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यू-ट्यूबर को हुई 6 महीने की जेल, न्यायालय में उच्च पदों बैठे लोगों को भ्रष्टाचार के लिए बताया था जिम्मेदार

Janjwar Desk
16 Sep 2022 8:40 AM GMT
यू-ट्यूबर को हुई 6 महीने की जेल, न्यायालय में उच्च पदों बैठे लोगों को भ्रष्टाचार के लिए बताया था जिम्मेदार
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यू-ट्यूबर को हुई 6 महीने की जेल, न्यायालय में उच्च पदों बैठे लोगों को भ्रष्टाचार के लिए बताया था जिम्मेदार

यू-ट्यूबर सवुक्कू शंकर ( You Tuber Savukku Shankar ) ने अवमानना की कार्यवाही शुरू होने के बाद अदालत ( Madras High Court ) से कहा था कि वो अपनी टिप्पणी पर आज भी कायम हैं।

नई दिल्ली। मद्रास उच्च न्यायालय ( Madras high Court ) की मदुरई पीठ ने गुरुवार को यू-ट्यूबर और ब्लॉगर के रूप लोकप्रिय सवुक्कू शंकर ( You Tuber Savukku Shankar ) को उच्च न्यायपालिका के खिलाफ उनके द्वारा की गई कथित विवादित टिप्पणी के लिए 6 माह जेल की सजा सुनाई है। इसके पहले कोर्ट ने यू-ट्यूबर और ब्लॉगर सवुक्कू शंकर को अपना रखने का मौका दिया था। साथ ही इंटरव्यू की कॉपी भी मुहैया कराई थी। इसके बाद भी अपने स्टैंड पर कायम रहने के बाद हाईकोर्ट ने यू-ट्यूबर शंकर के खिलाफ आरोप तय किए और छह महीने की जेल की सजा सुनाई।

सवुक्कू शंकर अपने स्टैंड पर कायम

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ ने 22 जुलाई को सवुक्कू शंकर ( You Tuber Savukku Shankar ) की टिप्पणी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए ये कार्रवाई की है। हाईकोर्ट ने न्यायपालिका के उच्च पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ कथित विवादास्पद टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी। सवुक्कू शंकर ने अवमानना की कार्यवाही शुरू होने के बाद कहा था कि वो अपनी टिप्पणी पर आज भी कायम हैं।

अदालत ने पूछा था - न्यायपालिका को बदनाम करने का दोषी क्यों न माना जाए

चेन्नई हाईकोर्ट ( Madras high Court ) की मदुरई पीठ के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और बी पुगलेंधी ने आरोप तय किए और यू्टयूबर शंकर ( You Tuber Savukku Shankar ) से एक सप्ताह के अंदर ये बताने के लिए कहा था कि उन्हें सार्वजनिक डोमेन में बयान देकर न्यायपालिका को बदनाम करने का दोषी क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उन्होंने अदालत से कहा कि वह तब तक स्पष्टीकरण नहीं देंगे जब तक कि उन्हें यू-ट्यूब चैनल को दिए गए साक्षात्कार की प्रतिलिपि नहीं दी जाती।

मदुरई पीठ ( Madras high Court ) के न्यायाधीशों ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उन्होंने साक्षात्कार में क्या कहा था, क्योंकि उन्होंने कहा था कि वह अपनी बात पर कायम हैं। उन्होंने ने जवाब दिया था कि बयान एक निश्चित संदर्भ में दिए गए थे और उन्हें सब कुछ याद नहीं था। इसके बाद उन्हें प्रतिलेख की एक प्रति प्रदान की गई।

शंकर अपनी भूल को स्वीकार करने को तैयार नहीं

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई पीछ ने अपने फैसले में बताया है कि सवुक्कू शंकर तमिलनाडु सरकार का निलंबित कर्मचारी है। उन्हें पिछले 13 साल से गुजारा भत्ता मिल रहा है। इसलिए उनका आचरण सरकारी कामकाज के अनुरूप होना चाहिए। इसके उलट वह सरकार के तीनों अंगों पर शातिर तरीके से बदनाम करने के काम में लगे हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वह किसी भी संस्थान को बेवजह बदनाम करने का काम कर सकते हैं। उन्हें जिन अवमानना के मामले में सजा सुनाई गई है, उसमें ऐसा भी नहीं है कि उनके मुंह से गलती से बात निकल गई। यह जुबान से फिसली नहीं थी। इस बात को सवुक्कू शंकर खुद स्वीकार करते हैं। वह लगभग 13 वर्षों से इस क्षेत्र में हैं।

बता दें कि सवुक्कू शंकर तमिल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक जाना-पहचाना चेहरा हैं। विभिन्न सोशल मीडिया नेटवर्क पर सह सक्रिय हैं और उनके हजारों अनुयायी हैं। न्यायपालिका सहित हर प्रतिष्ठान को बदनाम करने का प्रयास करते हैं। उन्हें विभाग से तत्कालीन डीएमके मंत्री का एक ऑडियो टेप लीक करने के आरोप में एक दशक से भी अधिक समय पहले सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय द्वारा निलंबित हैं। उनके द्वारा वीडियो लीक करने की वजह से मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

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