Tripura Communal Violence की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों के खिलाफ UAPA से हैरान हैं - एडिटर्स गिल्ड
(त्रिपुरा हिंसा : घटनास्थल पर सुप्रीम कोर्ट के चार वकीलों की फैक्ट फाइंडिंग टीम। फोटो : सोशल मीडिया )
Tripura Communal Violence। मस्जिदों पर हुए कथित हमलों के मामले में त्रिपुरा पुलिस (Tripura Police) ने पत्रकारों समेत 102 लोगों के खिलाफ यूएपीए (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है। वहीं इस मामले पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editor Guild Of India) की ओर से बयान सामने आया है। एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि वह उन लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई से हैरान है जो राज्य में हालिया सांप्रदायिक हिंसा और रिपोर्टिंग और लेखन कर रहे थे।
एडिटर्स गिल्ड (EGI) की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि पुलिस ने दिल्ली के उन कुछ वकीलों के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप दायर किए थे जो सांप्रदायिक हिंसा के मामले में एक स्वतंत्र तथ्य खोजने वाले जांच आयोग के हिस्से के रूप में त्रिपुरा गए थे। उसके कुछ दिन बाद यह डिवलपमेंट सामने आया है। पत्रकारों में से एक श्याम मीरा सिंह (Shyam Meera Singh) ने आरोप लगाया है कि केवल 'त्रिपुरा इज बर्निंग' (त्रिपुरा जल रहा है) ट्वीट करने पर उनके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह एक बेहद परेशान करने वाला ट्रेंड है, जहां इस तरह के कठोर कानून, जिसमें जांच और जमानत आवेदनों की प्रक्रिया बेहद कठोर और कठिन है, का इस्तेमाल केवल सांप्रदायिक हिंसा की रिपोर्ट करने और विरोध करने पर किया जा रहा है।
The Editors Guild of India is deeply shocked by the Tripura Police's action of booking 102 people, including journalists, under the coercive Unlawful Activities (Prevention) Act, for reporting and writing on the recent communal violence in the state. pic.twitter.com/bkDssiqOXK
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) November 7, 2021
बयान में आरोप लगाया गया है कि यह कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा बहुसंख्यक हिंसा को नियंत्रित करने में अपनी विफलता से ध्यान हटान का प्रयास है। एडिटर्स गिल्ड ने मांग की कि पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं को दंडित करने के बजाय दंगों की परिस्थितियों की स्वतंत्रत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट से यूएपीए जैसे कड़े कानूनों का संज्ञान लेने की अपनी उस मांग को भी दोहराया जिसमें कहा गया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ इसे (यूएपीए कानून) अनुचित रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
त्रिपुरा पुलिस ने 102 सोशल मीडिया हैंडल के खिलाफ यूएपीए लागू किया है और राज्य में मस्जिदों पर कथित हमलों और हिंसक झड़पों के बारे में 'आपत्तिजनक समाचार / बयान' फैलाने के लिए उन्हें ब्लॉक करने के लिए भी कहा है।
पुलिस ने उन ट्वीटर अकाउंट्स को इस्तेमाल करने वालों या पोस्ट शेयर करने वालों के बारे में जानकारी मांगी है जिनके बारे में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने फेक तस्वीरें और बयान ऑनलाइन पोस्ट किए थे जिनमें सांप्रदायिक तनाव भड़काने की क्षमता थी।