'हमारे ही पैसों से मुस्लिम भाइयों को मार रहा RSS', अरब दुनिया के कारोबारियों, पत्रकारों, नेताओं और वकीलों ने दी तीखी प्रतिक्रिया
अरब दुनिया के लोगों ने कहा-भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा आंतरिक मामला नहीं, भारत की सुंदरता को खत्म कर रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ....
जनज्वार ब्यूरो। ऐसे समय में जब दुनिया कोरोना वायरस के संकट से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है, भारत में जमीनी मुद्दों के बजाय सांप्रदायिक बहस चल रही है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साठ दिनों के लिए ग्रीन कार्ड को जारी करने पर रोक लगा दी है, इससे अब बाहरी लोग अमेरिका में नहीं बस सकेंगे। वहीं इस घोषणा के बाद जहां भारत को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। वहीं अरब दुनिया के देशों से भी भारत के लिए सख्त रुख सामने आ रहा है, जहां बड़ी संख्या भारतीय नागरिक नौकरियां करते हैं।
ऑनलाइन मीडिया नेटवर्क 'दीवान मुल्ला' के संस्थापक और मीडिया पर्सनैलिटी मुहम्मद अहमद अल-मुल्ला ने एक वीडियो जारी कर कहा, भारत में आरएसएस पार्टी के द्वारा मुसलमानों पर किया गया हमला अस्वीकार्य हैं, इस्लामिक देशों को भारत में मुसलमानों के साथ खड़ा होना चाहिए।'
कुवैत नेशनल बैंक के सीईओ अब्दुल रहमान अल-नासर ने अपने ट्वीट में कहा, 'बीजेपी पार्टी से संसद के सदस्य असामान्य चरमपंथी अनंत कुमार हेगड़े कहते हैं: 'इस्लाम को पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिए और इस्लाम विश्व शांति के लिए बम है। उन्होंने भाजपा के सांसद अनंत कुमार हेगड़े वीडियो भी पोस्ट किया है। अब्दुल रहमान अल नासर ने एक ट्वीट में कश्मीर का भी जिक्र किया और लिखा कि कश्मीर भी इन्हीं अपराधियों से जूझ रहा है। क दूसरे ट्वीट में अब्दुल रहमान अल-नासर कहते हैं, 'आरएसएस हमारे पैसों से हमारे भाईयों को मार रहा है।'
अल-सफा ह्यूमैनिटेरियन चैरिटी एसोसिएशन और ह्यूमैनिटेरियन एक्शन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर अब्दुल माने अल-अजमी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, 'भारत सुरक्षा और शांति का देश है जिसमें लोग परस्पर सम्मान से रहते हैं, लेकिन कुछ संगठनों और लोगों की हरकतें भारत की सुंदरता को खराब हो रही है।'
कुवैत बार एसोसिएशन के डायरेक्टर बोर्ड के सदस्य खालिद अल-सुइवान लिखते हैं, 'भारत में हिंसा आंतरिक मामला नहीं है जैसा कि कुछ लोग दावा किया करते हैं, लेकिन यह मानवता के खिलाफ एक अपराध है और अंतरराष्ट्रीय चुप्पी के साथ नस्लवाद का जघन्य अभ्यास है जो हो रहा है वह मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी की वजह से है।'
संयुक्त अरब अमीरात की प्रमुख कारोबारी हेंड फैसल अल कासमी लिखती हैं, 'यूएई और भारत पुराने दोस्त हैं, कुछ अज्ञानी चरमपंथी दो उभरते देशों के बीच संबंधों को प्रभावित नहीं करेंगे। हमें नफरत के बजाय प्यार की मिसाल बनना चाहिए। जो आप बना सकते हैं। इसके अलावा मुझे अपनी बॉलीवुड फिल्में और पनीर नान बहुत पसंद हैं।'
ग्रैंड मस्जिद के इमाम डी माजेद जाबेर अल-अंजी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैंने भारत में कई हिंदू मंदिरों का दौरा किया है और वहां के मुसलमानों के लिए भी सबके लिए सहिष्णुता पाई है। तो वहां एक मुस्लिम के खिलाफ आतंकवादी तत्व क्यों हैं?' उन्होंने मंदिर के दौरे की कुछ तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।
वहीं संयुक्त अरब अमीरात में भारत के पूर्व राजदूत नवदीप सूरी ने भी इसको लेकर ट्वीट किए हैं। अपने ट्वीट्स में उन्होंने लिखा, 'चल रहे विवाद पर कुछ संदर्भ प्रदान करने का मेरा प्रयास-
(ए) संयुक्त अरब अमीरात सहिष्णुता को बढ़ावा देता है और 2109 को सहिष्णुता के वर्ष के रूप में मनाया गया है।
(बी) अबू धाबी में एक प्रमुख हिंदू मंदिर की अनुमति देने के अलावा, वे एक ही परिसर में एक चर्च, एक मस्जिद और एक आराधनालय का निर्माण भी कर रहे हैं।
(सी) संयुक्त अरब अमीरात में अभद्र भाषा के खिलाफ कड़े कानून हैं। यह सभी धर्मों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी पर लागू होता है।
(डी) पवन कपूर (संयुक्त अरब अमीरात में वर्तमान भारतीय राजदूत) ने हमारे भारतीय समुदाय को सतर्क कर दिया है।
(ई) भारत से निकलकर नफरत फैलाने वाले भाषण एक और मामला है। यह भारत-यूएई की दोस्ती से नाखुश लोगों को चारा प्रदान करता है।
(एफ) संयुक्त अरब अमीरात एक रणनीतिक साझेदार है - हमारा तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार, एफडीआई का स्रोत, ऊर्जा सुरक्षा में भागीदार, 3.4 मिलियन भारतीयों का घर है, जिन्होंने अपने परिवारों को 17 बिलियन डॉलर अपने परिवारों को भेजते हैं।
(जी) द्विपक्षीय संबंध मजबूत हैं और यह जारी रहेंगे। लेकिन अनावश्यक विवाद मदद नहीं करेगा
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के युवा सांसद तेजस्वी सूर्या ने 2015 में लेखक तारिक फतेह के हवाले से अरब की महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसके बाद से अरब देशों के नेता और आम नागरिक ने इसके खिलाफ सख्त ऐतराज जता रहे हैं। हालांकि तेजस्वी सूर्या ने विवाद बढ़ने के साथ ही यह ट्वीट डिलीट कर दिया है लेकिन लोग उसका स्क्रीनशॉट को शेयर कर उनपर जमकर निशाना साध रहे हैं।
यही नहीं अरब देश के नेता भारत में हाल के वर्षों में मुस्लिमों के खिलाफ बढ़ रही हिंसक और भेदभाव की घटनाओं को लेकर भी आक्रोशित हैं। जिसको देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए एक ट्वीट कर कहा था, 'कोविड-19 हड़ताली से पहले जाति, धर्म, रंग, जाति, पंथ, भाषा या सीमाओं को नहीं देखता है। इसलिए हामरी प्रतिक्रिया और आचरण में एकता और भाईचारे को प्रधानता दी जानी चाहिए।'
इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय राजदूत पवन कपूर ने इस ट्वीट को रिट्वीट कर कहा था, 'भारत और संयुक्त अरब अमीरात किसी भी आधार पर गैर-भेदभाव के मूल्य को साझा करते हैं। भेदभाव हमारे नैतिक ताने-बाने और कानून के नियम के खिलाफ है। संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय नागरिकों को हमेशा यह याद रखना चाहिए।