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उत्तराखंड

उत्तराखंड के जंगलों में भड़की भीषण आग, न मीडिया को खबर न सरकार को चिंता

Nirmal kant
26 May 2020 3:32 PM GMT
उत्तराखंड के जंगलों में भड़की भीषण आग, न मीडिया को खबर न सरकार को चिंता
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पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने पूछा ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से हैरानी जताने वालों को उत्तराखंड में लगी पर सहानुभूति क्यों नहीं, चार दिनों से राज्य में भड़की आग हजारों एकड़ में फैले जंगल खाक लेकिन अब तक नहीं बना राष्ट्रीय मुद्दा...

जनज्वार ब्यूरो। प्रत्येक साल की तरह इस साल भी उत्तराखंड के जंगलों में आग भड़क गई है। कई जिलों की हजारों एकड़ वन संपदा और वन्य जीव खाक हो गए हैं। वहीं देश कथित मुख्यधारा के मीडिया में इस विषय को उतनी जगह अभी तक नहीं मिल पायी है जितने ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग को लेकर मिली थी। सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है।

भारत की सबसे कम उम्र की पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने अपने ट्वीटर हैंडल से लिखा, 'ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग ने प्रत्येक भारतीय को हैरान कर दिया था लेकिन उत्तराखंड में जंगलों में आग को भड़कने से लुप्तप्राय 'हिरण' की बड़ी आबादी के प्रति हमारी सहानुभूति भी नहीं है? पुरानी तस्वीरें लेकिन वास्तविक तस्वीरें।'

ससे पहले एक दूसरे ट्वीट में लिसिप्रिया कंगुजम ने लिखा, 'पिछले 2 दिनों में 5 हेक्टेयर जंगल को जलाने के बाद भी मीडिया उत्तराखंड के जंगलों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। लाखों पेड़ और जानवरों की प्रजातियां जल रही हैं। यह भयानक है। आज तक कोई घबराया क्यों नहीं?'

लिसिप्रिया ने लिखा, 'हमारे नेताओं को अब जमीनी स्तर से लड़ने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है:-

1. हमें वैश्विक तापमान को कम करने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को कम करना होगा

2. ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए, हमें जीवाश्म ईंधन, खनन, वनों की कटाई, आदि का दोहन और जलाना बंद करना चाहिए। ये सरल स्थायी समाधान होगा।

लिसिप्रिया के ट्वीट पर उत्तराखंड वन विभाग में मुख्य वन संरक्षक डॉ. पीएम धाकते ने ट्वीट कर लिखा, 'आपके ट्वीट के लिए धन्यवाद। बताना चाहेंगे कि उत्तराखंड वन विभाग फ्रंट लाइन स्टाफ दिए गए फायर पॉइंट में घनी जंगल की आग में काम कर रहा है और हर फॉरेस्ट फायर फ्रंट में अग्निशमन दल मौजूद है। वन विभाग हाई अलर्ट पर है और कोई राज्य आपातकाल नहीं है।'

स पर लिसिप्रिया ने लिखा, 'मैं वन विभाग के अधिकारियों के सभी प्रयासों की ईमानदारी और कड़ी मेहनत के साथ सराहना करती हूं। मेरी चिंता जलवायु परिवर्तन से आ रहे भयावह परिणामों को लेकर है। ये आग मुख्य रुप से बढ़ते तापमान और हर साल होने वाली सामान्य घटना है। थैंक यू सर।

ट्वीटर यूजर नीलम अहलूवालिया ने एक ट्वीट में महात्मा गांधी की बात को कोट करते उत्तराखंड के जंगलों में आग पर चिंता जताई है। दूसरे ट्वीट में नीलम ने लिखा, यह देखना दुख की बात है कि उत्तराखंड चिपको आंदोलन की भूमि है जो जल रहा है, सरकार ने एक साल बाद भी बचाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया और इसे होने दिया।

क अन्य ट्वीटर हैंडल लेट्स मी ब्रीथ ने लिखा, 'क्या आप इसके बारे में जानते हैं? उत्तराखंड में 4 दिनों से जल रहा है! राज्य में अबतक 46 जंगलों में आग की घटनाओं की सूचना दी जा चुकी है। इससे वन्यजीवों के साथ साथ लगभग 51.34 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है! हमें अब अपने वनों की रक्षा करने की आवश्यकता है!'

ई यूजर्स आग की घटना का वीडियो भी ट्वीटर पर पोस्ट कर रहे हैं। एक ट्वीटर यूजर ने रुद्रप्रयाग जनपद के जंगलों में लगी आग का वीडियो पोस्ट की है।

विमलेंदू झा लिखते हैं, 'उत्तराखंड में हर साल 100 एकड़ जंगलों में आग लगती है। सरकार द्वारा इन सभी वर्षों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। एशिया में ताजे पानी का सबसे बड़ा भंडार होने के बावजूद 13 में दस जिले सूखे से प्रभावित हैं।'

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