Begin typing your search above and press return to search.
जनज्वार विशेष

शोध में हुआ खुलासा दुनियाभर में 80 फीसदी शहरी आबादी वायु प्रदूषण की शिकार

Prema Negi
27 Nov 2019 9:17 PM IST
शोध में हुआ खुलासा दुनियाभर में 80 फीसदी शहरी आबादी वायु प्रदूषण की शिकार
x

वायु प्रदूषण के कारण कार्डियोवैस्कुलर और श्वसन सम्बंधित रोगों से मृत्युदर में हो जाती है कई गुणा वृद्धि, भारत में तो कुल सकल घरेलू उत्पाद में से 8.5 प्रतिशत से अधिक वायु प्रदूषण के कारण हो जाता है बर्बाद...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

वायु प्रदूषण का प्रभाव पूरी दुनिया में बढ़ रहा है। हमारे देश में तो लगातार इसकी चर्चा की जाती है। हाल में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में वायु पर्दूषण का स्तर कई दिनों तक खतरनाक रहा, इसका कारण न्यू साउथ वेल्स के जंगलों में लगी भयानक आग का धुआं है।

चीन के महानगरों में वायु प्रदूषण कम हो रहा है, पर आसपास के कस्बे पहले से अधिक प्रदूषित होते जा रहे हैं। यूरोप और अमेरिका के अधिकतर शहरों में भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के शहरों की कुल आबादी में से 80 प्रतिशत से अधिक आबादी वायु प्रदूषण का शिकार हो रही है।

सके स्वास्थ्य पर प्रभाव और श्रमिकों के काम करने की क्षमता पर तो अनेक अध्ययन किए गए हैं, पर नए अध्ययनों से वायु प्रदूषण के अनेक नए प्रभाव सामने आने लगे हैं। जर्नल ऑफ़ कॉर्पोरेट फाइनेंस के नवम्बर अंक में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार अत्यधिक वायु प्रदूषण की स्थिति में आर्थिक विश्लेषक प्रभावित होते हैं और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है।

स अध्ययन को चीन, नीदरलैंड्स, चेक रिपब्लिक, अमेरिका और ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिकों के एक संयुक्त दल ने किया है। इस दल ने चीन में सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध 2000 आर्थिक विश्लेषकों के कुल 59000 आर्थिक पूर्वानुमान का आकलन किया। फिर उन विश्लेषकों के शहरों के वायु प्रदूषण स्तर का अध्ययन किया। पहले भी अनेक अध्ययन यह बताते रहे हैं कि वायु प्रदूषण का असर केवल शरीर के अंगों पर ही नहीं पड़ता बल्कि इससे तनाव बढ़ता है और सोचने और समझने की क्षमता भी क्षीण होती है।

स अध्ययन के बाद इन वैज्ञानिकों का निष्कर्ष है कि अत्यधिक वायु प्रदूषण की स्थिति में अधिकतर आर्थिक पूर्वानुमान तय समय के बाद आते हैं, ये बहुत लचीले होते हैं, कम खरे होते हैं और इनमें यथार्थता का अभाव होता है। इन वैज्ञानिकों का स्पष्ट तौर पर मानना है कि वायु प्रदूषण आर्थिक विश्लेषकों की बुद्धि कुंद कर देता है। इससे पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, क्योंकि यह सटीक और ठीक समय पर उपलब्ध पूर्वानुमानों पर पूरी तरह से निर्भर करती है।

ब सवाल यह है कि हमारे देश की ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था के पीछे भी कहीं वायु प्रदूषण का असर तो नहीं है? हमारा देश तो दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है, और दुनिया का अकेला देश भी है जहां प्रदूषण कम करने के उपाय के बदले राजनीति शुरू हो जाती है। विश्व बैंक की वर्ष 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद में से 8.5 प्रतिशत से अधिक वायु प्रदूषण के कारण बर्बाद हो जाता है।

इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि देश में वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके तब प्रतिवर्ष सकल घरेलू उत्पाद में प्रतिवर्ष 30 से 40 करोड़ डॉलर की बढ़ोत्तरी होगी। मार्च 2019 में प्रकाशित इंटरनेशनल फ़ूड पालिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल उत्तर भारत में खेतों में कृषि अपशिष्ट को जलाने से होने वाले प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष 2 लाख करोड़ रुपये की हानि होती है।

सी रिपोर्ट के अनुसार दीपावली के समय पटाखों के कारण फ़ैलाने वाले प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष 50 हजार करोड़ रुपये की हानि होती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार अत्यधिक वायु प्रदूषण की स्थिति में एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के मामलों में तीन-गुणा से अधिक की बढ़ोत्तरी हो जाती है।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन के अगस्त 2019 अंक में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण कार्डियोवैस्कुलर और श्वसन सम्बंधित रोगों से मृत्युदर में कई गुणा वृद्धि हो जाती है। ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी और चीन की फुदान यूनिवर्सिटी के संयुक्त दल द्वारा किये गए इस अध्ययन को अब तक का इस तरह का सबसे बाधा अध्ययन बताया जा रहा है।

स अध्ययन में 30 वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है और इसमें 24 देशों के 652 शहरों के स्वास्थ्य और प्रदूषण के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।

ह अध्ययन कोई पहला अध्ययन नहीं है जो वायु प्रदूषण को अकाल मृत्यु से जोड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित मृत्यु के कारणों में वायु प्रदूषण प्रमुख है। पर, हमारी सरकारें हरेक ऐसी रिपोर्ट को खारिज करती रही हैं और दूसरी तरफ वायु प्रदूषण नियंत्रण पर कभी गंभीर नहीं रहीं हैं।

Next Story