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आसान नहीं सुमित हृदयेश की पहली पारी

Prema Negi
26 Oct 2018 12:50 PM GMT
आसान नहीं सुमित हृदयेश की पहली पारी
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सुमित की ढेरों मुश्किलों में क्या ये मुश्किल कम बड़ी नहीं कि सुमित की राजनीतिक योग्यता में सिर्फ मां का राजनीतिज्ञ होना है, जबकि प्रतिद्वंद्वी जोगेंद्र रौतेला लगातार सभासद और अब मेयर हैं, वो भी बेदाग छवि के साथ...

हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट

उत्तराखण्ड निकाय चुनाव में हल्द्वानी से मेयर कांग्रेस के प्रत्याशी सुमित हृयदेश हैं, जिनकी ये पहली राजनीतिक पारी है। पिछले विधानसभा चुनाव से इस सीट के लिए दर्जनों कार्यकर्ताओं को अस्वासन मिलता रहा है, इसलिए भ्रम की स्थिति लंबे समय तक बरकरार रही।

हालात ये थे कि जो भी स्थानीय विधायक के पास मेयर की आस से जाता वो उसे हामी में उत्साहित-प्रफुल्लित कर ही लौटाती थी। इसलिए टूटे सपने लिए बैठे कहां-कहां, कैसे-कैसे सुमित की राह में शूल साबित होंगे कहा नहीं जा सकता।

और कई वजहें हैं जिनसे सुमित की यह पहली पारी मुश्किल में पड़ सकती है, लेकिन पहले ये जान लें कि सुमित उत्तराखंड की कद्दावर राजनीतिज्ञ इंदिरा हृयदेश के सुपुत्र हैं जो स्थानीय विधायक के साथ नेता प्रतिपक्ष भी हैं।

सुमित की ढेरों मुश्किलों में क्या ये मुश्किल कम बड़ी नहीं कि सुमित की राजनीतिक योग्यता में सिर्फ मां का राजनीतिज्ञ होना है, जबकि प्रतिद्वंद्वी जोगेंद्र रौतेला (भाजपा) लगातार सभासद और अब मेयर हैं, वो भी बेदाग छवि के साथ।

एक बड़ी मुश्किल का नाम है ललित जोशी के सपोर्टर। ललित जोशी पिछले 25 वर्षों से कांग्रेस के साथ राजनीति में सक्रिय हैं, जो पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और राज्य आंदोलनकारी भी हैं। ललित को पिछले निकाय चुनाव की तरह इस बार भी अंधेरे और आश्वासन ही नसीब हुए, जिससे उनके सपोर्टर और हितैषी बहुत ज्यादा नाराज हैं। खुद ललित जोशी नामांकन वाले दिन बतौर कांगेसी साथ थे, पर तल्खियां उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थीं।

सबसे घातक हैं सुमित के वे सपोर्टर जो उनके कार्यालय और जुलूसों में दिखाई तो देते हैं पर अपनी बनाये रखने के लिए 'सेकेंड लियर' को सुमित से दूर रखते हैं, जबकि वही असली वोटर भी हैं और उनका दायरा कार्यालय और जुलूस में दिखने वाले सपोर्टर्स से कई गुना बड़ा है। इस तरह के सपोर्टर्स में जब वकील ही शामिल हों तो राह की मुश्किलें आसानी से समझी जा सकती है।

चूंकि इस बार निगम में गांव शामिल किए जाने 25 की जगह 60 वार्ड हैं, जो दो अन्य विधानसभाओं के अंदर है जहां वर्तमान में भाजपा के विधायक इसलिए वोटर आसानी से कांग्रेस के पक्ष में जाने का मन नहीं बनाएगा। शायद इसलिए आमजन को कहते सुना जा रहा कि मेयर सीट निकालने के लिए कांग्रेस ने उक्त विधानसभा के बागियों की घर वापसी करा ली है।

सुमित की पहली पारी को लेकर स्थानीय विधायक के संशय का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे सेलिब्रेटियों को बुलाने की बात कर रहीं है, जिनमें मुख्य रूप से फ़िल्म अभिनेता व कांग्रेस अध्यक्ष (उत्तर प्रदेश) राज बब्बर तथा पर्व मुख्यमंत्री (दिल्ली) शीला दीक्षित होंगे। यदि ऐसा हुआ तो नवोदित राज्य के निकाय चुनावों में यह पहली बार होगा।

बहरहाल प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ने को लेकर कांग्रेस के सारे गुट संशय में ही नजर आ रहे है और कई शूलों से सुमित की राह कैसे साफ होगी ये अब उनकी रणनीति से ही तय हो पायेगा।

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