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उत्तर प्रदेश

किसान तेज करेंगे आंदोलन, 13 को कानून की काॅपी जलाने व 26 को किसान गणतंत्र परेड का कार्यक्रम

Janjwar Desk
3 Jan 2021 2:52 PM GMT
किसान तेज करेंगे आंदोलन,  13 को कानून की काॅपी जलाने व 26 को किसान गणतंत्र परेड का कार्यक्रम
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किसानों की चार जनवरी को सरकार से वार्ता तय है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने आंदोलन के अगले चरण की रणनीति तय कर ली है। इस बीच योगेंद्र यादव ने कहा है कि सरकार इस मामले में जितना देर करेगी उसे यह उतना महंगा पड़ेगा...

जनज्वार। चार जनवरी को किसान संगठनों व सरकार के बीच होने वाली अगले चरण की वार्ता से पहले किसान आंदोलनकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मांगें नहीं माने जाने पर वे अपना आंदोलन तेज करेंगे। वहीं, किसान प्रदर्शनकारियों पर पंजाब के संगरूर में रविवार को लाठीचार्ज किया गया और किसान नेताओं ने आलोचना की है। किसान नेता मंजीत सिंह राय ने कहा कि आज संगरूर में किसानों पर लाठीचार्ज किया गया, हम इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हम पंजाब सरकार ने किसानों पर लाठीचार्ज बंद नहीं कराया तो उसके खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 13 जनवरी को कृषि कानूनों की कापियां जलाकर लोहड़ी के त्योहार मनाएंगे। छह से 20 जनवरी के बीच देशभर में किसानों के पक्ष में धरना प्रदर्शन, मार्च आदि आयोजित किया जाएगा। 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस मनाया जाएगा।

वहीं, हरमीत सिंह केडियन ने कहा कि हम सोमवार को तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी बारिश हो रही है, इसलिए हम वाटरप्रूफ टेंट चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम कंबल और गर्म पानी की व्यवस्था महिलाओं व बुजुर्गाें के लिए चाहते हैं। किसान नेता ओंकार सिंह ने कहा है कानून को जबतक वापस नहीं लिया जाता है हम यहां से वापस नहीं लौटेंगे।


किसान संगठनों ने चार जनवरी के बाद के आंदोलन का विस्तृत खाका भी तैयार किया है जो इस महीने के आखिरी सप्ताह को गणतंत्र दिवस तक चलेगा। किसान संगठनों ने कहा है कि वे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन किसान गणतंत्र परेड करेंगे।

किसान संगठनों ने कहा है कि वे ट्रैक्टर, ट्राली व अन्य वाहनों से दिल्ली की ओर कूच करेंगे। किसान संगठन अगर ऐसा करेंगे तो सरकार के लिए अधिक असहज स्थिति उत्पन्न होगी, क्योंकि गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में विस्तृत राजकीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जो कई दिनों तक चलता है। किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने दो जनवरी को एक अहम बैठक कर आगे की रणनीति तय की है।

इधर, रविवार को किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरा स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार सोचती है कि किसानों को टरका-भड़का देगी, लेकिन किसान डिगने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को यह पता है कि अगर वे इस लड़ाई को नहीं जीते तो आगे कोई लड़ाई जीत नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे मोदी सरकार को यह कहना चाहते हैं कि वह जितनी जल्दी इस मामले को सलटा ले उनके लिए उतना सस्ता पड़ेगा, यह जितना लंबा चलेगा उतना उन्हें महंगा पड़ेगा। यह हमें और देश को भी महंगा पड़ेगा।

योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार एक ओर कहती है कि हम वार्ता करेंगे और इसके लिए एक हाथ बढाती है तो दूसरा हाथ वह हमें मुक्का मारने के लिए बढाती है और हम दोनों आंख देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर वार्ता कर रही है और वह किसानों को गाली दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन्होंने खालिस्तानियों के खिलाफ लड़ा उन्हें ये खालिस्तानी कर रहे हैं और ऐसा कहने में उन्हें शर्म नहीं आती।

योगेंद्र यादव ने वार्ता के तरीके पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि जब वार्ता होती है तो उसमें सुनवाई नहीं समझाइस होती है। सरकार किसानों की सुनती नहीं उन्हें समझाती है। उन्होंने कहा कि छह महीने हो गए और आपने हमें बहुत समझा लिया, अब समझाना बंद करो और सुनना शुरू करो। यादव ने कहा कि हम बेबकूफ नहीं हैं हमें भी कुछ समझ में आता होगा।

किसानों की दो मूल मांगों तीन नए कृषि कानून को रद्द करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक दर्जा देने की मांग पर सरकार व किसान संगठनों की वार्ता में अबतक कोई नतीजा नहीं निकला है। किसान इस मांग पर कायम हैं कि सरकार को तीन कानूनों को वापस लेना ही होगा।

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