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उत्तर प्रदेश

DDU News Today: शुरू से ही विवादों में रहा प्री पीएचडी प्रोग्राम, हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई

Janjwar Desk
10 Jan 2022 11:29 AM IST
DDU News Today: DDU कुलपति आवास मरम्मत में सरकारी धन के दुरूपयोग का आरोप,जनसूचना के तहत मिले अधूरे जवाब
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DDU News Today: DDU कुलपति आवास मरम्मत में सरकारी धन के दुरूपयोग का आरोप,जनसूचना के तहत मिले अधूरे जवाब

DDU News Today: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में प्री पीएचडी प्रोग्राम शुरू होने के साथ ही यह विवादों में रहा है।पहले प्रवेश के समय शिक्षक अवकाश लेकर शोध करेगा या बिना अवकाश लिये इस सवाल पर कोई स्पष्ट मार्गदर्शन न होने से अधिकांश छात्रों का नामांकन प्रभावित हो गया

DDU News Today: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में प्री पीएचडी प्रोग्राम शुरू होने के साथ ही यह विवादों में रहा है।पहले प्रवेश के समय शिक्षक अवकाश लेकर शोध करेगा या बिना अवकाश लिये इस सवाल पर कोई स्पष्ट मार्गदर्शन न होने से अधिकांश छात्रों का नामांकन प्रभावित हो गया। इसके ढाई वर्ष बाद परीक्षा कराने को लेकर लंबा आंदोलन चला। अब परीक्षा शुरू हुई तो प्रश्न पत्रों को लेकर विवाद हो गया। जिससे परीक्षा परीणाम को लेकर अभी से ही सवाल उठने लगे हैं।

विश्वविद्यालय ने वर्ष 2019 में शोध पात्रता परीक्षा के लिए आनलाइन आवेदन मांगा। जिसमें शिक्षक अभ्यर्थियों के संबंध में कोई स्पष्ट दिशानिर्देश यह नहीं था कि शिक्षक अवकाश लेकर शोध करेगा या बिना अवकाश लिये। ऐसे में नामांकन के दौरान मनमौजी आदेश व अपने अनुसार विभागाध्यक्षों द्वारा नियमों की व्याख्या की जाने लगी। इस क्रम में सबसे बड़ा विवाद उलझा अभ्यर्थी आदित्य नारायण क्षितिजेश के मामले में। क्षितिजेश ने शिक्षाशास्त्र विषय में नामांकन के लिए परीक्षा दी। परीक्षा परिणाम आने पर सामान्य संवर्ग की मुख्य सूची में 13वें स्थान पर रहे। चयनित शिक्षक आदित्य नारायण क्षितिजेश से प्रवेश के समय विभागाध्यक्ष ने मौखिक रूप से अवकाश संबंधी हलफनामा मांगा। जिसे 9 अगस्त .2019 तक देने को कहा गया। जबकि आवेदन की विवरणिका तथा शोध अध्यादेश - 2018 में शिक्षक को शोध के लिए अवकाश लेने के संबंध में कहीं कोई उल्लेख नहीं था। इसके बावजूद भी चयनित शिक्षक ने शोध अध्यादेश - 2018 के तहत न्यूनतम अवकाश संबंधी हलफनामा दिया। हलफनामा दिये जाने बावजूद टालमाटोल किया जाता रहा। उधर विभाग ने 4 शिक्षक तथा 33 अन्य अभ्यर्थियों के नाम की सूची को स्वीकृति प्रदान करते हुए शुल्क जमा करने का निर्देश दिया।

विश्वविद्यालय के शोध अध्यादेश - 2018 में शिक्षकों को शोध करने के लिए अवकाश लेना होगा यह कहीं उल्लिखित नहीं होने के कारण प्रवेश समिति से लेकर विद्या परिषद,कार्य परिषद समेत विभिन्न कमेटियों में प्रकरण लंबित होते रहा। लिहाजा विश्वविद्यालय प्रशासन की हठधर्मिता से क्षुब्ध होकर अंत में माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में याचिका दाखिल की। जिसकी सुनवाई 13 अगस्त .2021 से चल रही है। माननीय उच्च न्ययालय ने 10 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया तथा इसी दौरान बहस पूरी करने को कहा है। उधर हाल यह है कि आदित्य के अलावा अन्य कई छात्रों का नामांकन शोध अध्यादेश - 2018 में अवकाश के संबंध में स्पष्ट व्याख्या न होने से प्रभावित हो रहा है।

उधर नामांकित छात्रों का कोरोना के संक्रमण के कारण न पढ़ाई पूरी हुई व न ही परीक्षा। इस बीच अन्य कक्षाओं की तरह प्री पीएचडी के छात्रों को भी प्रमोट कर देने की बात सामने आई।लेकिन इस पर अमल न होेने से नाराज छात्रों ने डेढ़ माह तक विश्वविद्यालय गेट पर धरना दिया। आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन के हस्तक्षेप पर आंदोलन इस शर्त के साथ समाप्त हुआ कि जितने पाठयक्रम पढ़ाए गए हैं,उन्हीं से प्रश्न पूछे जाएंगे। हालांकि अब 7 जनवरी को प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा हुई तो पेपर देखकर छात्र भड़क गए और कई छात्रों ने कापियां फाड़ते हुए हंगामा किया तथा परीक्षा का बहिष्कार कर दिया। जिस पर सत्रह छात्रों के खिलाफ नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन ने मुकदमा दर्ज करा दिया। एक बार फिर 9 जनवरी को जब द्वितीय प्रश्न पत्र की परीक्षा हुई तो इसमें कुछ छात्रों ने परीक्षा के प्रश्न पत्र को लेकर अपनी नाराजगी जताई।

शिक्षकों पर छात्रों को बरगलाने का आरोप,होगी जांच

विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्री पीएचडी के परीक्षा के दौरान छात्रों के बहिष्कार व कापियां फाड़ने जैसी धटनाओं के लिए कुछ शिक्षकों पर संदेह व्यक्त किया है। यह कहा जा रहा है कि इन शिक्षकों ने छात्रों को गुमराह करते हुए उन्हें आंदोलित करने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में जांच समिति बनाकर प्रकरण की जांच का निर्णय लिया गया है। पूर्व जज की अध्यक्षता में गठित कमेटी शिक्षकों व निष्कासित छात्रों का पक्ष सुनेगी। जांच समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का नाम भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने गोपनीय रखा है।

आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर घोषित होंगे परिणाम

करीब 600 छात्रों ने प्री पीएचडी की परीक्षा में हिस्सा लिया था।उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूर्व निर्धाकिरत योजना के मुताबिक विश्वविद्यालय द्वारा कराया जाएगा।जिन परिक्षार्थियों की कापियां छीन ली गई या फाड़ दी गई,उन्हें प्रथम पत्र के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिया जाएगा। आंतरिक मूल्यांकन विद्यार्थी के निर्देशेक द्वारा किया जायेगा।आंतरिक मूल्यांकन में 15 अंक रिव्यू आफ लिटरेचर,15 अंक असाइनमेंट तथा 5 अंक उपस्थिति पर होंगे।विवि के मुताबिक परीक्षा परिणाम 15 जनवरी तक घोषित कर दिया जाएगा। कंप्यूटर एप्लीकेशन की प्रायोगिक परीक्षा 11 से 13 जनवरी के बीच होगी।

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