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Mirzapur news: मिर्जापुर के विंध्याचल गंगा घाट पर दो दर्शनार्थियों की डूबने से मौत, ऐसे हुआ हादसा!
Mirzapur news: मिर्जापुर के विंध्याचल गंगा घाट पर दो दर्शनार्थियों की डूबने से मौत, ऐसे हुआ हादसा!
संतोष देव गिरी की रिपोर्ट
Mirzapur news: विख्यात देवी धाम विंध्याचल के गंगा घाट पर गंगा में डूब कर दर्शनार्थियों के साथ होने वाले हादसे का क्रम थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी कुछ दिन पहले बिहार के बक्सर से आए दर्शनार्थी के डूबने की खबर लोग भुला भी नहीं पाए थे कि रविवार को एक और हादसे ने पूर्व में घटित हादसों को तरोताजा कर दिया है। रविवार को यहां विन्ध्याचल देवी धाम से कुछ दूर पर स्थित गंगा घाट पर स्नान के दौरान दो श्रद्धालुओं की डूबने से मौत हो गई। जानकारी के अनुसार मछलीशहर, जौनपुर निवासी दिलीप तिवारी अपने परिजनों सहित मां विन्ध्यवासिनी के दर्शन हेतु आये थे। दर्शन के पूर्व परशुराम घाट पर सपरिवार गंगा स्नान कर रहे थे कि उसी समय उनका पुत्र ऋषि तिवारी 17 वर्ष व खुशी तिवारी 13 वर्ष गहरे पानी में समा गए। उनको बचाने के चक्कर में परिवार के अन्य सदस्य भी डूबने लगे थे। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार कुल छ: लोग डूब रहे थे। मौजूद नाविकों ने चार लोगों को तो तुरन्त तत्परता बरतते हुए पानी के बाहर निकाल लिया। कुछ देर पश्चात ऋषि तिवारी को तथा लगभग एक घण्टे पश्चात खुशी तिवारी को पानी के बाहर नाविकों ने खोजकर निकाल लिया। स्थानीयों की मदद से बारी बारी से दोनों को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
भाई बहन की मौत से परिजनों का रो-रोकर का बुराहाल हो गया। पुलिस ने दोनों मृत शरीर को कब्जे में लेकर अंत्यपरीक्षण के लिए भेज दिया है। गौरतलब हो कि विगत एक महीने में उसी स्थान पर यह दूसरी घटना घटी है। जिला प्रशासन इन घटनाओं को लेकर सवालों के घेरे में है, तो वहीं जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे है। वर्ष में मात्र दोनों नवरात्रों के दरम्यान कुल अट्ठारह दिनों के लिए ही शासन प्रशासन की व्यवस्थाएं सिमट कर रह जाती है। ऐसे में लोग बार-बार सवाल खड़े कर रहे हैं कि तो क्या अन्य दिनों विन्ध्य क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालु मानव श्रेणी में नहीं आते हैं ? प्रत्येक वर्ष लगभग दर्जन भर श्रद्धालुओं की मृत्यु गंगा स्नान के समय डूबने से हो जाती है। घटना के समय सभी मौके पर पहुंचकर पीड़ितों से मिलकर शोक संवेदना भी व्यक्त करते है। भविष्य में घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए बढ़चढ़ कर बोल बचन प्रस्तुत कर सभी साहबान वापस चले जाते है। मौके पर घटनारोधी कोई उपाय नही होता और पुनः किसी अनहोनी की प्रतीक्षा में लोग बैठे रहते है। अरबों रुपये की लागत से जिनको लुभाने के लिए योजनाएं प्रगतिशील है, उन्ही श्रद्धालुओं के जीवन मूल्यों का कोई महत्व नहीं है।
हादसा दर हादसा से उठ रहे हैं सवाल
विन्ध्याचल के परशुराम घाट पर फिर दो दर्शनार्थी गंगा नदी में डूबकर जान गंवा बैठे हैं। विंध्याचल के गंगा घाट पर गंगा नदी में डूबने की लगातार हो रही घटनाएं लोगों को विचलित करती आ रही हैं। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि अभी कितनी और घटनाओं का इंतज़ार, स्नानार्थियों के जीवन से इतनी लापरवाही क्यों ? कब जागेंगे जिम्मेदार? इन घटनाओं का मूल कर्णधार कौन ? ऐसे तमाम ज्वलंत सवाल हैं जो व्यवस्था की नाकामियों पर सवाल खड़े करने के साथ-साथ यहां की व्यवस्थाओं को शर्मसार करने के लिए काफी कहीं जा रही हैं।
जान बचाने वाले नाविकों की हो रही है सराहना
विंध्याचल के गंगा घाट पर जौनपुर के डूब रहे दर्शनार्थियों को बचाने की दिशा में सबसे पहले खड़े होने वाले नाविकों का एक बार नाम फिर सर्वप्रथम लोगों की जुबान पर आया है। यह वही नाविक है जिन्होंने पिछले बार चार लोगों की जान बचाया था और इस बार भी चार लोगों को बचाया है। पिछले बार भी डूबे हुए के शव को गहरे पानी के अंदर से सांस को रोककर पानी से बाहर निकाला था। इस बार भी दो लोगों की अंदर से जान जोखिम में डालकर के निकाला है। जानकारी के अनुसार गंगा में डूब रहे दर्शनार्थियों को बचाने वाले नाविकों के साथ जिन लोगों का नाम आ रहा है उनमें शनि द्विवेदी का भी नाम सामने आया है, जो अखाड़ा घाट पर गंगा आरती करते है। पिछले बार भी युवक को लादकर अस्पताल तक पहुंचाया था और इस बार भी इनकी टीम ने मिलकर गंगा घाट से लोगों को अस्पताल तक पहुंचाया था।
जबकि सूरज नाविक ने पिछले बार भी खुद गहरे पानी में गोता लगाकर बक्सर, बिहार के युवक का शव गंगा नदी से बाहर निकाला था और इस बार भी सूरज नाविक ने पानी में डुबकर पानी के नीचे से बच्ची को निकाला है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान आकर्षित नहीं हुआ है। उस बार भी इसने और इनके दो साथियों ने मिलकर चार लोगों को बचाया था। इस बार भी इनके साथ साजन कुमार और लक्ष्मण कुमार ने मिलकर चार लोगों को बचाया है।