ये मासूम किसी सेलिब्रेटी शो का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि ये वो बच्चे हैं जिनके माता—पिता ने कर्ज के कारण आत्महत्या कर ली है। हजारों किलोमीटर की यात्रा तय करके दिल्ली के जंतर—मंतर पहुंचे ये बच्चे सरकार से सवाल कर रहे हैं कि हमारे मां—बाप का गुनाह क्या है कि उन्होंने अपने लिए मौत चुनी और अब हमारा भविष्य क्या होगा।
मंदसौर से चली 'किसान मुक्ति यात्रा' आज 18 जुलाई को दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुँच गई है, जिसमें देशभर के हज़ारों किसानों समेत 200 किसान संगठन शामिल हुए हैं। इस यात्रा में महाराष्ट्र के वो अनाथ बच्चे भी शामिल हुए हैं, जिनके किसान पिताओं ने कर्ज के कारण आत्महत्या कर ली थी।
अपने पिता को खो चुका ऐसा ही एक मासूम कहता है कि कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके मेरे पिता और अन्य शहीद किसानों की आत्मा को शांति तभी मिलेगी, जब किसान कर्जमुक्त होंगे।
ये बच्चे किसान मुक्ति यात्रा के साथ जंतर—मंतर पर अपना दर्द बयां करने पहुंचे हैं, कि बगल में मौजूद सांसदों के कानों तक भी उनकी आवाज पहुंचे और क्या पता वो बच्चों के भविष्य की कोई सुध ले किसानों के हक में कोई फैसला ले लें।
किसान नेता उम्मीद करते हैं कि कुछ सांसद हैं जिन्होंने किसानों की लड़ाइयां लड़ी हैं और ख़ुद को किसान-हितैषी भी बताते हैं। इसलिए किसानों की ये न्यूनतम अपेक्षा होगी कि उनके सांसद पाँच मिनट दूर स्थित जंतर मंतर पहुँचकर अपने अन्नदाता के आगे मत्था टेके, उनकी पीड़ा समझे, मंदसौर के शहीदों को श्रद्धांजलि दें और कृषि, किसान और देश बचाने के आंदोलन को मजबूत करें।
गौरतलब है कि स्वराज इंडिया ने विभिन्न किसान संगठनों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश के मंदसौर से किसान मुक्ति यात्रा शुरू की थी। ढाई हजार किलोमीटर लंबी यह यात्रा किसानों के विभिन्न सवालों के साथ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व गुजरात होते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पहुंची है।