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सचिवालय भर्ती घोटाले की तपिश कुर्सी तक पहुंचते ही सक्रिय हुए CM धामी, विधानसभा अध्यक्ष से किया नियमविरुद्ध नियुक्तियां निरस्त करने का अनुरोध

Janjwar Desk
2 Sept 2022 7:20 AM IST
सचिवालय भर्ती घोटाले की तपिश कुर्सी तक पहुंचते ही सक्रिय हुए CM धामी, विधानसभा अध्यक्ष से किया नियमविरुद्ध नियुक्तियां निरस्त करने का अनुरोध
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सचिवालय भर्ती घोटाले की तपिश कुर्सी पर पहुंचते ही सक्रिय हुए CM धामी, विधानसभा अध्यक्ष को दिया नियमविरुद्ध नियुक्तियां निरस्त करने का आदेश

Uttarakhand Bharti Ghotala : कभी भी उत्तराखण्ड विधानसभा में हुए भर्ती घोटाले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है, जिससे गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में भाजपा खुद को पाक साफ दिखाकर आगामी लोकसभा चुनाव में भी इस मुद्दे को अपने पक्ष में भुना सके...

Uttarakhand Bharti Ghotala : उत्तराखंड प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर हुए सिलसिलेवार घपले घोटाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जान का बवाल बन गए हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी भारतीय जनता पार्टी विपक्ष द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने से इतने दबाव में है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर संकट आ गया है। मामले में एक कैबिनेट मंत्री की बलि तो तय मानी ही जा रही है, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अपनी कुर्सी इस झंझावत से सकुशल निकाल ले तो यह भी किसी आश्चर्य से कम न होगा।

उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में हुए जबरदस्त घोटालों का मामला देश भर में चर्चा का सबब बना हुआ है। यहां उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं के भविष्य के दरवाजे पर जहां ऐसे खूंखार भेड़िए बैठे हुए थे जो इन सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र नकलचियों को बेचकर नौकरियों की खुलेआम नीलामी कर रहे थे तो दूसरी तरफ जिन नेताओं को अपना सब कुछ समझकर उनके दरी-बिछौने यह युवा बिछा रहे थे वह भी इन युवाओं की पीठ में छुरा घोंपते हुए इन सरकारी नौकरियों पर अपने भाई-भतीजों और रिश्तेदारों को बैठा रहे थे।

एक मामले की जांच के दौरान जब इन कारनामों की बखिया उधड़नी शुरू हुई तो उसके बाद किसी पुराने स्वेटर की ऊन की तरह उत्तराखंड के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक की सारी परतें खुलनी शुरू हो गई। उत्तराखंड की जवानी से हुए इस खिलवाड़ के तमाम सबूत सोशल मीडिया पर नुमाया होते ही विपक्षी कांग्रेस सरकार पर ऐसी हमलावर हुई कि राज्य सरकार तो सकते में आई ही, केंद्र की सत्ता भी घटनाक्रम आगामी लोकसभा चुनाव के मुहाने पर होने की वजह से दहल गई।

इसी साल होने वाले गुजरात, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा मुखर होने की संभावना के चलते इस मामले में प्रदेश के कई नेताओं को दिल्ली तलब किया गया था। सूबे के मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तो इसमें शामिल थे ही, किसी दौर में गुड़ की भेली बेचने वाले और संघ के कद्दावर नेता रामलाल अग्रवाल का कृपापात्र होने के कारण राजनीति में विशेष जगह बनाकर विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद वर्तमान में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रेम अग्रवाल भी इसमें शामिल थे।

हालांकि सीएम के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए उन्हें दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के नाम पर दिल्ली बुलाया गया था। माना जा रहा है कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी चुनावी चिंताओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए इस समस्या का निदान करने की हिदायत दी है।

दिल्ली कार्यक्रम से निबटने के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्षा को चिट्ठी लिखकर विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों के प्याले से उठा तूफान थामने की कोशिश शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री इस बवाल से इस कदर खौफजदा हैं कि उनकी विधानसभा अध्यक्षा को लिखी चिट्ठी भले ही अपने मुकाम पर न पहुंची हो, लेकिन उन्होंने चिट्ठी को खुद ही सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर मामले में बड़ा कदम उठाने के संकेत दे दिए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को लिखी इस चिट्ठी में विधानसभा सचिवालय में हुई बैकडोर भर्ती घोटाले में कार्यवाही की बात कही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से विधानसभा सचिवालय की जिन नियुक्तियों कों लेकर विवाद चल रहा है उनकी उच्चस्तरीय जांच कराने तथा जांच में अनियमितताएं पाए जाने पर सभी अनियमित नियुक्तियों को निरस्त करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने स्पीकर से विधानसभा सचिवालय में भविष्य में निष्पक्ष एवं पारदर्शी नियुक्तियों के लिए प्राविधान करने का भी आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस चिट्ठी से पूरे विधानसभा और उत्तराखंड में नियुक्ति पा चुके अभ्यार्थी और कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। यह समझा जा रहा है कि अब इन पर कार्रवाई की तलवार लटक चुकी है। कभी भी विधानसभा में बड़ी कार्रवाई हो सकती है, जिससे गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने को पाक साफ दिखाकर आगामी लोकसभा चुनाव में भी इस मुद्दे को अपने पक्ष में भुना सके।

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