Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

देवरिया का 50 हजार का इनामी जिला पंचायत अध्यक्ष क्या पुलिस की मिलीभगत से हुआ था भगोड़ा

Janjwar Team
28 May 2018 5:25 PM IST
देवरिया का 50 हजार का इनामी जिला पंचायत अध्यक्ष क्या पुलिस की मिलीभगत से हुआ था भगोड़ा
x

अदालत से जमानत याचिका खारिज होते ही 50 हजार के इनामी अपहरण के आरोपी जिला पंचायत अध्यक्ष ने कर दिया समर्पण, क्या यूपी पुलिस का गुंडों के दिल में है यही खौफ, फिर क्या फर्क है सपा के राज और योगी के रामराज्य में...

जनज्वार, देवरिया। दीपक मणि का अपहरण कर करोड़ों की जमीन का जबरन बैनामा करवाने के बाद फरार चल रहे देवरिया के जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव उर्फ बबलू की जिस नाटकीय तरीके से गिरफ्तारी हुई है, उससे पुलिस भी संदेह के घेरे में आ रही है। कल 27 मई की सुबह महराजगंज के ठूठीबारी से रामप्रवेश यादव को क्राइम ब्रांच की टीम ने अरेस्ट किया।

उनकी गिरफ्तारी तब हुई, जबकि उनकी तरफ से गिरफ्तारी के खिलाफ इलाहाबाद कोर्ट में दायर की गई रिट को खारिज कर दिया गया। इसीलिए रामप्रवेश यादव उर्फ बबलू की गिरफ्तारी की नाटकीयता लोगों को हजम नहीं हो पा रही है। तमाम सवाल उठ रहे हैं कि आखिर याचिका खारिज करने के 10 घंटे बाद पुलिस ने उन्हें कैसे गिरफ्तार कर लिया, जबकि पिछले 24 दिनों से भगोड़ा घोषित किए गए रामप्रवेश पर 50 हजार का ईनाम भी घोषित था।

देवरिया के जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव बबलू 1 मई, 2018 से दीपक मणि का जमीन अपहरण करके रजिस्ट्री कराने के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद भगोड़ा घोषित करते हुए देवरिया पुलिस अधीक्षक रोहन पी कन्यप ने 10000 का ईनाम घोषित कर दिया था। इस धनराशि को बढाकर आईजी गोरखपुर ने 50,000 का ईनाम कर दिया और खोज में एसटीएफ को लगा दिया। 50 हजार का ईनाम घोषित होने के बावजूद पुलिस और एसटीएफ ईनामी जिला पंचायत अध्यक्ष को चौबीस दिन तक नहीं खोज पाए।

घटनाक्रम के मुताबिक जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव ने अपनी ताकत और कद का इस्तेमाल करते हुए पिछले माह 17 अप्रैल को दीपक मणि से 10 करोड़ की जमीन पर जबरन रजिस्ट्री कार्यालय ले जाकर हस्ताक्षर करवा लिए। यही नहीं नियमों को दरकिनार करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष की दबंगई में दीपक मणि से एक ही दिन में पांच बैनामे जबरन कराए गए। दीपक मणि से जबरन इन रजिस्ट्री पर साइन तब करवाये गएए जबकि उसके घरवालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जांच में ही सामने आया कि षड्यंत्र के तहत काफी समय तक रामप्रवेश यादव ने दीपक को बंधक बनवाकर रखा हुआ था।

दीपक मणि से जबरन जिन दो बैनामों पर करवाए गए उनमें दो जिला पंचायत अध्यक्ष राम प्रवेश यादव उर्फ बबलू के नाम से हुए, तीसरा उसकी मां मेवाती देवी, चौथा भाई अमित कुमार यादव और पांचवी रजिस्ट्री मधु देवी पत्नी ब्रह्मानंद चौहान निवासी खोराराम के नाम से करवाई गई।

