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संस्कृति

घर में अकेली औरत के लिए

Janjwar Team
18 Aug 2017 9:57 AM GMT
घर में अकेली औरत के लिए
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सप्ताह की कविता में आज पढ़िए हिंदी के ख्यात कवि चंद्रकांत देवताले की कविताएं

मैं अपने को लड़ते हुए देखना चाहता हूं /नेक और कमजोर आदमी जिस तरह एक दिन / चाकू खुपस ही देता है फरेबी मालिक के सीने में ... यह चंद्रकांत देवताले हैं जिनके पास ‘दूध के पहाड, पत्‍थर रोशनी’ के साथ लड़ने और खुद को लड़ता देखने का माद्दा भी है। चमत्‍कारी बिम्‍बों-प्रतीकों के बावजूद इस तरह बेलाग-लपेटे की भाषा में अपनी पीड़ा की अभिव्‍यक्ति की यह सामर्थ्‍य देवताले की पहचान है।

आज पूंजी के विश्‍वव्‍यापी प्रपंच ने जिस तरह दसों दिशाओं को यमराज की दिशा बना दिया है, उसकी स्‍पष्‍ट पहचान है देवताले के यहां –आज जिधर भी पैर करके सोओ/ वही दक्षिण दिशा हो जाती है / सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान मकान हैं। इसके बावजूद कवि का आत्‍मविश्‍वास प्रबल है कि कहीं दूर नक्षत्रों की तरह चमकता अपनी उंगलियां बढ़ाता, वह घोषणा करता है – हत्‍यारे कुछ नहीं बिगाड़ सकते / वे नहीं जानते ठिकाने / रहस्‍य सुंदरता के...

भाषा में रोमान को तरजीह देने वाले देवताले के यहां जनहित में प्रतिरोध की आवाज जितनी बुलंद है, वैसा कम कवियों के यहां है। विश्‍व बाजार के उंटों के लिए उनकी कविताएं पहाडों की तरह हैं क्‍योंकि वे देख पाते हैं – जूठन बटोरते बच्‍चों /और अन्‍नदाताओं की आत्महत्याओं पर / देश जितना बड़ा चमकदार परदा डाल देना...

आज हम देख सकते हैं कि देशरूपी यह परदा किस तरह हर अपराध की ओट बनता जा रहा है। पर देवताले इसकी मुखालफत बेलाग-लपेटे के करते हैं – हम विरोध करते हैं तुम्‍हारा /देश भर की समुद्रों जैसी भाषाओं वाली / कविताओं की काली जुबानें दिखाते हैं। अब कुछ दिन पहले देवताले का देहांत हो गया, आएं पढ़ें उनकी कुछ कविताएं - कुमार मुकुल

घर में अकेली औरत के लिए

तुम्हें भूल जाना होगा समुद्र की मित्रता
और जाड़े के दिनों को
जिन्हें छल्ले की तरह अंगुली में पहनकर
तुमने हवा और आकाश में उछाला था
पंखों में बसन्त को बांधकर
उड़ने वाली चिडिया को पहचानने से
मुकर जाना ही अच्छा होगा...

तुम्हारा पति अभी बाहर है तुम नहाओ जी भर कर
आइने के सामने कपड़े उतारो
आइने के सामने पहनो
फिर आइने को देखो इतना कि वह तड़कने को हो जाए
पर तड़कने के पहले अपनी परछाई हटा लो
घर की शान्ति के लिए यह ज़रूरी है
क्योंकि वह हमेशा के लिए नहीं
सिर्फ़ शाम तक के लिए बाहर है
फिर याद करते हुए सो जाओ या चाहो तो अपनी पेटी को
उलट दो बीचोंबीच फ़र्श पर
फिर एक-एक चीज़ को देखते हुए सोचो
और उन्हें जमाओ अपनी-अपनी जगह पर

अब वह आएगा
तुम्हें कुछ बना लेना चाहिए
खाने के लिए और ठीक से
हो जाना होगा सुथरे घर की तरह
तुम्हारा पति
एक पालतू आदमी है या नहीं
यह बात बेमानी है
पर वह शक्की हो सकता है
इसलिए उसकी प्रतीक्षा करो
पर छज्जे पर खड़े होकर नहीं
कमरे के भीतर वक्त का ठीक हिसाब रखते हुए
उसके आने के पहले
प्याज मत काटो
प्याज काटने से शक की सुरसुराहट हो सकती है
बिस्तर पर अच्छी किताबें पटक दो
जिन्हें पढ़ना कतई आवश्यक नहीं होगा
पर यह विचार पैदा करना अच्छा है
कि अकेले में तुम इन्हें पढ़ती हो...

यमराज की दिशा

माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे ईश्वर से उसकी बातचीत होते रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुःख बर्दास्त करने का रास्ता खोज लेती है

माँ ने एक बार मुझसे कहा था
दक्षिण की तरफ़ पैर कर के मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नही है

तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में

माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरुर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा

मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और हमेशा मुझे माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता

पर आज जिधर पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आंखों सहित विराजते हैं

माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी अब वह नहीं रही
जो माँ जानती थी।

अन्तिम प्रेम

हर कुछ कभी न कभी सुन्दर हो जाता है
बसन्त और हमारे बीच अब बेमाप फासला है
तुम पतझड़ के उस पेड़ की तरह सुन्दर हो
जो बिना पछतावे के
पत्तियों को विदा कर चुका है

थकी हुई और पस्त चीजों के बीच
पानी की आवाज जिस विकलता के साथ
जीवन की याद दिलाती है
तुम इसी आवाज और इसी याद की तरह
मुझे उत्तेजित कर देती हो

जैसे कभी- कभी मरने के ठीक पहले या मरने के तुरन्त बाद
कोई अन्तिम प्रेम के लिए तैयार खड़ा हो जाता है
मैं इस उजाड़ में इसी तरह खड़ा हूँ
मेरे शब्द मेरा साथ नहीं दे पा रहे
और तुम सूखे पेड़ की तरह सुन्दर
मेरे इस जनम का अंतिम प्रेम हो।

Janjwar Team

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