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उत्तर प्रदेश

DDU News Today: भ्रष्टाचार के आरोपी VC राजेश सिंह के खिलाफ उबाल, बर्खास्तगी की मांग को लेकर शिक्षक ने किया सत्याग्रह का एलान

Janjwar Desk
21 Dec 2021 7:50 AM GMT
DDU News Today: भ्रष्टाचार के आरोपी VC राजेश सिंह के खिलाफ उबाल, बर्खास्तगी की मांग को लेकर शिक्षक ने किया सत्याग्रह का एलान
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DDU गोरखपुर में नैक ग्रेडिंग के लिए हजारों फेक ID बनाने का कुलपति प्रो. राजेश सिंह पर बड़ा आरोप, विवि प्रशासन ने दी सफाई

DDU News Today: उच्च शिक्षा में भ्रष्टाचार मानो शिष्टाचार में तब्दील होते जा रहा है। बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार के कई कारनामों को अंजाम देने का जिस कुलपति पर आरोप लगे,उसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर विश्वविद्यालय की कमान सौंप दी गई।

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

DDU News Today: उच्च शिक्षा में भ्रष्टाचार मानो शिष्टाचार में तब्दील होते जा रहा है। बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार के कई कारनामों को अंजाम देने का जिस कुलपति पर आरोप लगे,उसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर विश्वविद्यालय की कमान सौंप दी गई। दोनों राज्यों की हुकूमत को ऐसा लग रहा है कि जैसे इन कारनामों की भनक तक नहीं लगी। आखिरकार गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोध छात्रों ने जहां मोर्चा खोला वहीं एक शिक्षक ने तो कुलपति के बर्खास्तगी तक सत्याग्रह की राह पकड़ ली है।उधर पूर्णिया विश्वविद्यालय के छात्र कुलपति राजेश सिंह के कार्यकाल में हुई अनियमितता की जांच को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय विभिन्न कारणों से लगातार सुर्खियों में रहा है। यहां होनेवाली हर अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर कुछ भी न होने से सीएम तक पर उंगलियां उठना लाजमी है। योगी आदित्यनाथ का ऐसे दागदार छवि वाले कुलपति से भले कोई नाता हो या न हो पर उनका आरोपों से घिरना स्वाभाविक है। डीडीयू गोरखपुर के कुलपति राजेश सिंह पर विश्वविद्यालय में प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं, अधिनियम, परिनियम, अध्यादेशों, शासनादेशों के लगातार उल्लंघन, कुलपति पद में निहित शक्तियों के घोर दुरुपयोग और गैरलोकतांत्रिक कार्यशैली अपनाने का आरोप है। इससे प्रभावित होनेवाले छात्र से लेकर शिक्षक आए दिन अपना प्रतिरोध जताते रहे हैं। विश्वविद्यालय गेट पर शोध छात्रों का लंबे समय तक धरना जारी रहा। जिसकी सुनवाई करने के बजाए विश्वविद्यालय प्रशासन दीक्षांत समारोह के आयोजन में व्यस्त रहा। उधर हाल यह है कि पूर्व में बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए प्रो राजेश सिंह ने कई अनियमितता की।जिसकी शिकायत करते हुए यहां के छात्र लंबे समय से आंदोलनरत हैं।

बर्खास्तगी की मांग को लेकर शिक्षक ने किया सत्याग्रह का एलान

दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश ने कुलपति प्रो. राजेश सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए 21 दिसम्बर से विवि स्थित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के नीचे सत्याग्रह करने का एलान कर दिया है। उनका कहना है कि प्रो. राजेश सिंह का कुलपति पद पर बने रहना विश्वविद्यालय हित में नहीं है। प्रो. राजेश सिंह को कुलपति पद से हटाए जाने तक मेरा सत्याग्रह जारी रहेगा। वर्तमान परिस्थितियों में विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय परिवार को बचाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। प्रो. राजेश सिंह को विश्वविद्यालय के कुलपति पद से तत्काल हटाने तथा उनके कार्यकाल में हुई विश्वविद्यालय की समस्त आय और व्यय की जांच की मांग करता हूं। जब तक मेरी मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक मैं अपने विश्वविद्यालय के 'प्रशासनिक भवन में अवस्थित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष सत्याग्रह करता रहूंगा,' क्योंकि प्रो. राजेश का एक दिन भी कुलपति के पद पर बने रहना विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालय परिवार के हित में नहीं है।

प्रो. कमलेश गुप्त ने इसके पूर्व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल को संबोधित पत्र लिखा, जिसमंे कहा है कि मैंने आवश्यक कार्यवाही के लिए कुलपति के खिलाफ शिकायत शपथ पत्र और साक्ष्यों सहित आपको 25 अक्तूबर को भेजा था। उसमें विश्वविद्यालय की प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं, अधिनियम, परिनियम, अध्यादेशों, शासनादेशों के लगातार उल्लंघन, कुलपति पद में निहित शक्तियों के घोर दुरुपयोग और गैरलोकतांत्रिक कार्यशैली के विरुद्ध आपको संबोधित पत्र में कई बार साक्ष्यों सहित प्रेषित किया।

