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विज्ञान और धर्म को लेकर हुए पहले सर्वेक्षण में हुआ खुलासा लोगों का बढ़ रहा विज्ञान पर विश्वास

Prema Negi
18 July 2019 7:57 AM GMT
विज्ञान और धर्म को लेकर हुए पहले सर्वेक्षण में हुआ खुलासा लोगों का बढ़ रहा विज्ञान पर विश्वास
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देश में लोग विज्ञान और वैज्ञानिकों का सम्मान करते हैं और मानते हैं कि इससे समाज की उन्नति होगी। सबसे अच्छा तो यह है कि बच्चों के टीके पर भारी विश्वास कायम है, जबकि फ्रांस जैसे देश में भी 33 प्रतिशत लोग टीके पर विश्वास नहीं करते....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

पने देश में प्रधानमंत्री समेत दूसरे तमाम नेता विज्ञान को चमत्कार का दूसरा स्वरूप मानते हैं और वेदों में ही विज्ञान खोजते हैं। जब यही लोग चुनाव जीतकर वापस आते हैं, तब एक शंका तो जरूर रहती है कि देश की जनता भी विज्ञान को केवल चमत्कार ही तो नहीं समझती है। पर एक नए अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि देश की अधिकतर जनता विज्ञान, वैज्ञानिक, डॉक्टर, रोगों से बचाव के टीके इत्यादि पर विश्वास जरूर करती है।

इंग्लैंड की एक संस्था वेलकम ग्लोबल मॉनिटर ने वर्ष 2018 में 140 देशों में 1,40,000 लोगों से विज्ञान और धर्म के बारे में सवाल पूछे और फिर इसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की। जिन लोगों से सवाल पूछे गए उन सभी की उम्र 15 वर्ष से अधिक थी। दावा है कि यह इस तरह का विश्व स्तर पर किया गया पहला सर्वेक्षण है।

स सर्वेक्षण में हमारे देश से 3000 लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर प्रश्न पूछे गए थे। सर्वेक्षण के अनुसार देश के 59 प्रतिशत लोग माध्यमिक शिक्षा तक विज्ञान पढ़ते हैं। इस सम्बन्ध में 15 से 29 वर्ष की उम्र के 73 प्रतिशत लोगों ने माध्यमिक शिक्षा तक विज्ञान पढ़ने का दावा किया। लगभग 67 प्रतिशत पुरुषों ने और 48 प्रतिशत महिलाओं ने इस सम्बन्ध में स्वीकृति दी।

देश के लगभग 21 प्रतिशत लोग विज्ञान में गहन विश्वास करते हैं, जबकि केवल 15 से 29 वर्ष के लोगों में यह संख्या 29 प्रतिशत तक पहुँच जाती है। पुरुषों में 25 प्रतिशत और महिलाओं में यह संख्या क्रमशः 25 और 18 प्रतिशत है। जब लोगों से यह पूछा गया कि क्या विज्ञान का लाभ जनता तक पहुंचता है तब 65 प्रतिशत लोगों का जवाब हाँ में था, जिसमें पुरुषों और महिलाओं की संख्या क्रमशः 67 और 62 प्रतिशत थी।

सी प्रश्न के सन्दर्भ में 15 से 29 वर्ष के लोगों में से 72 प्रतिशत लोगों ने हाँ कहा। देश के 95 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बच्चों को रोगों से बचाने के टीके सुरक्षित हैं। केवल 30 से 49 वर्ष के आयुवर्ग में लगभग 96 प्रतिशत लोगों ने टीके को सुरक्षित माना। पुरुषों में 96 प्रतिशत और महिलाओं में 95 प्रतिशत टीके को सुरक्षित मानती हैं।

विज्ञान और धर्म का रिश्ता तो हमारे नेता समय-समय पर उजागर करते रहते हैं। कोई धार्मिक ग्रंथों में इन्टरनेट खोजता है, कोई वायुयान तो कोई कॉस्मेटिक सर्जरी, पर इस मामले में देश की जनता ज्यादा संजीदा है। कुल 16 प्रतिशत लोगों ने माना कि विज्ञान और धर्म के रास्ते अलग-अलग हैं। केवल 15 से 29 वर्ष के आयुवर्ग में यह संख्या 20 प्रतिशत है। लगभग 19 प्रतिशत पुरुष और 13 प्रतिशत महिलायें यह मानतीं हैं कि विज्ञान और धर्म का टकराव हो सकता है।

ब यह सवाल पूछा गया कि यदि विज्ञान और धर्म में टकराव होता है तब वे किसे चुनेंगे, तो 42 प्रतिशत लोगों ने धर्म का मार्ग चुना। बुजुर्ग लोगों में, 50 से ऊपर की उम्र के लोगों में से 49 प्रतिशत धर्म का मार्ग चुनेंगे, जबकि 15 से 29 वर्ष की आयुवर्ग में केवल 40 प्रतिशत धर्म के साथ जायेंगे। पुरुषों में 42 प्रतिशत और महिलाओं में 41 प्रतिशत धर्म के साथ जायेंगे।

दुनिया की तीन-चौथाई से अधिक आबादी इस बात से सहमत है कि बच्चों को लगने वाले टीके सुरक्षित और प्रभावी हैं।

स सर्वेक्षण से इतना तो स्पष्ट है कि हमारे देश में लोग विज्ञान और वैज्ञानिकों का सम्मान करते हैं और मानते हैं कि इससे समाज की उन्नति होगी। सबसे अच्छा तो यह है कि बच्चों के टीके पर भारी विश्वास कायम है, जबकि फ्रांस जैसे देश में भी 33 प्रतिशत लोग टीके पर विश्वास नहीं करते।

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