स्मृति ईरानी के हाथों राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार लेने से कलाकारों ने किया इनकार
फ़िल्म पुरस्कार विजेताओं ने कहा स्मृति ईरानी के हाथों पुरस्कार लेना हमारी कला और योग्यता की है तौहीनी
दिल्ली, जनज्वार। भारतीय सिनेमा जगत में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2018 (65th National Award) प्रदान भारत सरकार की तरफ से प्रदान किए जा रहे हैं।
अब तक यह पुरस्कार फिल्म कलाकारों और अन्य हस्तियों को राष्ट्रपति द्वारा ही दिए जाते थे, मगर पहली बार ऐसा हो रहा है कि राष्ट्रपति सिर्फ 11 लोगों को सम्मान देकर रस्म अदायगी कर गए, बाकी के अवार्ड सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर के हाथों दिए जाने का निर्णय लिया गया था। सवाल यह भी उठा कि ऐसे मोहरा राष्ट्रपति से क्या फायदा जो सम्मान पाने वाली हस्तियों के लिए तक 3 घंटे न निकाल सके।
जैसे ही अवॉर्ड स्मृति ईरानी के हाथों दिए जाने की बात सामने आई, 11 के अलावा अन्य अवॉर्ड पाने वाले कलाकारों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। गौरतलब है कि 65 कलाकारों ने तो अवॉर्ड लेने से ही मना करते हुए कह दिया कि स्मृति के हाथों अवॉर्ड लेना हमारी कला की तौहीनी है। सोशल मीडिया पर भी इसके खिलाफ कलाकारों ने मोर्चा संभाला हुआ है।
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति की ओर से इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बस एक घंटा दिया गया है, जिसमें वो 11 लोगों को ही अवॉर्ड दे पाएंगे, इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि बाकी के अवॉर्ड स्मृति ईरानी और राज्यवर्धन सिंह राठौर सम्मानित करेंगे।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित फिल्म निर्देशक राहुल ढोलकिया ने नाराजगी भरा ट्वीट किया है, ‘फिल्म पुरस्कार प्रतिष्ठित इसलिए हैं क्योंकि ये राष्ट्रपति द्वारा दिए जाते हैं- न कि किसी मंत्री द्वारा। ये मौका फिल्म बनाने वालों के लिए जीवन में एक बार आता है, उन्हें इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए था।’
सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार के लिए नामित मराठी फिल्म निर्देशक प्रसाद ओक कहते हैं, ‘मैं समझता हूं कि यह मेरी कला का अपमान है। उन्हें हमें पहले सूचित करना चाहिए था। ऐसा इतिहास में पहली बार हो रहा है।’
बाहुबली के निर्माता प्रसाद देविनेनी जोकि पिछले साल राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं, इससे खफा होकर कहते हैं, ‘कम से कम सम्मानित होने वाले कलाकारों को बताया जाना चाहिए था क्योंकि इस अवॉर्ड से भावनाएं जुड़ी होती हैं। ऐसा नहीं है कि वे पुरस्कार का अपमान करना चाहते हैं। अगर एक अवॉर्ड महज एक अवॉर्ड ही है तो सरकार इसे डाक से भी भेज सकती है।’
गौरतलब है कि जब सम्मानित कलाकारों ने इस मुद्दे पर हो हंगामा करना शुरू किया अपना विरोध दर्ज किया तो राष्ट्रपति भवन की तरफ से स्पष्टीकरण दिया गया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सभी पुरस्कार कार्यक्रमों में अधिकतम एक घंटे ही रुकते हैं। चूंकि इस बारे में पहले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अवगत करा दिया गया था, इसलिए बाकी के सम्मान स्मृति ईरानी और राज्यवर्धन सिंह राठौर के हाथों दिलवाने का निर्णय लिया गया होगा।
राष्ट्रपति की तरफ से मिले इस स्पष्टीकरण के बाद कलाकार और ज्यादा चिढ़ गए हैं। इसीलिए ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित साउंड डिजाइनर रेसुल पोकुट्टी ने नाराज होते हुए ट्वीट किया है, ‘अगर भारत सरकार अपने समय में से हमें 3 घंटे नहीं दे सकती, तो उन्हें हमें राष्ट्रीय पुरस्कार देने के बारे में परेशान नहीं होना चाहिए. हमारी मेहनत की कमाई का 50 प्रतिशत से ज्यादा आप मनोरंजन टैक्स के रूप में ले लेते हैं, कम से कम आप इतना तो कर ही सकते थे कि हमारे मूल्यों का सम्मान करें।’
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित होने वाली सिंगर साशा तिरुपति तो राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार न मिलने पर हताशा से भर गईं। उन्होंने कहा, हम राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार लेने आए थे न कि किसी सरकारी अधिकारी से। अब बहुत ज्यादा अपमानित महसूस कर रही हूं। सम्मान पाने की कोई एक्साइटमेंट ही नहीं बची है। मेरे पिता वैंकूवर से आने वाले थे, शुक्र है कि वे नहीं आए। अगर वे आ जाते तो यह वाकई शर्म की बात होती, क्योंकि वह इतना लंबा सफर तय करके मुझे राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिलता देखना चाहते थे। 64 साल से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार राष्ट्रपति दे रहे थे। जब आप राष्ट्रीय पुरस्कार की बात करते हैं तो आंखों के सामने अपने आप से ही राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिलने की तस्वीर घूम जाती है।