा वापसी पर स्वागत है सुधा भारद्वाज।

अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला लिखती हैं- सुधा जी रिहा। ये मुस्कान ही जवाब है तुम्हारे ज़ुल्मो का।

पत्रकार अजीत सिंह लिखते हैं- आईआईटी से पढ़ने के बाद कितने लोग ऐशोआराम की जिंदगी छोड़कर मजदूर और आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ते हैं। इससे बड़ी देश सेवा क्या होगी? सुधा भारद्वाज ने यह रास्ता चुना और सत्ता पर सवाल उठाने की कीमत तीन साल जेल में रहकर गुजरी। उनके संघर्ष को सलाम!

ऑल इंडिया स्टुडेंट एसोसिएशन ने अपने ट्वीट में लिखा- लोगों के न्याय के लिए लगातार लड़ने के बाद 3 साल के गलत कारावास के बाद सुधा भारद्वाज भायखला जेल से रिहा हो गईं। उनके जज्बे और लड़ाई को क्रांतिकारी सलाम! आइए एकजुट हों और सभी राजनीतिक बंदियों की तत्काल रिहाई के लिए अपनी लड़ाई जारी रखें।


Next Story

विविध