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राजनीति

फर्जी मुठभेड़ों में पुलिस की पीठ थपथपाने का नतीजा है विवेक तिवारी हत्याकांड

Prema Negi
30 Sept 2018 9:19 AM IST
फर्जी मुठभेड़ों में पुलिस की पीठ थपथपाने का नतीजा है विवेक तिवारी हत्याकांड
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दूसरी तरफ पहलू खान मामले के गवाहों की गाड़ी पर हमला सत्ता संरक्षित, गौगुंडों को सरकार और पुलिस का पूरा संरक्षण

लखनऊ, जनज्वार। रिहाई मंच ने लखनऊ में एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की पुलिस आरक्षी द्वारा गोली मारकर की गई हत्या के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वहीं बेहरोर हरियाणा में पहलू खान हत्या मामले में अदालत में गवाहों के बयान दर्ज करवाने जाते समय एडवोकेट असद हयात की गाड़ी पर फायरिंग की घटना को सत्ता संरक्षित करार दिया।

मंच ने कहा कि पुलिस और सरकारी गुंडे आम नागरिक से लेकर हर उस इंसाफ की आवाज का कत्ल करने पर उतारू हैं जो उसके खिलाफ है। लखनऊ में विवेक तिवारी की हत्या योगी सरकार के उसी आॅपरेशन क्लीन का हिस्सा है जिसमें आम नागरिकों से उनके जीने का अधिकार छीना जा रहा है। फर्जी मुठभेड़ों के बाद अपराधी पुलिस वालों की पीठ थपथपाने वाले योगी और डीजीपी उन मासूम बच्चियों के पिता के कत्ल के गुनहगार हैं। फर्जी मुठभेड़ पर सवाल उठने पर आपरेशन क्लीन चलता रहेगा, बोलने वाले डीजीपी बताएं कि पुलिस के जेहनियत को कब क्लीन करेंगे।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा जिस प्रकार एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी को गोमती नगर जैसे वीवीआईपी क्षेत्र में पुलिस आरक्षी प्रशांत चौधरी ने गोली का निशाना बनाया और उनका चरित्र हनन किया, ये वही कुंठित मानसिकता है जो योगी एंटी रोमियो स्क्वायड के जरिए संचालित करते हैं। विवेक एक प्रतिष्ठित कंपनी के एरिया मैनेजर थे और देर रात आईफोन की लांचिंग के बाद अपनी सहकर्मी सना खान को उनके घर छोड़ने जा रहे थे।

ऐसे में यह आरोप कि उन्होंने आरक्षी पर कार चढ़ाने की कोशिश की यह पुलिस को बचाने की कोशिश है। इसीलिए हिरासत के दौरान लगातार दोषी आरक्षी से मीडिया में बयान दिलवाया जाता रहा। हत्यारोपी आरक्षी के मुताबिक कार से विवेक तिवारी ने तीन बार उसे कुचलने की कोशिश की तो ऐसे में गाड़ी के टायर में गोली मारकर उसे रूकने पर मजबूर किया जा सकता था।

इसके अलावा पुलिस विवेक तिवारी की कार को संदिग्ध बता रही है तो क्या पुलिस यह बताएगी कि किसी कार में लड़का-लड़की होने से कैसे कोई संदिग्ध हो जाता है? जिस तरह से दोषी आरक्षी के बचाव में कुतर्क किए जा रहे हैं उससे आशंका पैदा होती है कि पुलिस निष्पक्ष जांच कर पाएगी, इसलिए मामले की किसी अन्य एजेंसी से जांच करवाई जाए ताकि विवेक तिवारी के परिवार को इंसाफ मिल सके। इस मामले की चश्मदीद गवाह सना खान को जिस तरह से घर में नजरबंद करने की कोशिश हुई, ठीक ऐसी ही कोशिश अलीगढ़ में मुठभेड़ के नाम पर मारे गए लोगों के परिजनों को हाउस अरेस्ट कर की गई।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि पहलू खान की हत्या के मुकदमे का बयान दर्ज करवाने के लिए बेहरोर जाते समय एडवोकेट असद हयात, पहलू खान के बेटों इरशाद, आरिफ, गवाहान अजमत और रफीक पर निमराना में उनकी गाड़ी को रोकने की कोशिश और फिर फायरिंग की गई। यह साफ करता है कि गौगुंडों को सरकार और पुलिस का पूरा संरक्षण है।

पहलू खान हत्या मामले में इंसाफ के रास्ते में रुकावट डालने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी पुलिस विवेचना में गौगुंडों के दबाव और सत्ता के इशारे पर इस हत्याकांड के केस को कमजोर करने का प्रयास किया गया। हत्यारों को आसानी से जमानत मिल जाने से ऐसे तत्वों के हौसले बुलंद हैं।

पहलू खान मामले में हत्यारोपियों को मिली छूट की वजह से ही अलवर में नवम्बर 2017 में उमर खान और फिर जुलाई 2018 में रकबर खान की संगठित भीड़ के द्वारा हत्या की गई। खट्टर शासन में पुलिस और साम्प्रदायिक संगठनों की मिलीभगत के कारण हरियाणा में अल्पसंख्यक, दलित और वंचित वर्ग के लोग सुरक्षित नहीं हैं।

राजीव ने मांग की कि हरियाणा सरकार पहलू खान के परिजनों और इस हत्या के मामले से जुड़े अधिवक्ताओं और गवाहों को सुरक्षा प्रदान करे, अन्यथा इस मुकदमे को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित किया जाए।

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