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उत्तर प्रदेश

Fatehpur News: 50 लाख के मुचलके पर रिहा हुए भगवान श्रीकृष्ण, महाभक्त मीराबाई ने स्वप्न देखकर की थी मूर्ति स्थापना

Janjwar Desk
22 Jun 2022 5:18 AM GMT
Fatehpur News: 50 लाख के मुचलके पर रिहा हुए भगवान श्रीकृष्ण, महाभक्त मीराबाई ने स्वप्न देखकर की थी मूर्ति स्थापना
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Fatehpur News: 50 लाख के मुचलके पर रिहा हुए भगवान श्रीकृष्ण, महाभक्त मीराबाई ने स्वप्न देखकर की थी मूर्ति स्थापना

Fatehpur News: राजस्थान के जयपुर और हरियाणा के भिवानी को ही छोटी काशी नहीं कहा जाता है बल्कि यूपी के फतेहपुर जिले में भी यह मौजूद है। जहां पर बड़ी संख्या में मंदिर हैं। मंदिरों की इस तादाद में सिर्फ तीन मंदिर शिव जी के हैं।

लईक अहमद की रिपोर्ट

Fatehpur News: राजस्थान के जयपुर और हरियाणा के भिवानी को ही छोटी काशी नहीं कहा जाता है बल्कि यूपी के फतेहपुर जिले में भी यह मौजूद है। जहां पर बड़ी संख्या में मंदिर हैं। मंदिरों की इस तादाद में सिर्फ तीन मंदिर शिव जी के हैं। श्री कृष्ण के जो मंदिर हैं उनमें एक मंदिर की स्थापना का श्रेय मीरा बाई को भी जाता है। बेशक, आज इस काशी की चमक धमक सलामत नहीं रही तो इसका दोष जन प्रतिनिधियों को जाता है।

गंगा किनारे बसे शिवराजपुर की सुबहऔर शाम का मंजर देखते ही बनता है। यूपी के बनारस की तरह यहां आस्था के अनगिनत धाम स्थापित हैं। घंटा व घड़ियाल की गूंज के साथ पूरा गांव धूप अगरबत्ती की महक का गवाह बनता है। बेशक, यहां अब कार्तिक पूर्णिमा पर सात दिन का मेला लगता है लेकिन इस काशी को जानने की उत्सुकता सभी को रहती है। यही कारण है कि शोध के लिए शोधार्थियों का यहां आना-जाना लगा रहता है। यहां के रास बिहारी लाल मंदिर का निर्माण वैश्य बिरादर ने कराया था जबकि गिरधर गोपाल मंदिर की स्थापना का श्रेय कृष्ण भक्त मीरा को दिया जाता है।

नारायण का स्वप्न देखकर स्थापित की मूर्ति

मंदिर के पुजारी हरी ओम दीक्षित ने हमें बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त मीराबाई ने मेवाड़ चौकड़ी के राज रतन सिंह के घर, 1498 में जन्म लिया था। जिन्होंने बचपन से श्रीकृष्ण के नाम अपना जीवन कर दिया था। 1516 में मीरा का विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से हो गया। विवाह के बाद भी वह श्रीकृष्ण की आराधना में लगी रहती थीं। मेवाड़ के राजवंश को यह पसंद नहीं था, कि उनकी रानी वैरागिनी की तरह जीवन बिताए। इसी कारण एक दिन उन्हें मारने की साजिश रची, फिर भी उन्हें खरोंच तक नहीं आई।

इसी घटना के बाद मीरा ने राज घराना छोड़ दिया था। वह अपने साथ अपने आराध्य की मूर्ति को साथ लेकर गंगा नदी पर चल पड़ी थी। शिवराजपुर आने पर वह कई दिन गंगा किनारे रुकीं। मीरा को नारायण ने रात में दर्शन देकर साथ ली मूर्ति को यहीं पर स्थापित करने की बात कही। तब मीरा ने यह मान लिया कि यह स्थान उनके आराध्य को बहुत मनोरम लगा।

चांदी का कटोरा देकर हलवाई से ली मिश्री

भगवान श्री कृष्ण की कई किदवंती शिवराजपुर में मौजूद हैं। मीरा द्वारा स्थापित गिरधर गोपाल मंदिर के पुजारी हरी ओम दीक्षित बताते हैं कि एक बार उनके पूर्वज भोग में मिश्री रखना भूल गए। जिस पर नारायण, बालक का रूप धरकर लाला हलवाई की दुकान पहुंचे। उनके हाथ में भोग लगाने वाला मंदिर का कटोरा था, जो चांदी से निर्मित था। हलवाई ने कटोरा लेकर एक ट्रे मिश्री यह कहकर ले ली कि सुबह पैसा देकर कटोरा ले लेंगे। सुबह जब बाबा द्वारिका बिहारी दीक्षित मंदिर खोल कर अंदर दाखिल हुए तो वहां जगह जगह मिश्री फैली थी। यह बात इस छोटी काशी में जंगल की आग जैसे फैल गई। हलवाई को पता चला तो वह भाग कर मंदिर आए और बीती रात को दुकान में एक बालक के आने और कटोरा देकर मिश्री ले जाने की बात कही। तब सभी को प्रभु की इस लीला का पता चल सका।

चित्तौड़ राज घराने से पैसा आना बंद

मंदिर के पुजारी हरी ओम दीक्षित के मुताबिक मंदिर में प्रसाद के लिए चित्तौड़ राज घराने से खर्च आता था। यह खर्च आना अब बंद हो गया है। मंदिर के नाम रूरा में दस बीघे जमीन है। इसी आय पर प्रसाद व मंदिर की देखरेख का काम होता है। बताया कि विश्व में और कहीं भी अष्टभुजीय ऐसी अद्वतीय मूर्ति गिरधर गोपाल की नहीं है। कार्तिक भर लोग जब भी गंगा स्नान को आते हैं तो गिरधर गोपाल जी के दर्शन करना नहीं भूलते।

नाव से होता था कारोबार

रास बिहारी लाल मंदिर के सर्वराकार परिवार से होने का दावा करने वाले निरंजन गुप्ता खुद मूर्तिकार हैं। वह बताते हैं कि उनके पूर्वज नाव के जरिए कारोबार करते थे। परिवार से ही इस मंदिर का निर्माण कराया था। इनका कहना है कि नेता केवल वादा करते हैं। किसी ने यहां पर ध्यान नहीं दिया।

50 लाख के बांड पर रिहा हैं गिरधर गोपाल

गिरधर गोपाल मंदिर में अलौकिक अष्ठ धातु की मूर्ति है। जिसकी दो बार चोरी हो चुकी है। अभी सात साल पहले भी यह मूर्ति चोरी हुई थी, जो 27 दिन बाद वापस मिली। मंदिर के पुजारी हरी ओम ने बताया कि 50 लाख के बांड पर मूर्ति की सुपुर्दगी दी गई।

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