शर्मनाक : महाराष्ट्र से साइकिल पर निकले मजदूर ने MP में तोड़ा दम, 350 किमी साइकिल पर किया तय
25 मार्च के बाद से लाखों की तादाद में मज़दूर या तो पैदल या साइकिल या ठेले पर घरों को रवाना हो गए. कई लोग अपने घर पहुंच चुके है. लेकिन कईयों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. शुक्रवार को मध्य प्रदेश के बड़वानी में घर लौटने की चाह रखने वाले एक ऐसे ही मजदूर की मौत हो गई...
जनज्वार। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के दो चरण पूरे हो चुके है. और अब केंद्र ने 3 मई से एक बार फिर लॉकडाउन को आगे बढ़ा दिया है. देश में अब 17 मई तक लॉकडाउन लागू रहेगा. लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार मजदूरों पर पड़ी है. 25 मार्च के बाद से लाखों की तादाद में मज़दूर या तो पैदल या साइकिल या ठेले पर घरों को रवाना हो गए. कई लोग अपने घर पहुंच चुके है.
लेकिन कईयों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. शुक्रवार को मध्य प्रदेश के बड़वानी में घर लौटने की चाह रखने वाले एक ऐसे ही मजदूर की मौत हो गई. मृतक का नाम तबरक अंसारी था. वह उत्तर प्रदेश का रहने वाला था और महाराष्ट्र के भिवंडी में नौकरी करता था. दो दिन पहले उसने महाराष्ट्र से 10 और मजदूरों के साथ साइकिल से घर लौटने का फैसला किया था.
पुलिस का मानना है कि ज्यादा थकान, गर्मी और शरीर में पानी की कमी होने की वजह से अंसारी की मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने साफ किया कि जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही मौत का सही कारण पता चलेगा. अंसारी के साथ 10 अन्य मजदूर भी रवाना हुए थे. उनमें से एक ने बताया कि भिवंडी में पॉवर-लूम यूनिट में सभी की नौकरी चली गई. उनके पास घर लौटने के सिवा कोई रास्ता नहीं था. उन्होंने कहा, 'हमारे पास न पैसे थे और न ही खाना था, तो हमने तय किया कि हम साइकिल से महाराजगंज (उत्तर प्रदेश) जाएंगे. जब हम 350 किलोमीटर चल चुके थे तो तबरक की तबीयत बिगड़ गई.'
बता दें कि मध्यप्रदेश का बड़वानी जिला महाराष्ट्र की सीमा से लगता है. यहां 28 अप्रैल को 45 साल के मजदूर की चैकपोस्ट पार करते वक्त मौत हो गई थी. इससे पहले 21 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के मजदूर ने दम तोड़ दिया था. वह पैदल ही लौट रहा था. शुक्रवार को ही केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों की आवाजाही को लेकर गाइडलाइन्स जारी की थी.
जिसके बाद देश के दूसरे राज्यों में फंसे मज़दूरों और छात्रों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से उनके राज्य पहुंचाया जा रहा है. लेकिन सरकार के इस फैसले से पहले ही कई मज़दूर सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चल चुके है. लॉकडाउन के दोनों चरणों में अब तक 25 से ज्यादा मज़दूरों की मौत हो चुकी है. ये मौत रोड एक्सीडेंट या फिर भूख या शरीर में पानी की से हुई है. देश में लॉकडाउन के बावजूद कोरोना के मामले 37 हज़ार को पार कर गए.