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चुनावी पड़ताल 2019

उत्तराखंड के बासुलीसेरा में ग्रामीणों ने नहीं किया मतदान, प्रशासन ने बाहर से कर्मचारी बुलाकर डलवाये वोट

Prema Negi
11 April 2019 6:06 PM IST
उत्तराखंड के बासुलीसेरा में ग्रामीणों ने नहीं किया मतदान, प्रशासन ने बाहर से कर्मचारी बुलाकर डलवाये वोट
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ग्रामीणों ने कहा शासन-प्रशासन उन्हें बना रहा है बेवकूफ, यदि हम पर से झूठा केस नहीं लिया वापस और हमारे खेतों के ऊपर इसी तरह जबरन 132 केवी हाईटेंशन विद्युत लाइन डाली गई तो आगामी पंचायत चुनावों का भी हम करेंगे बहिष्कार, नहीं करेंगे मतदान...

बग्वालीपोखर, उत्तराखण्ड, जनज्वार। उत्तराखण्ड के द्वाराहाट विधानसभा स्थित बासुलीसेरा में बने बूथ नंबर 101 का मतदान केंद्र एकदम सूना रहा, जबकि यहां से 884 वोटर हैं। इसका कारण है बासुलीसेरा में बिना ग्रामीणों की अनुमति के जबरन डाली जा रही 132 केवी हाईटेंशन लाइन।

गौरतलब है कि आज देशभर में कई जगहों पर लोकसभा चुनावों के लिए पहले चरण का मतदान किया गया है। इसी के तहत उत्तराखण्ड की पांचों संसदीय सीटों के लिए आज मतदान हुआ।

जानकारी के मुताबिक विद्युत विभाग एवं प्रशासन द्वारा इसी साल जनवरी माह में द्वाराहाट स्थित बासुलीसेरा के ग्रामीणों पर बल प्रयोग के लिये पुलिस टुकड़ियाँ भेजी गई थीं। इतना ही नहीं ग्रामीणों पर विद्युत विभाग द्वारा सिविल कोर्ट अल्मोड़ा में एक झूठी याचिका भी दायर की गई थी, जिसके विरोध में आज 11 अप्रैल को ग्राम हाट-नौसार के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनावों का पूर्ण बहिष्कार किया।

मगर प्रशासन की चालाकी देखिए कि ग्रामीणों के बहिष्कार की खबर छुपाने और अपनी नाक बचाने के लिए बाहर से चार वाहनों में सरकारी कर्मचारी बुलवाकर यहां वोट डलवा लिए। द्वाराहाट में चुनाव केंद्र होने के कारण रिजर्व में रखे गए लगभग चार दर्जन सरकारी कर्मचारी आनन-फानन में बुलवाकर मतदान केंद्र के पूर्ण बहिष्कार से बचा लिया गया।

गौरतलब है कि ग्रामीण लंबे समय से 132 केवी हाईटेंशन विद्युत लाईन का विरोध कर रहे हैं, इसलिए कोई भी राजनीतिक पार्टी गाँव में विरोध के डर से प्रचार करने तक नहीं आई। किसी भी पार्टी ने नाराज़ ग्रामीणों को मनाना उचित नहीं समझा। मात्र क्षेत्रीय दल यूकेडी ग्रामीणों के साथ खड़ा रहा। महीने भर पहले ही ग्रामीण ऐलान कर चुके थे कि वह इन चुनावों का बहिष्कार करेंगे। इसके तहत सभी प्रमुख समाचार पत्रों में खबर भी प्रकाशित हुई थी।

ग्रामीणों का पूर्ण तौर पर इस तरह मतदान का बहिष्कार न सिर्फ शासन प्रशासन बल्कि विपक्ष में बैठे राजनीतिक दलों के लिए भी बहुत बड़ी नाकामी है। यहां तक की किसी भी पार्टी को हाट-नौसार बूथ पर अपना एजेंट तक नसीब नहीं हुआ। यहां बीजेपी ने दो एजेंट नियुक्त किये थे, अंत में उन्होंने भी अपनी पार्टी का साथ छोड़ते हुए मन्दिर में जाना उचित समझा। इससे सत्तासीन भाजपा की भी बहुत किरकिरी हुई।

आज दिनभर ग्रामीण कालिका मंदिर में बैठकर भजन-कीर्तन करते रहे, कोई भी वोट डालने नहीं गया। ग्रामीणों का कहना है, शासन-प्रशासन उन्हें बेवकूफ़ समझ रहा है। यदि हम पर से झूठा केस वापस नहीं लिया गया और उनके खेतों के ऊपर इसी तरह जबरन 132 केवी हाईटेंशन विद्युत लाइन डाली गई तो आगामी पंचायत चुनावों का भी बहिष्कार किया जाएगा।

सेरा बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष इन्द्र सिंह बोरा का कहना है, प्रशासन ने ग्रामीणों के आंदोलन को तोड़ने की पूरी कोशिश करते हुए उन्हें आपस में लड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हाट-नौसार के लोग एकजुट हैं। नौसार के ग्राम प्रधान नवीन कठायत कहते हैं, हम सभी लोग एकजुट हैं। हमारे लिए अपना गांव और सेरा पहले है, पार्टियां बाद में।

हाट-नौसार की ग्राम प्रधान दीपा देवी कहती हैं, जब हमें पीटने के लिए पुलिस बल भेजा गया था, तब राजनीतिक दल कहाँ थे। किसी को भी वोट देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मंदिर में जब देशभर में मतदान हो रहा था यहां के गोपाल भंडारी, विमल बिष्ट, लाल सिंह, गीता देवी, सरपंच राजेन्द्र अधिकारी, नंदी देवी, चम्पा देवी, श्याम सिंह, सोनू नेगी, जगत सिंह, पूरन सिंह, मोहन सिंह, भुवन चंद्र, मोहन राम, ख्याली राम, गोपुली देवी, राधा देवी समेत अनेक ग्रामीणों ने मंदिरों में बैठकर शासन-प्रशासन की सद्बुद्धि की कामना करते हुए अपनी मांगों के लिए मतदान का बहिष्कार मत न डालकर किया।

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