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यूपी का पेपरलेस बजट आने के बाद Twitter पर ट्रेंड हुआ 'Modi_Rojgar_Do' और 'मोदी मतलब देश चौपट'
जनज्वार ब्यूरो। 22 फरवरी को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया है। प्रदेश में पहली बार पेपरलेस बजट पेश होने से तमाम भाजपा के नेता गदगद नजर आ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने 5.50 लाख करोड़ रूपये से अधिक का बजट पेश किया है। योगी सरकार के कार्यकाल का कल आया यह आखिरी बजट इसलिए भी अहम था, क्योंकि 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं।
बजट पेपरलेस हो जाने से अब यह भी नहीं कहा जा सकता कि यह कागजी है। योगी और उनके मंत्रियों ने अपने मुताबिक डूबती अर्थव्यवस्था के बीच प्रदेश की जनता को बहुत कुछ दे दिया है, ऐसा उनके लोग मान सकते हैं। गोदी मीडिया दिन और रात एंगल घुमा-घुमाकर मोदी-योगी के सम्मान में बखान दर बखान दिखा बता रहा होगा। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी, भुखमरी, मंहगाई, भ्रष्टाचार जैसे तमाम ऐसे मुद्दे मामले हैं, जो लोगों को कचोट रहे हैं।
This is what Modiji is doing ..
— Deepak Gautam (@deepakgautam163) February 24, 2021
Forcefully silencing the youths.#मोदी_मतलब_देश_चौपट#modi_rojgaar_दो pic.twitter.com/Yuq3DEt4gE
बता दें कि 2019 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों में भी बेरोजगारी में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर बताया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2018 में खत्म तिमाही में यूपी में सबसे ज्यादा करीब 15.8 फीसदी की दर से बोरोजगारी दर्ज की गई थी। ये आंकड़े मई 2019 के आखिर में जारी किए गए थे। योगी सरकार के श्रम व सेवा नियोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते सेल विधानसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि श्रम मंत्रालय की ओर से संचालित ऑनलाइन पोर्टल पर 7 फरवरी 2020 तक करीब 33.93 लाख बेरोजगार रजिस्टर्ड हुए हैं। स्वामी प्रसाद ने ही जून 2018 तक उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 21.39 लाख बताई थी। इन आंकड़ों के मुताबिक यूपी में 12 लाख से अधिक युवा पिछले दो साल में खुद को बेरोजगार के तौर पर रजिस्टर्ड करा चुके हैं।
#मोदी_मतलब_देश_चौपट
— Jitendra Agrawal (@jeet_2601) February 24, 2021
Unemployment at the peak in 45 years#modi_rojgaar_दो#मोदी_मतलब_देश_चौपट pic.twitter.com/YC7rsqTBdX
बता दें कि यूपी में बेरोजगारी का ये आलम है कि फोर्थ क्लास नौकरी के लिए पीएचडी व एमबीए स्टूडेंट्स अक्सर अप्लाई करते हुए देखे जा सकते हैं। यूपी ही नहीं पूरे देश में रोजगार का संकट दिन-ब-दिन विकराल होता जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र सीएमआईई की 2 मार्च 2020 को जारी की गई ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी महीने में देश में बेरोजगारी की दर बढ़कर 7.78 प्रतिशत हो गई है, जो जनवरी 2020 में 7.16 प्रतिशत थी। पिछले चार महीने में यानी अक्टूबर, 2019 के बाद यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है। जो दर्शाता है कि देश में बेरोजगारी का गंभीर संकट न सिर्फ बरकरार है बल्कि और बढ़ गया है।
इसके अलावा सीएमआईई की पिछले सितंबर से दिसंबर 2019 के चार महीनों की क्वार्टर रिपोर्ट भी दर्शाती है कि देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.5 फीसदी पहुंच गई है। यही नहीं, देश में शिक्षित लोगों के बीच बेरोजगारी बड़ा विकराल रूप धारण करती जा रही है, उच्च शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच गई है। संयुक्त राष्ट्र की 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, जहां 35.6 करोड़ आबादी युवाओं की है। किसी भी देश की तरक्की काफी हद तक वहां के युवाओं को मिलने वाले रोजगार पर निर्भर करती है। लेकिन अगर युवाओं को पर्याप्त रोजगार न मिले तो उनके न सिर्फ सपने टूटते हैं बल्कि अवसाद के कारण उनके गलत कदम उठाने की ओर बढ़ने की संभावना भी रहती हैऔर इसके भयंकर परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
#मोदी_मतलब_देश_चौपट
— Ravi Verma (@MrVermaclick) February 24, 2021
Modi Govt is in Silent zone in regards to Youth Jobs, Farmer Protest, Fuel Price Hike.
But The only place where it is active is in Elections. There they are putting complete strength and labour, and spreading hatred.#modi_rojgaar_दो pic.twitter.com/iIQucY39Ko
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट इस बात की पुष्टि भी करती है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में किसानों से ज्यादा बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या की है। जो अपने आप में एक शर्मनाक रिकॉर्ड है। साल 2018 में 12,936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या की थी। जबकि साल 2018 में 10,349 किसानों ने खुदकुशी की थी। इससे पता चलता है कि देश में बेरोजगारों के अंदर हताशा का आलम कितना गहराता जा रहा है।
युवाओं के रोजगार को 2014 आम चुनावों में प्रमुख मुद्दा बनाने वाली भाजपा सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन रोजगार के मुद्दे पर वह पूरी तरह अफसल और बेबस नजर आ रही है। बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान हर साल दो करोड़ से अधिक रोजगार देने का वादा किया था लेकिन हकीकत यही है कि मोदी सरकार आने के बाद देश में रोजगार का हाल और ज्यादा खराब हुआ है। युवाओं को दो करोड़ रोजगार मिलने की बात तो दूर देश में आर्थिक मंदी आने से लोगों को अपनी लगी नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है। ओटोमोबाइल सेक्टर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।