दीपक से करोड़ों की जमीन की रजिस्ट्री पर हस्ताक्षर उस समयावधि में करवाए गए, जबकि वह 20 मार्च से घर से गायब था। देवरिया खास के रहने वाले दीपक मणि उर्फ पियूष मणि त्रिपाठी 20 मार्च से गायब थे। काफी खोजबीन के बाद भी जब उनका पता नहीं चला तो छत्तीसगढ़ के विलासपुर में रहने वाली उनकी बहन डॉ. शालिनी शुक्ला ने पुलिस को सूचना दी कि उनका भाई गायब है, जिसक बाद 28 अप्रैल को सदर कोतवाली में दीपक मणि की गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज किया गया।

इस मामले में एसपी रोहन पी कनय ने मीडिया को बताया कि मामले का खुलासा करने के लिए क्राइमब्रांच व सर्विलांस टीम लगी हुई थी। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने अमेठी गांव में रमाशंकर विद्यार्थी के कटरे पर छापेमारी की, तो यहां दीपक को हाथ पैर बांधकर अपहर्ताओं ने रखा हुआ था। घटनास्थल से पुलिस ने रजला गांव के रहने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष व सपा नेता रामप्रवेश यादव के भाई अमित यादव, मझगांवा निवासी मुन्ना चौहान, खोराराम के रहने वाले ब्रह्मानंद चौहान और अध्यक्ष के वाहन चालक कोतवाली के रजला टोला निवासी धर्मेंद्र गौड़ को गिरफ्तार किया।

पूछताछ में इन चारों ने पुलिस के सामने स्वीकारा कि जिला पंचायत अध्यक्ष के इशारे पर दीपक मणि का अपहरण किया गया था, ताकि करोड़ों की जमीन कब्जाई जा सके। पुलिस ने इस मामले में फरार चल रहे जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव व गिरफ्तार किए गए चारों लोगों के खिलाफ धारा 365, 467, 471, 472 व 120 बी के तहत केस दर्ज किया।

गौरतलब है कि दीपक मणि की बरामदगी के बाद से 1 मई से ही जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव फरार थे और भगोड़ा घोषित किए गए थे, उन पर 50 हजार का ईनाम रखा गया था। पुलिस जांच में कहती रही कि रामप्रवेश यादव बबलू का पता नहीं चल पा रहा है। कहा गया कि पुलिस की डर से अध्यक्ष ने सिविल कोर्ट देवरिया में आत्मसमर्पण नहीं किया। उसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष की तरफ से अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए अपने वकील के माध्यम से उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट याचिका दाखिल करवाई गई, जिसे खारिज कर दिया गया।

जैसे ही उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी पर रोक के लिए रिट दायर हुई, उसके 10 घंटे बाद ही नाटकीय तरीके से रामप्रवेश यादव उर्फ बबलू गिरफ्तार किए गए। गौरतलब है कि देवरिया जिला पंचायत अध्यक्ष के वकील ने 26 मई को कोर्ट में रिट दाखिल की थी, जिसेन्यायाधीश विपिन कुमार सिन्हा और महबूब अली ने खारिज कर दिया था।

ऐसे में सवाल उठने स्वाभाविक हैं कि जिस रामप्रवेश यादव बबलू को 50,000 ईनामी होने के बाद पुलिस और एसटीएफ चौबीस दिन से नही खोज पायी, वह माननीय उच्च न्यायालय से रिट खारिज होने के बाद 10 घण्टे के अन्दर कैसे गिरफ्तार हो गया?

सवाल यह भी कि रामप्रवेश यादव बबलू के मददगारों में नौकरशाहों से लेकर देवरिया के सफेदपोशों में कौन—कौन है यह सामने आना शेष है।

रामप्रवेश यादव को अब जिस नाटकीय तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उससे इस मामले में पुलिस की संलिप्तता साफ नजर आती है। यह भी कि बिना शासन—प्रशासन की शह के वह इतना बड़ा गेम प्लान नहीं कर सकता था।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध