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Uttarakhand News : राजनाथ को पता है उत्तराखण्ड के नए मुख्यमंत्री का नाम, 48 घंटे बाद होगा खुलासा

Janjwar Desk
17 March 2022 1:46 PM GMT
Uttarakhand CM
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उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी

Uttarakhand News : दिल्ली में बैठे पार्टी आलाकमान के लोग पहले दिन से ही धामी के चुनाव हारने के बाद उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाये जाने के पक्ष में दिख रहे थे। दिल्ली का मानना था कि युद्ध में घायल होने के बाद भी विजय दिलाने वाले सेनापति के साथ वायदाखिलाफी ठीक नहीं होगी। लेकिन पार्टी में ही तमाम नेता ऐसे भी थे जो इसे भविष्य की नजीर के तौर पर बताते हुए इस निर्णय के नुकसान-फायदे गिनाते हुए धामी को किनारे लगाने में जुट गए।

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand News : उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव परिणामों में मुख्यमंत्री चेहरे की हार के बाद भी प्रचंड बहुमत लाकर मुख्यमंत्री के लिए पशोपेश में पड़ी भाजपा के पत्ते 48 घण्टे बाद खुलेंगे। प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह दिल्ली में भाजपा केंद्रीय आलाकमान ने राजनाथ सिंह को बता दिया है। रणनीति के तहत राजनाथ इस नाम का खुलासा शनिवार को प्रस्तावित भाजपा विधायक दल की बैठक में करेंगे। विधायक दल का नेता चुनने की औपचारिकता के बाद रविवार को नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होगा।

उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव का परिणाम आये एक सप्ताह पूरा हो चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही भारतीय जनता पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। बहुमत न मिलने की सूरत में सम्भावित निर्दलीय विजेता व अन्य पार्टियों के विधायकों तक से संपर्क कर पार्टी ने प्लान बी तक तैयार कर लिया था। मतगणना के दिन जहां हर नए चक्र की मतगणना भाजपा को एक बार फिर सत्ता की चौखट के और करीब ले जा रही थी तो खटीमा विधानसभा क्षेत्र से उसके लिए उसके मुख्यमंत्री चेहरे पुष्कर धामी के पीछे रहने की बदमजा खबर भी आ रही थी। सभी को उम्मीद थी, अंतोतगत्वा धामी जीत जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पार्टी को तो प्रचंड बहुमत मिला लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी बुरी तरह चुनाव हार पड़े।

इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने पार्टी को मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सांसत में डाल दिया। हालांकि दिल्ली में बैठे पार्टी आलाकमान के लोग पहले दिन से ही धामी के चुनाव हारने के बाद उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाये जाने के पक्ष में दिख रहे थे। दिल्ली का मानना था कि युद्ध में घायल होने के बाद भी विजय दिलाने वाले सेनापति के साथ वायदाखिलाफी ठीक नहीं होगी। लेकिन पार्टी में ही तमाम नेता ऐसे भी थे जो इसे भविष्य की नजीर के तौर पर बताते हुए इस निर्णय के नुकसान-फायदे गिनाते हुए धामी को किनारे लगाने में जुट गए। गढ़वाल से पार्टी को मिले व्यापक समर्थन की एवज में सतपाल महाराज, प्रदेश की महिला मुख्यमंत्री के नाम पर ऋतु खण्डूरी, सबसे ज्यादा बार विधायक बनने के कोटे से बंशीधर भगत, प्रेमचन्द्र अग्रवाल, मैदानी क्षेत्र से मदन कौशिक, केन्द्रीय मंत्री कोटे से अजय भट, पूर्व मुख्यमंत्री कोटे से रमेश पोखरियाल निशंक व त्रिवेन्द्र सिंह रावत, गैर विधायक कोटे से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, संघ कोटे से धनसिंह रावत तो लोकप्रियता कोटे से लालकुआं से कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत को बड़े अंतर से हराने वाले मोहन सिंह बिष्ट आदि का नाम मुख्यमंत्री के लिए अपने-अपने ढंग से चलने लगा। चुनावी पराजय के बाद अब धामी को पार्टी क्षत्रपों के खेमे का निशाना बनाना पड़ रहा था।

