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- और कर्ज-फसल तबाही की...

मोदी सरकार किसानों की हरसंभव मदद और शून्य प्रतिशत ब्याज पर पर कर्ज देने के दावे करते नहीं थकती, दूसरी तरफ कर्ज के बोझ तले दबे निराश किसानों की आत्महत्या का दौर है जारी...
भोपाल, जनज्वार। मध्य प्रदेश के शिवराज सरकार में एक और किसान ने इसलिए आत्महत्या का रास्ता अख्तियार किया क्योंकि भारी कर्ज और तबाह होती फसल की मार वह सहन नहीं कर पा रहा था। दूसरी तरफ केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार वादे करते नहीं अघा रही हैं कि उनके जैसा किसान हितैषी कोई नहीं है।
किसान आत्महत्या की ताजा घटना मध्य प्रदेश होशंगाबाद की है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक होशंगावाद के पिपरिया थाना स्थित गड़ाघाट के 40 वर्षीय ब्रजमोहन पटेल ने कल रविवार 1 जुलाई की रात को कीटनाशक पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली।
हालांकि कीटनाशक पीने के बाद उसे गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, मगर जहर ज्यादा फैल जाने के कारण डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा पाए।
मीडिया और शुरूआती जांच में मृतक ब्रजमोहन के परिजनों ने बताया कि ब्रजमोहन 4 लाख के कर्ज के बोझ तले दबा था, उस पर जब फसल भी तबाह हो गई तो वह भारी निराशा में था। इसी निराशा में भारी कर्ज के बोझ से परेशान हो उसने कीटनाशक पीकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली।
मामले की जांच कर रहे पिपरिया थाना प्रभारी प्रवीण कुमरे ने मीडिया को जानकारी दी कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। छानबीन में जो चीजें सामने आएंगी उसी के आधार पर इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
यह वही मध्य प्रदेश है जहां शिवराज सिंह चौहान विकास के दावे करते नहीं थकते। पिछले दिनों प्रतिदिन इसी प्रदेश में 61 बच्चों की भूख से मौत का आंकड़ा सामने आया है।
यहां पिछले दिनों दर्जनों अन्य किसानों द्वारा कर्ज और खराब फसल के चलते आत्महत्या की खबरें भी आई थीं। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार मदद के नाम पर सिर्फ दिखावा करती है। 1 से 10 जून तक किसानों की समस्याओं और उनके समाधान को लेकर देशभर के किसानों ने 'गांव बंद' आंदोलन किया था, मगर उसका भी कोई असर दूर—दूर तक नहीं है।
एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश में हर 8 घंटे में एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर है, वहीं सरकार किसान हितैषी होने का दावा करते हुए होर्डिंग लगाकर अपनी पीठ थपथपाने से बाज नहीं आ रही है। यही नहीं इससे बुरा क्या हो सकता है कि जिस राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे हैं वही मध्य प्रदेश ने पिछले 5 सालों में दो अंकों में कृषि विकास का आंकड़ा पेश कर 5 दफे कृषि कर्मण पुरस्कार ले चुका है।
एक आंकड़े के मुताबिक किसानों की आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है, जहां 2011-2016 के बीच 6,071 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इस अवधि में देश में किसानों की खुदकुशी में 10 फीसद कमी आई, लेकिन मध्य प्रदेश में ये 21 फीसद बढ़ गया।