उप्र विश्वविद्यालय आवासीय महासंघ के अध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र कहते हैं कि कोई यदि कुछ भी गंभीर आरोप लगाता है तो इसकी प्रारंभिक जांच कुलाधिपति को कराना चाहिए। तटस्थ जांच नहीं होगी तो सच्चाई क्या है, इसका पता कैसे चलेगा। कुलपति को हटाने के लिए शिक्षक संघ ने पहले आंदोलन किए हैं। किसी शिक्षक ने पहली बार सत्याग्रह की घोषणा की है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों को लगता हो कि प्रो. कमलेश गुप्त के आरोपों का कुछ ठोस आधार है तो उन्हें साथ देना चाहिए। यह शिक्षकों के साहस और विवेक का मामला है।

अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के उत्तर प्रदेश-उतराखंड के जोनल सेक्रेटरी व गुआक्टा(गोरखपुर विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ) के पूर्व अध्यक्ष डा राजेश मिश्र कहते हैं कि विश्वविद्यालय व शिक्षकों के हित में जारी लड़ाई का सभी को साथ देना चाहिए। यह उच्च शिक्षण संस्थानों को बचाने की लड़ाई है। इसके लिए हम सभी शिक्षक साथ खड़े हैैं। उधर राजकीय महिला महाविद्यालय गाजीपुर के हिन्दी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर निरंजन कुमार यादव ने कहा कि यह मामला मुख्यमंत्री के शहर का है। कम से कम उन्हें तो इसका संज्ञान लेना चाहिए। ईमानदार आदमी भी यदि संदेह के घेरे में आता है तो उसकी जांच कराने में कोई हर्ज नहीं है। प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने जिस साहस के साथ सत्याग्रह का निर्णय लिया है,वह रीढ़विहीन आचार्यों के लिए एक सबक है।

बिहार के सीएम के जनता दरबार में शिकायत, पूर्णिया में छात्रों का प्रदर्शन

हाल ही में मुख्यमंत्री जनता दरबार में पूर्णिया विवि में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायत पहुंची। शिकायत लेकर विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के संस्थापक आलोक राज पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष पूर्णिया विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार के संदर्भ में शिकायत की। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता पूर्वक लेते हुए इस मामले को शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के पास भेज दिया। आलोक राज ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने आवेदन को पढ़ा और कहा कि किसी भी परिस्थिति में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा। जल्द ही भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर कार्रवाई होगी। शिक्षा मंत्री ने भी आश्चर्य प्रकट किया कि जहां पर प्रयोगशाला नहीं वहां पर प्रायोगिक विषय की पढ़ाई किस तरह शुरू कर दी गई है। पूर्णिया विश्वविद्यालय के पास अपना कैश बुक तक नहीं है, तो उन्हें यह सुनकर आश्चर्य हो गया। उन्होंने आगे बताया कि राज्य सरकार की मान्यता के बिना ही पूर्णिया विश्वविद्यालय में पीजी, एलएलएम, एमबीए व पीएचडी पाठ्यक्रमों का अवैध तरीके से पढ़ाई शुरू कर दी गई। पूर्व कुलपति प्रो.राजेश सिंह विश्वविद्यालय अधिनियम को दरकिनार करते हुए घोटाले व भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। पूर्व वीसी प्रो. राजेश सिंह के कार्यकाल 2018 में 11 लाख उत्तरपुस्तिका की खरीदारी कई गुणा अधिक दर पर नियम कानून को दरकिनार कर बिना निविदा के दो एंजेसियों से क्रय की गई। पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्थापना से लेकर अभी तक जितनी भी निविदा हुई है। वह नियम संगत नहीं की गई है। बिहार के लोकायुक्त के आदेश पर विश्वविद्यालय में आकर जाँच भी की है। रिपोर्ट में पूर्णिया विश्वविद्यालय में हुए व्यापक भ्रष्टाचार की बात कही है। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि कोई भी गलत काम बर्दाश्त नहीं होगा। वहीं इसमें संलिप्त लोग बख्शे नहीं जाएंगे। उधर पूर्णिया विश्वविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता, वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभाविप द्वारा रैली निकाल विश्वविद्यालय के समक्ष हुंकार प्रदर्शन किया गया।संगठन के विश्वविद्यालय इकाई के सदस्य थाना चौक स्थित विश्वविद्यालय कार्यालय से रैली निकालकर रंगभूमि चौक होते हुए पूर्णिया विश्वविद्यालय मुख्यालय पहुंचा।

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