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कोरोना जांच के लिए महिला को लेकर लखनऊ में घूमते रहे परिजन, नहीं मिला कोई अस्पताल

Prema Negi
24 March 2020 7:18 AM GMT
कोरोना जांच के लिए महिला को लेकर लखनऊ में घूमते रहे परिजन, नहीं मिला कोई अस्पताल
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जिस महिला के कोरोना जांच के लिए सुबह से रात 10 बजे तक परिजन घूमते रहे, वह महिला किसी गरीब या आम घर की नहीं थी, बल्कि देश के जाने-माने हिंदी कवि नरेश सक्सेना की बहू है

बड़ी बात इस घटना के बारे में किसी मीडिया ने रपट नहीं की है, उन्होंने खुद ही फेसबुक पर लिखकर आपबीती कही है,​ जिससे कि प्रशासन, आला अधिकारी कोई मदद करें

फेसबुक पर अपनी आपबीती शेयर करते हुए चर्चित कवि नरेश सक्सेना ने ​लिखा है, लखनऊ मेडिकल कालेज कल रात साढ़े दस बजे गये थे। मेरी बहू को आठ दिन से ज़ुकाम, बुख़ार, नाक बंद, गले और हड्डियों में दर्द, सांस फूल रही।

दिल्ली शादी में गये थे, जहां अमेरिकी रिश्तेदार आये थे। सब सुनने के बाद कहा घर जाकर आइसोलेशन में रहिये। दो हफ्ते बाद हाल बताइये।

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112 नं पर फ़ोन किया तो दो कांस्टेबल आये। पूरा हाल सुना, फिर शायद किसी प्रशासनिक आफ़िस फ़ोन किया। उन्हें पूरा हाल बताया तो कहा कि उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत होगी। एक घंटे बाद बतायेंगे। एक घंटे बाद बताया, अभी निर्णय नहीं हुआ कल सुबह पता चलेगा।

सी बीच गोमतीनगर के सिटी हैल्थ अस्पताल गये, सौ मीटर की दूरी के लिये, एंबुलेंस ने एक हज़ार (आना जाना) लिए। डॉक्टर की फ़ीस 500 लेकर बताया "हम इलाज नहीं कर सकते।"

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पूछा कहां जायें तो कुछ नहीं बताया। एक नंबर लखनऊ कोरोना के नोडल अधिकारी का मिला, लेकिन वह चालू नहीं था।

ता लगा है कि राममनोहर लोहिया अस्पताल में शायद सैंपल ले लेंगे, लेकिन वहां जांच नहीं होती। बनारस, इलाहाबाद आदि के नाम बताने के लिये धन्यवाद।'

रेश सक्सेना की यह आपबीती हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का आईना है कि अगर आने वाले दिनों में देश में कोरोना के चलते हालात खराब हुए तो लोगों की हालत क्या होने वाली है।

https://www.facebook.com/janjwar/videos/1523199487844658/UzpfSTEwMDAwMTM4NzMwNjM2MToyOTI3ODcyOTYwNjAyMjUy/

रेश सक्सेना की आपबीती पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्लेष राजारत्नम लिखते हैं, यह रामराज वाले प्रदेश की राजधानी का हाल है जहाँ ज्ञानपीठ व साहित्य एकेडमी विजेता कवि-साहित्यकार के साथ ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है तो बाकी जगहों के सामान्य लोगों की क्या स्थिति होगी? बाकी आप थाली-घंटा बजाओ गो कोरोना गाओ।'

स पर बादल सरोज कहते हैं, 'यदि यह नरेश सक्सेना जी जैसे व्यक्ति के साथ हुआ है तो बाकी लखनऊ और उत्तरप्रदेश की दशा समझी जा सकती है।'

बीएम प्रसाद लिखते हैं, 'घंटे, घडि़याल बेशक बजाते रहिये, लेकिन मेडिकल तैयारियों की हकीकत भी जान लीजिए। यह हिन्दी के प्रख्यात कवि नरेश सक्सेना की कल की फेसबुक पोस्ट है, जो लखनऊ शहर के जाने माने नागरिक हैं, और यहाँ के गोमती नगर के हाई प्रोफाइल इलाके के रहवासी हैं।'

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