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उत्तर प्रदेश

Gyanvapi Masjid : बाबरी के रास्ते पर जा रहा ज्ञानवापी मामला, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

Janjwar Desk
12 Sept 2022 9:33 PM IST
Gyanvapi Masjid : बाबरी के रास्ते पर जा रहा ज्ञानवापी मामला, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना
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Gyanvapi Masjid : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की वाराणसी जिला कोर्ट (Varanasi Court) ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid case) पर बड़ा फैसला दिया। कोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्ष नाराज है और इस मामले को अब हाईकोर्ट ले जाना चाहते हैं।

Gyanvapi Masjid : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की वाराणसी जिला कोर्ट (Varanasi Court) ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid case) पर बड़ा फैसला दिया। कोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्ष नाराज है और इस मामले को अब हाईकोर्ट ले जाना चाहते हैं। वहीं इसी मामले पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी मीडिया के सामने आकर कहा कि इस फैसले के खिलाफ अपील होनी चाहिए।

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इससे देश में अब बहुत सी चीजें शुरू हो जाएंगी। अब हर कोई जाकर ये कहेगा कि नहीं नहीं हम 15 अगस्त 1947 से हम यहां पर थे। जो 1991 का पूजा स्थल एक्ट है, तो उसका तो मकसद ही फेल हो जाता है। 91 का एक्ट इसलिए बनाया गया था। ताकि इस तरह के विवाद जो हैं, वो हमेशा के लिए खत्म हो जाएं। लेकिन आज के आदेश के बाद ये फिर से शुरु हो जाएगा। एक बार फिर हम 80 और 90 के दशक में वापस जा रहे हैं हम लोग। अगर हम 80 और 90 के दशक में वापस चले जाएंगे। तो इससे हर जगह पर विवाद पैदा हो जाएगा। अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये तो फिर वैसा ही मामला हो जाएगा जैसा बाबरी मस्जिद का मामला गया था।

आगे कहा कि अब आप बोलेंगे कि ऐसा नहीं है, वहां ऐसा करने की इजाजत दी जाए और आप इस बात को समझिए, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े मंदिर का उद्घान किया था। साल डेढ़ साल पहले प्लॉट नंबर 93 और 94 के तहत एक्सचेंज किया गया था मुसलमानों से।

ज्ञानवापी पर आई फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक यान जारी किया। बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महल ने कहा कि कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसे पढ़ा जाएगा और फिर तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है। बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजा अधिनियम के संबंध में जो कहा था, उससे उम्मीद थी कि अब देश में मंदिर-मस्जिद से जुड़े सभी विवाद हमेशा के लिए खत्म होंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।

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