नेपाल की अधिकांश लड़कियों का इस्तेमाल होटल और टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी चलाने वालों द्वारा रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट के नजदीकी होटलों में देह व्यापार के लिए किया जाता है...
सुशील मानव की रिपोर्ट
जनज्वार। सरकार प्रशासन और तमाम गैर सरकारी संगठन महिलाओं को लेकर तमाम दावे भले कर रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि बिल्कुल सरकार की नाक के नीचे राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद का ट्रांस हिंडन क्षेत्र मानव तस्करी का गढ़ बन गया है।
कल यानि सोमवार 23 अक्टूबर की शाम इंदिरापुर थाने की पुलिस और दिल्ली पुलिस की संयुक्त छापेमारी में इंदिरापुरम के न्याय खंड 2 की सृजन बिहार सोसाइटी के दो फ्लैटों से 28 लड़कियों का मुक्त कराया गया। दरअसल करीब तीन महीने पहले खाड़ी देश भेजने के लिए नेपाल से तीस लड़कियों को लाया गया था और सभी तीसों लड़कियों को सृजन विहार इंदिरापुरम की इन्हीं दो फ्लैटों में रखा गया था।
इसी दौरान मौका पाकर दो लड़कियां यहां से भागकर अपनी एक रिश्तेदार के पास जो पहुंची जोकि खुद एक घर में घरेलू कामगार के तौर पर काम करती हैं। फिर उन्होंने गीता कॉलोनी निवासी एक दंपती को लड़कियों को बंधक बनाकर रखने की सूचना दी। फिर सब मिलकर दिल्ली पुलिस के पास गए। वहां से दिल्ली पुलिस के कुछ अफसर दोनों लड़की और सूचना देनेवाले को साथ लेकर इंदिरापुरम थाने पहुंचे।
ठीक पांच बजे इंदिरापुरम पुलिस ने अपने दल-बल के साथ इंदिरापुरम न्यायखंड-2 के सॉजन विहार सोसायटी के फ्लैट नंबर सी-5 (C-5), डी-24 (D-24) और आई-7 (I-7) में छापेमारी करके वहां कैद करके रखी गई 28 लड़कियों को मुक्त करवाया। मौके से नेपाली मूल के पांच एजेंटों रोमियो जोशी, ध्रुव पांडेय,केदारनाथ, विकास बहादुर धीमरे और रामेन्द्र गिरी को भी गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों कि खिलाफ़ मानव तस्करी और देह व्यापार की धाराएं लगाई गई हैं।
दिल्ली एनसीआर में चल रहे तमाम होटल, टूर एंड ट्रवेल्स एजेंसियां, पब, बार, कसीनो, डिस्कोथेक, प्लेसमेंट एजेंसियां देह व्यापार और मानव तस्करी जैसे गैरकानूनी कामों में संलिप्त हैं। दिल्ली एनसीआर में ब्यूटी पॉर्लर और मसाज सेंटर चलाने वाले नेपाली भी इस धंधे में बड़े पैमाने पर जुटे हैं। ब्यूटी पॉर्लर और मसाज सेंटर की आड़ में ये धंधा बेरोक-टोक फलता फूलता है। इनका पूरा का पूरा इनका एक नेक्सस है जिसमें खादी खाकी और सफेदी सबकी शह व संलिप्तता है।
तस्करी के रूट पर रेलवे, एयरपोर्ट और अन्य विभागों के कर्मचारी और अफसर इन तस्करों की मदद करते हैं। जुलाई 2015 में मानव तस्करी के इस गोरखधंधे में एयर इंडिया के दो कर्मचारियों मनीष और कपिल को गिफ्तार किया गया था। बाद में दोनों की निशानदेही पर महिपालपुर इलाके से 21 और नेपाली लड़कियों को रिहा कराया गया। पुलिस के मुताबिक एयर इंडिया के कर्मचारी एक लड़की के भेजने के एवज में 500 रुपये लेते थे।
इनके एजेंट पूर्वी भारत के बेहद गरीब परिवारों और नेपाल से लड़कियों को नौकरी और शादी का झांसा देकर ले आते हैं। लड़कियों को दूर अरब और खाड़ी के देशों ओमान, मलेशिया, किर्गिस्तान, यूएई, कतर, कुवैत, सउदी अरब, सीरिया और लेबनान में बेंचा जाता है। जबकि अधिकांश लड़कियों का इस्तेमाल होटल और टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी चलाने वालों द्वारा रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट के नजदीकी होटलों में देह व्यापार के लिए किया जाता है।
