Begin typing your search above and press return to search.
समाज

#MeToo आंदोलन में क्यों नहीं बता रहीं हिंदी, तमिल, तेलगू, बंगलाभाषी विक्टिम अपनी आपबीती

Prema Negi
16 Oct 2018 5:19 PM IST
#MeToo आंदोलन में क्यों नहीं बता रहीं हिंदी, तमिल, तेलगू, बंगलाभाषी विक्टिम अपनी आपबीती
x

क्या वो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या उनमें इतना साहस नहीं कि वे अपनी पहचान के साथ समाज के सामने आ सकें या उन्हें डर है कि उनके समाज और परिवार का उन्हें साथ नहीं मिलेगा...

स्वतंत्र कुमार

पिछले दिनों #Metoo आंदोलन अमेरिका से होते हुए अमेरिका की नागरिक हो चुकी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की एक्ट्रेस रहीं तनुश्री दत्ता के जरिये भारत पहुंच गया। तनुश्री ने उनके साथ 10 साल पहले नाना पाटेकर द्वारा की गई सेक्सुअल हरासमेंट की घटना को मीडिया में जोर शोर से उठाया।

उसके तो देश मे खासतौर पर मीडिया में वो भी इंग्लिश मीडिया और फ़िल्म, टीवी व कॉमेडी इंडस्ट्री में सेक्सुअल हरासमेंट की कई पीड़िताएं सामने आईं और उन्होंने समाज मे सफेदपोश लोगों को नंगा करना शुरू कर दिया। संस्कार बाबू के नाम से मशहूर हो चुके आलोकनाथ पर तो रेप के आरोप भी लगे हैं। इनके अलावा कभी पत्रकारिता के टाइकून कहे जाने वाले और अब मोदी सरकार में मंत्री एमजे अकबर के खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा महिला पत्रकार यौन शोषण के मामले में सामने आई हैं।

एमजे अकबर के अलावा कई अंग्रेजी पत्रकार #MeToo आंदोलन में एक्सपोज हो चुके हैं, जिनमें पत्रकार विनोद दुआ भी शामिल हैं, जिन पर फिल्ममेकर निष्ठा जैन ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। हिंदुस्तान टाइम्स के ब्यूरो चीफ और पॉलिटिकल एडिटर प्रशांत झा पर एक महिला पत्रकार ने शोषण का आरोप लगाया था, जिसके दबाव में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

इनके अलावा बेंगलुरु के मिरर नाउ अखबार की पूर्व पत्रकार संध्या मेनन ने टाइम्स ऑफ इंडिया के रेजिडेंट एडिटर केआर श्रीनिवास पर साल 2008 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। संध्या ने एचआर से इसकी शिकायत भी थी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी।

#Metoo कैंपेन के तहत एक महिला ने मशहूर लेखक चेतन भगत के साथ बातचीत का स्क्रीनशॉट ही सोशल मीडिया पर एक्सपोज कर दिया, जिसके बाद लेखक चेतन भगत ने संबंधित महिला से सोशल मीडिया पर ही सार्वजनिक माफी मांगी। चेतन भगत के अलावा कॉमेडियन उत्सव चक्रबर्ती, एक्टर रजत कपूर भी यौन शोषण मसले पर माफी मांग चुके हैं। यौन शोषण मसले पर #Metoo कैंपेन की जद में आए एआईबी के दो फाउंडर्स मेंबर्स ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

लेकिन अभी तक जितनी भी पीड़िताएं सामने आई हैं उनमें और इन्हें प्रताड़ित करने वालों में एक बात समान है, ये दोनों ही अंग्रेजीदां हैं। सभी पीड़िताएं अंग्रेजी में अपनी दास्तान सुना रही हैं और उन्हें प्रताड़ित करने वाले भी इलीट और अंग्रेजीदां लोग हैं।

ऐसे सवाल यर उठता है कि भारत देश में अंग्रेजीदां लोगों के अलावा भी हिंदी उर्दू, पंजाबी, बंगला, कन्नड़ बोलने समझने लिखने वाले लोग लाखों-करोड़ों में हैं। उस समाज के तबके से ये अवाज क्यों नहीं उठ रही है। क्या उस क्लास से आने पीड़िता को इस बात का डर है कि उसकी सोसाइटी उसके अपने साथ हुए मोलेस्टेशन या हरासमेंट को पब्लिक करने के बाद उसका साथ नहीं देगी। या उस वर्ग से आने वाली पीड़िता इतनी हिम्मती नही है कि अपनी बात रख सके या अपना दर्द समाज के सामने रख सके।

इन सवालों के जवाब आसपास ढूंढ़ने होंगे कि अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषा बोलने वाली एक भी पीड़ित क्यों सामने नहीं आई है। क्योंकि ऐसा तो बिलकुल नहीं है कि हिंदी, बंगाली, कन्नड़, तमिल बोलने वालों में ऐसे भेड़िए नहीं होंगे जिन्होंने घर से निकलकर अपना कैरियर बनाने वाली अपने सपनों को सच मे बदलने वाली लड़कियों को अपना शिकार नहीं बनाया होगा।

ऐसे में समाज के हर वर्ग से आने वाली पीड़िताओं को समझना होगा कि यही वो समय है जब वो अपनी बात सबके सामने रख सकती हैं और उन सफेदपोशों को नंगा कर सकती हैं जिन्होंने शराफत की चादर ओढ़ी हुई है।

Next Story

विविध