आलाकमान के सामने धामी के बजाए अपने आप को मुख्यमंत्री बनाये जाने के लिए हर खेमा नए-नए तर्कों से आलाकमान को राजी करने में जुटा था। इसके लिए भविष्य के लोकसभा चुनाव में पार्टी को विजयी बनाने की कार्यक्षमता व अनुभव तक को भी सामने रखा गया। लेकिन आलाकमान ऊर्जावान धामी के नेतृत्व में प्रदेश में पार्टी की सत्ता में वापसी के इकलौते करिश्मे को नजरअंदाज करने में मुश्किलों का सामना कर रहा था। एकबारगी तो मुख्यमंत्री पद के लिए ऐसे फार्मूले पर भी बातचीत हुई कि मुख्यमंत्री की कुर्सी धामी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के बीच ही जाते दिखने लगी। लोकसभा सांसद निशंक को यह पद देने पर पार्टी को एक लोकसभा और एक विधानसभा का चुनाव लड़ना पड़ता। बलूनी को सीएम बनाया जाता है तो भाजपा को कोई दिक्कत नहीं थी। बहुमत के कारण कोई भी नेता आसानी से बलूनी की जगह राज्यसभा जा सकता था। महाराज पर अभी भी कांग्रेस की छाप है। बाकी अन्य सभी दावेदार भी किसी न किसी कमजोरी के चलते धामी के समकक्ष न दिखने के कारण पार्टी हाईकमान ने धामी की दावेदारी पर भी गंभीरता से विचार किया है। हर सम्भव तर्क की काट सोचने के बाद भी जिस व्यक्ति के चेहरे पर प्रदेश में पूरा चुनाव लड़ा गया हो, सत्ता मिलने पर उसे कैसे नजरअंदाज किया जाए का तर्क नहीं तलाश पाई है। ऐसी किसी सूरत में बहुमत न मिलने की दशा में तो चार बहाने गढ़े जा सकते थे। लेकिन प्रचंड बहुमत के बाद पार्टी ऐसा सोचने से लगातार बच रही है।

अब बताया जा रहा है कि सारी परिस्थितियों का पीएम नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश प्रभारी प्रह्लाद जोशी के बीच आकलन कर नए मुख्यमंत्री का नाम तय कर लिया गया है। इसके बाद ही दिल्ली में परिक्रमा कर रहे सभी दावेदारों को वापस उत्तराखण्ड भेज दिया गया है। खुद धामी अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं का आभार प्रकट करने व होली की शुभकामनाएं देने पहुंच गए हैं। इसके बाद वह देहरादून भी चले गए। अब 19 मार्च को भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। जिसमें बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह व मीनाक्षी लेखी भी शामिल होंगे। यहीं राजनाथ सिंह उस नाम पर मुहर लगवाएंगे, जिस पर दिल्ली में सहमति बन चुकी है।

पार्टी के एक उच्चपदस्थ सूत्र का कहना है कि जुलाई में कांग्रेस राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। डीडीहाट से विजयी पार्टी के वरिष्ठ नेता विशन सिंह चुफाल फिलहाल निवर्तमान मुख्यमंत्री धामी के लिए विधानसभा सीट छोड़ेंगे। विधानसभा में धामी की राह डीडीहाट से निष्कंटक की जाएगी। तथा चुफाल को बरास्ता राज्यसभा दिल्ली भेजा जाएगा। दिल्ली में कई दौर की माथापच्ची के बाद पार्टी ने इसी रूट को फॉलो करने का निश्चय किया है। प्रचंड विजय के बाद घायल सेनापति को उसके हाल पर छोड़ देने की वजह पार्टी नहीं तलाश पाई।

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