पॉश क्षेत्रों के पब, बार और रेस्टोरेंट में भी इन लड़कियों का इस्तेमाल गैरकानूनी डील के लिए किया जाता है। इसके अलावा आगरा जैसे टूरिस्ट प्लेस में भी लड़कियों का इस्तेमाल देह व्यापार के लिए किया जाता है। गाजियाबाद का लोनी इलाका तो सेक्स रैकेट का थोक मार्केट बन चुका है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 से मार्च 2018 के बीच सिर्फ दिल्ली से करीब 208 मानव तस्करों को पकड़कर उनके पास से 926 बंधकों को छुड़ाया गया, जिनमें से अधिकांश कम उम्र की लड़कियाँ थी।
इससे पूर्व 1 अगस्त 2018 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से लगे पहाड़गंज के एक होटल से बनारस अपराध शाखा की पुलिस ने 39 लड़कियों को बरामद किया गया था जिसमें 16 लड़कियां नेपाल की थी। बाकी बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, जलपाईगुड़ी से थी। सभी लड़कियों को खाड़ी देशों में बेचने के लिए बनारस से दिल्ली लाया गया था।
उससे भी पहले 24 जुलाई 2018 मंगलवार को दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने साउथ दिल्ली के मुनिरका इलाके के एक घर से मंगलवार देर रात 16 नेपाली लड़कियों को मुक्त कराया। इन लड़कियों को दलाल इराक और कुवैत भेजने वाले थे। मुक्त कराई गई लड़कियों ने डीसीडब्ल्यू को बताया कि 15 दिन में दलाल 2 लड़कियों को इराक और 5 को कुवैत भेज चुके हैं। इनमें एक लड़की गर्भवती भी थी।
गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक नेपाल से लगभग 50 लड़कियां प्रति दिन तस्करी करके भारत लाई जाती हैं और यहां से इन लड़कियों को अलग-अलग चैनल और रूट द्वारा खाड़ी के देशों में भेजा जाता है।
साल 2015 में आए भूकंप के बाद से नेपाल से लड़कियों की तस्करी का ग्राफ बढ़ा है। दिल्ली पुलिस समेत दूसरी एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरे धंधे में दिल्ली एनसीआर नेपाल से लाई गई लड़कियों को बंधक बनाकर रखने का सुरक्षित अड्डा बन गया है, जहां से बाद में इन लड़कियों को खाड़ी देशों में बेच दिया जाता है। एक बार लड़कियों को विदेश भेज देने के बाद उनकी जानकारी से जुड़े सारे रिकॉर्ड खत्म कर दिये जाते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक हांगकांग दुनिया का सब से बड़ा ‘नेपाली लड़कियों के देह व्यापार’ का बाजार माना जाता है। जहां 11 से 18 वर्ष की नेपाली लड़कियों को नौकरी के बहाने तस्करी कर के पहुंचाया जाता है। नेपाल से लड़कियों की तस्करी कर के वेश्यावृत्ति में झोंकना एक बड़ा फायदे वाला बिजनैस बन गया है।
आंकड़ों के मुताबिक, इंडियन सैक्स ट्रेड में 3 लाख से ज्यादा नेपाली लड़कियां शामिल हैं। नेपाल के लोग बेहद गरीबी की हालत में जीवन गुजारते हैं, उनके लिए खेती से गुजारा करना मुश्किल होता है। उनकी लड़कियां अशिक्षित होने के चलते कोई और काम नहीं कर पाती। गरीबी और लाचारी का आलम ये है कि कई बार तो मजबूर मां-बाप ही अपनी कम उम्र लड़कियों को महज 10-30 हजार रुपए ले कर दलालों के हाथ में बेंच देते हैं।
हम तथाकथित सभ्य और विकसित देशों के लोग ज्यादा से ज्यादा इन लाचार मां-बाप को लानत ही भेज सकते हैं, पर हकीकत तो यही है कि 2015 का कोई भूकंप प्राकृतिक आपदा नहीं थी। वो भूकंप पूंजीवादी देशों द्वारा नेपाल को दी हुई सौगात थी, जिसकी कीमत नेपाली लोग आज भी मानव तस्करी और देह व्यापार की शक्ल में चुकाने को अभिशप्त हैं।