Begin typing your search above and press return to search.
शिक्षा

उत्तराखंड के इस सरकारी स्कूल में एक ही रूम में चलती है 1 से 8 तक क्लास, Lockdown के बाद से नहीं हुई कभी ऑनलाइन पढ़ाई

Janjwar Desk
10 Sept 2020 7:57 PM IST
उत्तराखंड के इस सरकारी स्कूल में एक ही रूम में चलती है 1 से 8 तक क्लास, Lockdown  के बाद से नहीं हुई कभी ऑनलाइन पढ़ाई
x

हलद्वानी के तपस्यानाला स्थित विद्यालय, जिसमें वन गुर्जर समुदाय के बच्चे मुख्य रूप से पढते हैं।

विद्यालय जिस क्षेत्र में स्थित है, वहां बिजली भी की भी व्यवस्था नहीं है। मानसून में शिक्षक 50 किमी अतिरिक्त दूरी तय कर विद्यालय पहुंचते हैं...

जनज्वार। राजकीय प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय उत्तराखंड के हलद्वानी के तपस्यानाला में स्थित एक सुदूरवर्ती स्कूल है, जिसमें वन गुर्जर समुदाय के बच्चे नामांकित हैं। यह विद्यालय टिन सेड के नीचे एक ही कमरे में चलता है और सरकार की कोरोना संक्रमण के दौर में ऑनलाइन व अन्य प्रकार के पठन पाठन से यहां के बच्चे वंचित हैं।

यह विद्यालय चोरगलिया, सितारगंज में स्थित है, मोटर मार्ग से लगभग पांच किमी की दूरी पर वन क्षेत्र में स्थित है। विद्यालय पहुंचने के मार्ग में दो बड़ी बरसाती नदियां नन्धौर एवं कैलाश तथा एक छोटा नाला पड़ता है। मानसून के दौरान इस जगह पर पहुंचने में शिक्षकों को काफी दिक्कत होती है। शिक्षकों को लगभग 50 किमी की अतिरिक्त दूरी तय करके सितारगंज के रास्ते विद्यालय पहुंचना पड़ता है। यह मार्ग भी टूटा हुआ तथा जगह-जगह छोटे नालों के कारण अत्यंत दुर्गम है।

विद्यालय की स्थापना 2013 में वन गुर्जर बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से की गई थी। वन क्षेत्र अंतर्गत होने के कारण वित्तविहीन विद्यालय में प्रारंभ में पेड़ के नीचे और बाद में घास-फूस की झोपड़ी तैयार करवा कर पढाई संचालित की गई।

कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के इस विद्यालय को तत्कालीन विधायक दुर्गापाल ने अपनी विधायक निधि से कुछ मदद दी थी। उनके द्वारा विद्यालय को विधायक निधि से एक 20 गुणा 30 वर्ग फीट का टिन सेड प्रदान किया गया था। उसके बाद विद्यालय के स्टाफ द्वारा स्वयं की धनराशि से बच्चों के बैठने के के लिए पक्के फर्श का निर्माण कराया गया। परंतु टिन सेड खुला होने के कारण जंगली व पालतू जानवरों की आवाजाही के कारण शिक्षण कार्य के लिए असुरक्षित माहौल बना रहता था।

विद्यालय के बच्चों का फाइल फोटो।

इन्हीं समस्याओं को देखते हुए वर्तमान विधायक नवीन दुम्का द्वारा विद्यालय को शौचालय का चेन लिंक जाली द्वारा सुरक्षा हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की गई। समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्राप्त 12,500 रुपये विद्यालय अनुदान व कुछ संगठनों की सहायता से विद्यालय को चारों ओर से कवर करके 20 गुना 30 वर्ग फिट का हाॅल व 40 छात्र-छात्राओं के बैठने हेतु फर्नीचर की व्यवस्था करके टिन सेड को विद्यालय का स्वरूप दिया गया है।

वर्तमान में विद्यालय में 2 अध्यापक प्राथमिक तथा 3 अध्यापक उच्च प्राथमिक वर्ग में कार्यरत हैं तथा 40 छात्र-छात्राएं कक्षा 1 से 8 तक अध्ययरत हैं। 500 वर्ग फिट क्षेत्रफल में 8 कक्षाएं संचालित होने के कारण अध्यापक पूर्ण मनोयोग से कार्य करने के उपरांत भी अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे हैं। अगर एक अध्यापक किसी एक कक्षा के बच्चों से संवाद करता है तो सभी कक्षाओं को शिक्षण में व्यवधान पहुंचता है। जंगल के बीच असुरक्षित क्षेत्र के कारण सीमित क्षेत्र में अध्यापन की बाध्यता बनी रहती है।

आधारभूत संरचना की कमी व घर की काम में व्यस्तता से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण नहीं

आधारभूत संरचना न होने के कारण गुणवत्तापरक शिक्षण नहीं हो पाता है। विद्यालय में वन गुर्जर बच्चे जिस समुदाय के हैं, उनके अभिभावक शत-प्रतिशत निरक्षर हैं तथा जंगल में रह कर पशुपालन ही उनके जीवन यापन का एक मात्र व्यवसाय है, इसके कारण माता-पिता बच्चों की सहायता के बिना इस कार्य को नहीं कर पाते हैं। 8-9 वर्ष की आयु से ही बच्चे गोबर निकालना, जानवरों को एकत्र करना, चारा डालना, कपड़े धोना, पत्ती काटना, पानी की व्यवस्था करना, खाना बनाने आदि कार्याें में माता-पिता की सहायता करते हैं, जिसके कारण बच्चे विद्यालय में पूर्ण रूप से उपस्थित नहीं रहते हैं।

वर्तमान समय में जबकि सुगम क्षेत्रों के बच्चे टीवी, मोबाइल, इंटरनेट आदि द्वारा शिक्षित हो रहे हैं, इस क्षेत्र के बच्चे बिजली विहीन क्षेत्र में रहकर सोलहवीं शताब्दी का जीवन जीने को मजबूर हैं। लाॅकडाउन व उसके बाद फिर अनलाॅक के दौर में ऑनलाइन पढाई की जो व्यवस्था शुरू की गई उससे यहां के बच्चे वंचित हैं। एक तो यहां बिजली नहीं है, दूसरा बच्चों के पास संसाधन भी नहीं हैं।




Next Story

विविध