तालिबान ने ट्रांजिट रूट पर कार्गो की सप्लाई बंद की, FICCI ने भारतीय प्रोजेक्ट्स को लेकर जताई चिंता
तालिबान ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान ट्रांजिट रूट पर कार्गो बंद कर दी है
जनज्वार। अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से कई तरह की खबरें निकलकर सामने आ रहीं हैं। तालिबान के कब्जे के बाद वहां के स्थानीय लोगों के बीच मची अफरातफरी से लेकर सड़कों और हवाई अड्डों पर भागमभाग तक की खबरें लगातार सामने आ रहीं हैं। यह आशंका भी सामने आ रही है कि तालिबान शासक देश को कैसे चलाएंगे और अन्य देशों पर उनकी सत्ता का क्या प्रभाव पड़ेगा।
इस बीच खबर है कि सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान ने अफ़ग़ान-पाकिस्तान लैंड ट्रांजिट रूट पर कार्गो की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी है, जिसके कारण अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान ट्रांजिट रूट के ज़रिये भारत पहुंचने वाला सामानों का आयात रुक गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उद्योग संघ फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI)ने कहा है कि अफगानिस्तान में भारतीय कंपनियों के 400 से ज्यादा प्रोजेक्ट चल रहे हैं। भारत ने जो 3 अरब डॉलर का निवेश वहां किया है, उसको सुरक्षित करने के लिए सरकार को जल्दी पहल करनी होगी। फिक्की का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय कंपनियों के 400 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स और अरबों डॉलर निवेश के भविष्य पर तालिबान के कब्जे से प्रश्नचिन्ह लग गया है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट्स आर्गेनाइजेशन के CEO अजय सहाय के हवाले से कहा गया है कि भारत अपनी ज़रुरत का लगभग 85 फीसदी ड्राई फ्रूट्स अफ़ग़ानिस्तान से आयात करता है और इनकी सप्लाई रुकने से भारत में ड्राई फ्रूट्स महंगे हो सकते हैं। इसके मुताबिक, साल 2020-21 में भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच कुल व्यवसाय 1.35 अरब डॉलर का था।
फिक्की के सेक्रेटरी जनरल दिलीप चेनॉय ने NDTV से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान में भारतीय निवेश को सुरक्षित रखने के लिए सरकार को वहां बनने वाली नई सरकार से बातचीत करनी होगी। उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में भारतीय कंपनियों के 400 से ज्यादा प्रोजेक्ट चल रहे हैं। भारत की ओर से तीन अरब डॉलर का निवेश जो अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में है, उसे कैसे सुरक्षित रखा जाए यह बेहद महत्वपूर्ण है। कुछ प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिन पर अभी काम चल रहा है। इन प्रोजेक्ट को कैसे पूरा किया जाए और जो प्रोजेक्ट तैयार हो चुके हैं उन्हें कैसे जारी रखा जाए, इसके लिए नई रणनीति बनानी होगी।"