भाजपाइयों के इशारे पर पंचेश्वर बांध की जनसुनवाई में हुई गुंडागर्दी
अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी स्थित ब्लॉक कार्यालय में पंचेश्वर बाँध को लेकर चल रही जन सुनवाई में उस वक़्त बेहद शर्मनाक स्थिति पैदा हो गयी, जब भाजपा नेता सुभाष पाण्डे के उकसाने पर भाजपाई गुंडों ने नैनीताल समाचार के सम्पादक व उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध जनांदोलनकारी राजीव लोचन साह के साथ धक्का-मुक्की की और उन्हें बोलने से रोक दिया...
जगमोहन रौतेला, वरिष्ठ पत्रकार
अल्मोड़ा। अल्मोड़ा व चम्पावत जिलों के सीमान्त में बनने वाले एशिया के दूसरे सबसे बड़े बांध पंचेश्वर के लिए इन दिनों तीनों जिलों में जनसुनवाईयों का दौर चल रहा है। चम्पावत व पिथौरागढ़ में जनसुनवाई की खानापूर्ति कर दी गई है।
जहां भाजपा ने सत्ता के बल पर प्रभावित क्षेत्र के लोगों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया था और लोगों का मुँह बंद करने की कोशिश की, वही रवैया भाजपा के नेताओं ने आज 17 अगस्त 2017 को अल्मोड़ा जिले की जनसुनवाई के दौरान भी दोहराने की कोशिश की।
अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी के ब्लॉक कार्यालय में पंचेश्वर बाँध को लेकर चल रही जन सुनवाई में उस वक़्त बेहद शर्मनाक स्थिति पैदा हो गयी, जब भाजपा नेता सुभाष पाण्डे के उकसाने पर भाजपाई गुंडों ने नैनीताल समाचार के सम्पादक व उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध जनांदोलनकारी राजीव लोचन साह के साथ धक्का-मुक्की की और उन्हें बोलने से रोक दिया।
भाजपाइयों के इशारे पर सत्ता के दबाव में पुलिस ने भी साह के साथ बदतमीजी की और उन्हें धक्का मार कर उस हॉल से बाहर निकाल दिया जहां बांध को लेकर जनसुनवाई चल रही थी। चिंताजनक बात यह है कि उस वक़्त गोविन्द सिंह कुंजवाल और अल्मोड़ा के जिलाधिकारी सहित अनेक जन प्रतिनिधि, अधिकारी और डॉ शमशेर सिंह बिष्ट व विमल भाई जैसे लोग हाल में मौजूद थे।
बकौल वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह, 'मैं जन सुनवाई में किसी तरह का सक्रिय विरोध करने नहीं गया था, बल्कि यह तर्क रखने गया था कि 5,000 मेगावाट बिजली बनाने के लिये हजारों लोगों की ज़िन्दगी तबाह करना या प्रकृति को नष्ट करना जरूरी नहीं है। 5, 000 छोटी परियोजनाओं से यह काम बेहतर ढंग से किया जा सकता है। धौलादेवी के ब्लॉक कार्यालय में पंचेश्वर बाँध को लेकर चल रही जन सुनवाई में उस वक़्त बेहद शर्मनाक स्थिति पैदा हो गयी, जब अपने नेता सुभाष पाण्डे के उकसाने पर भाजपाई गुंडों ने मेरे साथ धक्का-मुक्की की और मुझे बोलने से रोक दिया।'
राजीव लोचन साह आगे कहते हैं कि 'भाजपाइयों के इशारे पर पुलिस ने धक्का मार मुझे हॉल से बाहर निकाल दिया। उस वक़्त गोविन्द सिंह कुंजवाल और जिलाधिकारी अल्मोड़ा सहित तमाम जन प्रतिनिधि, अधिकारी और डॉ शमशेर सिंह बिष्ट व विमल भाई जैसे कार्यकर्ता हाल में मौजूद थे।'
'मैं अपनी बात रखने के लिए डेढ़ घंटे लाइन में लगा रहा। अपनी बारी आने पर ज्यों ही मैंने माइक पकड़ा, सुभाष पाण्डे, जो जो पिछले विधानसभा चुनाव में जागेश्वर से भाजपा प्रत्याशी थे और उससे पहले तक उत्तराखण्ड क्रान्ति दल में थे, ने आपत्ति की कि डूब क्षेत्र के बाहर के लोग नहीं बोल सकते हैं।
उनके यह कहते ही भाजपा के एक दर्जन से अधिक गुंडे मुझ पर झपट पड़े, जबकि मुझसे पहले पीसी तिवारी सहित डूब क्षेत्र के बाहर के अनेक लोग बोल चुके थे। मजेदार बात यह है कि स्वयं सुभाष पाण्डे डूब क्षेत्र के नहीं हैं। पच्चीस साल पहले टेहरी बाँध के विरोध में चल रहे आंदोलन में डॉ बीडी शर्मा जैसे विख्यात आंदोलनकारियों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा था। लेकिन जोर जबर्दस्ती कर बाँध बना ही दिया गया। उसके दुष्परिणाम हम झेल रहे हैं। आज फिर हम एक और जन सुनवाई का ढकोसला देख रहे हैं।'
गौरतलब है कि भाजपा विधायक बिशनसिंह चुफाल के इशारे पर इसी तरह की घटना उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के शीर्ष नेता व पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी के साथ भी पिछले 11 अगस्त को पिथौरागढ़ में हुई कथित जनसुनवाई के दौरान भी ऐसा ही किया गया था। वहां ऐरी को सुनवाई स्थल पर जाने से रोकने के लिए जिला प्रशासन ने मुख्य गेट पर ताला लगा दिया था।
काशी सिंह ऐरी बाद में जबरन गेट के ऊपर से कूदकर सुनवाई स्थल पर पहुँचे थे। वे वहां बांध प्रभावितों के पक्ष में अपनी कोई बात रखते उससे पहले ही डीडीहाट के भाजपा विधायक बिशन सिंह चुफाल ने उन्हें बोलने से रोकने की कोशिश की, जिस कारण ऐरी व चुफाल में जमकर तू तू , मैं मैं हुई।
दोनों के मध्य बढ़ती तकरार के बीच वहां भी भाजपा के स्थानीय नेता पुलिस के बल पर ऐरी से अपनी बात कहने में सफल रहे थे, जिससे क्रोधित ऐरी ने जनसुनवाई का बहिष्कार करते हुए उसे बांध प्रभावितों के साथ केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा भद्दा मजाक करार दिया था।
(लेखक उत्तराखण्ड में जनसरोकारों से जुड़े वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)