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नेपाल की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी ने अपने देश को धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने के लिए व्यापक संघर्ष चलाया, जिसके परिणाम स्वरूप 2006 में नेपाल में हिन्दू राजशाही का अंत हो गया। धर्म एक निजी विचार है और राष्ट्रीयता का निर्माण धर्म के आधार पर नहीं होनी चाहिए...
नई दिल्ली। एसोसिएशन ऑफ पीपुल ऑफ साउथ एशिया के तत्वावधान में कल 22 मई को दिल्ली में भारत-नेपाल जन संबंध पर संक्षिप्त चर्चा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर एपीए के संयोजक और गांधी ग्लोबल फैमिली के महासचिव राम मोहन राय (एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया) ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच बार्डर खुला है, लेकिन खिडकियां बंद हैं। नेपाल के बारे में भारत में लोगों को बहुत कम जानकारी है। राय ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच जनता के स्तर पर संवाद का होना बहुत जरूरी है।
इस आयोजन में अपनी बात रखते हुए नेपाली मामलों के जानकार और पत्रकार विष्णु शर्मा ने कहा कि अब नेपाल एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है और भारत को उसके प्रति अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। आज भी भारत में यह अवधारणा आम है कि नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र है, जबकि नेपाल की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी ने अपने देश को धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने के लिए व्यापक संघर्ष चलाया, जिसके परिणाम स्वरूप 2006 में नेपाल में हिन्दू राजशाही का अंत हो गया। धर्म एक निजी विचार है और राष्ट्रीयता का निर्माण धर्म के आधार पर नहीं होनी चाहिए।
चर्चा में दखल करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. शंकर लाल शर्मा, प्रसिद्ध चित्रकार हेना चक्रबर्ती, सुभाष चक्रबर्ती, भगत सिंह से दोस्ती मंच के संयोजक, हरिजन सेवक संघ के युवा विंग के संयोजक रूपेश, एपीए की केंद्रीय समिति की सदस्य बबिता चौधरी ने लोकतंत्र के विकास और विस्तार में महात्मा गांधी के विचार को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों को बढावा दिया और वे धर्म और राज्य को अलग अलग रखने के हिमायती थे।
कार्यक्रम में अंत में धन्यवाद देते हुए आयोजकों की ओर से साहित्यकार और समाजसेवी तरुण शर्मा ने कहा कि इस तरह के संवाद का आयोजन देशभर में किया जाना चाहिए, ताकि दोनों देशों के लोग एक दूसरे को जान सकें।