Begin typing your search above and press return to search.
जनज्वार विशेष

माओ ने इसी गांव से की थी 'लॉन्ग मार्च' की शुरुआत

Janjwar Team
18 Sep 2017 8:54 AM GMT
माओ ने इसी गांव से की थी लॉन्ग मार्च की शुरुआत
x

चीन को दुनिया के शीर्ष पर ले जाने वाले चीनी कम्युनिस्ट नेता माओ त्से तुंग को वहां की जनता अब भी गर्व से महसूस करती है और लाल सेना की कर्मठ यादों की ताजगी के लिए हर साल करोड़ों पर्यटक उस गांव जाते हैं, जो क्रांति का पहला आधार क्षेत्र बना था...

चीन के चिंगकांगशान गांव से जय प्रकाश पांडे की रिपोर्ट

चिंगकांग के पहाड़ों पर चीनी क्रांति की विजय गाथा जीवंत है। इन पहाड़ों पर आज भी मोर्टार, दुश्मन के हमलों से बचने के लिए खोदी गई खाइयां मौजूद हैं। चेयरमैन माओ त्से तुंग, मार्शल चू द और चोउ एनलाई के कमरे।

इन नेताओं द्वारा प्रयोग में लाई गई वस्तुएं चीनी जनता के संघर्ष के ग्वाह रहे गांव ताचिंग (जो अब म्युजियम बन गया है ) में सुरक्षित हैं। लाल सेना का पहला अस्पताल भी इसी गांव में बना था। उसमें घायल सैनिकों के इलाज के लिए लगाए गए तख्त, दवाओं के बर्तन ये सब क्रांति के बारे में बयां करते हैं।

चिंगकांगशान म्यूजियम : लाल आर्मी को संबोधित करते माओ

चिंगकांगशान हुनान और चियांगशी राज्यों की सीमा पर होने के साथ ही छापामार युद्ध के लिए अनुकूल था। 1934 में लॉन्ग मार्च की शुरुआत भी चियांगशी से ही हुई थी।

चिंगकांगशान चीन के चियांगशी राज्य में है। चिंगकांग पहाड़ का नाम है जबकि शान का मतलब चीनी में पहाड़ी से है। इस पहाड़ी को चीनी क्रांति में विशेष दर्जा हासिल है। इसी इलाके में कम्युनिस्ट पार्टी का पहला आधार क्षेत्र और पहले किसान कम्यून का गठन हुआ था। इसके अलावा यहां से लॉग मार्च की भी शुरुआत हुई थी।

पहाड़ी की तलहटी पर बसा कस्बा चिंगकांगशान के नाम से जाना जाता है। यहां क्रांति का म्यूजियम है। इसमें लाल सेना के हथियार, कपड़े और क्रांतिकारियों की फोटो हैं या जिनकी तस्वीर नहीं रही होगी उनकी पेंटिंग हैं।

एक ऐसी ही पेंटिंग पार्शल चू द की पत्नी वू की है। जब वह कुआमिंगतांग की सेना द्वारा पकड़ी गई उस समय गर्भवती थीं। चू द का पता न बताने पर उनकी गर्दन काट दी गई थी। यहां क्रांति की घटनाएं लिखित रूप में भी हैं। इसके अलावा एक कमरे की पूरी दीवार पर लगी एलसीडी से इतिहास को बताया जाता है। पिछले साल इस म्यूजियम में दस लाख लोग आए थे। बाजार में क्रांतिकारी गीत गाने के लिए एक चबूतरा भी। शाम को इस चबूतरे पर लोग जनगीत भी गाते हैं।

पर्यटक लाल सेना के ड्रेस पहनते हैं और उन जगहों पर बैठकर चर्चाएं करते हैं जहां लाल सेना रणनीति बनाती थी

नए चीन के निर्माण के 67 साल बाद भी जनता में क्रांति का उत्साह कम नहीं हुआ है। वे क्रांति से जुड़े इलाकों में जाते हैं। इनमें युवा और बुजुर्ग दोनों शामिल हैं। नई पीढ़ी के लोग यहां आकर इतिहास की समझ बढ़ाते हैं तो उम्रदराज लोग कम्युनिस्ट आंदोलन का अहसास तरोताजा करते हैं। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी की विजय को चियर्स करते हैं।

क्रांति दौर में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी की ड्रेस आसमानी कलर की हुआ करती थी। यह अब ड्रेस या तो म्यूजियम में दिखती है या फिर पर्यटकों के पास। चिंगकांगशान में कई टोलियां बैनर के साथ लाल सेना के कपड़े पहनकर निकलती हैं। ऐसा नहीं कि ड्रेस का मतलब पैंट और शर्ट से है।

इसमें जूते, कैप और पांव में पैंट के बाहर से लपेटी जाने वाली पट्टी से लेकर बैग भी शामिल है। यह कपड़े खरीदने में लोग 6 से 7 सौ युआन तक खर्च करते हैं। यहां वे दो तीन दिन इसी ड्रेस में घूमते हैं। चिंगकांगशान के बाजार में कई दुकानें लाल सेना से जुड़े सामान की हैं।

तस्वीर में सफेद टी शर्ट में इस रिपोर्ट के लेखक जय प्रकाश पांडे हैं। सभी तस्वीरें जय प्रकाश पांडे ने ही ली हैं।

क्रांति से जुड़े इलाकों को सरकार ने संरक्षित किया और पर्यटन से जोड़ा है। इन पहाड़ों पर जाने का बकायदा टिकट देना होता है। यह पर्यटन रेड टूरिज्म के नाम से जाना जाता है। चीन में यह बड़ी इंडस्ट्री है। पिछले साल ऐसे पर्यटक स्थलों पर चियांगशी राज्य में ही 47 करोड़ पर्यटक आए। इस उद्योग से लगभग 50 करोड़ राजस्व आया।

अप्रैल 1927 में शंघाई नरसंहार के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने गांवों को रणनीतिक तौर पर चुना था। इसमें चिंगकांगशान का इलाका भी शामिल था। इसी साल अक्टूबर में कम्युनिस्ट पार्टी ने चिंगकांगशान में पहला आधार क्षेत्र बनाया था।

छाईपिंग और ताचिंग कम्युनिस्ट आंदोलन के केंद्र थे, इन दो गांवों ने कई बार कुआमिंगतांग की सेना का दमन झेला। इनको जलाया भी गया था। दीवारों पर गोलियों के निशान आज भी सुरक्षित रखे हैं ताकि नई पीढ़ी को पता चल सके, मौजूदा चीन ऐसे ही नहीं बना है।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध