जेएनयू हिंसा के वक्त दिल्ली पुलिस के पास आयी थीं 11 शिकायतें, मगर बजाय कार्रवाई के फॉरवर्ड कर दिया SIT के पास
एक प्रोफेसर, 3 एबीवीपी छात्रों और जेएनयू छात्रसंघ से जुड़े 7 छात्रों की तरफ से की गयी थी दिल्ली पुलिस के पास शिकायत, मगर बजाय कार्रवाई के स्थानीय पुलिस ने इन्हें अपराध शाखा (SIT) को कर दिया गया था फॉरवर्ड...
जनज्वार। JNU मामले में 6 जनवरी को यानी जिस दिन जेएनयू में हिंसा का तांडव मचा था और लगभग 40 छात्रों को बुरी तरह पीटा गया था, कैंपस के अंदर से दिल्ली पुलिस के पास 11 शिकायतें की गयी थीं, मगर बजाय कार्रवाई करने के पुलिस ने उन्हें SIT यानी अपराध शाखा के पास फॉरवर्ड कर दिया था।
एएनआई में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक जेएनयू से दिल्ली पुलिस के पास कुल 11 शिकायतें की गयीं थीं। इसमें एक प्रोफेसर, 3 एबीवीपी छात्रों और जेएनयू छात्रसंघ से जुड़े 7 छात्रों की तरफ से की गयी थीं, मगर बजाय कार्रवाई के इन्हें दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा SIT को फॉरवर्ड कर दिया गया था।
अगर पुलिस समय पर चेतकर शिकायतों पर एक्शन ले लेती तो जेएनयू में इतने बड़े पैमाने पर हिंसा नहीं फैलती, न ही दर्जनों छात्रों को उपद्रवियों द्वारा लोहे की रॉडोंं और डंडों से इतनी बुरी तरह से पीटा जाता। गौरतलब है कि जेएनयू छात्रसंघ से जुड़े दर्जनों छात्रों को बुरी तरह इस हमले में चोटें आयीं। किसी का हाथ टूटा, किसी का सिर फूटा, किसी का पैर टूटा तो किसी चेहरे पर बुरी तरह चोटें आयीं। छात्रसंघ अध्यक्ष आयशी घोष भी इस हमले में बुरी तरह पीटी गयीं।
ये बात और है कि दिल्ली पुलिस द्वारा आयशी घोष के खिलाफ ही हिंसा फैलाने के लिए एफआईआर दर्ज की है। गौरतलब है कि 6 जनवरी को देर शाम 5 से 7 के बीच इंटरनेट पर एक तस्वीर और वीडियो वायरल हुई, जिसमें छात्रसंघ अध्यक्ष की खून से लथपथ फोटो थी। उसी के बाद जेएनयू के दर्जनों छात्र गंभीर चोटों के साथ एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किये गये।
इसके बाद इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ नकाबपोश हाथ में लाठियां, लोहे की रॉड और धारदार हथियार लिए छात्रों को मारते और भगाते हुए दिखे। इसी के बाद एक अन्य वीडियो में कई नक़ाबपोश हाथों में लाठी-डंडे लिए बिना किसी रोकटोक के जेएनयू कैम्पस से बाहर निकलते हुए नजर आये। सवाल उठा कि आख़िर जेएनयू में बाहरी लोग कैसे आए और उन्हें अंदर लेकर कौन गया। जेएनयू छात्रसंघ से जुड़े पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि तकरीबन 200 एबीवीपी से जुड़े लोगों ने तांडव मचाया और उनका इरादा कई की जान लेने का था।
मगर इसके बाद पुलिस का पहले छात्रसंघ अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना और अब यह पता चलना कि 11 शिकायत मिलने के बावजूद पुलिस कैंपस में छात्रों को बचाने नहीं गयी, उसकी मंशा पर सवाल उठाती है।