सवाल ये है कि आखिर ज्ञानपीठ के खिलाफ फर्जी खबर फैलाई किसने
ज्ञानपीठ के निदेशक और वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर मंडलोई ने कहा सोशल मीडिया पर फैली जा रही ज्ञानपीठ बंद होने की खबर है मात्र अफवाह
जनज्वार, दिल्ली। पिछले दिनों हिंदी की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका नया ज्ञानोदय बंद होने की अफवाहें सोशल मीडिया पर खूब फैल रही थीं, जिन्हें आज ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने एक बयान जारी कर विराम दे दिया है।
लीलाधर मंडलोई ने ज्ञानपीठ बंद होने को मात्र कोरी अफवाह करार देते हुए उनका खंडन किया है।
वरिष्ठ साहित्यकार और ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने कहा है कि 'गत कुछ दिनों से सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म्स पर कई संस्थाओं तथा व्यक्तियों द्वारा ‘नया ज्ञानोदय’ तथा भारतीय ज्ञानपीठ से किताबों के प्रकाशन बन्द होने तथा लेखकों को कॉपीराइट लौटाने की अफवाहें साहित्यिक समाज में फैलाई जा रही हैं जिनका किसी भी प्रकार का सम्बन्ध भारतीय ज्ञानपीठ की नीतियों तथा भारतीय ज्ञानपीठ के संवैधानिक पदों पर बैठे अधिकारियों से नहीं है।
लीलाधर मंडलोई आगे लिखते हैं, हम साहित्यिक समाज में शामिल लेखकों, पत्रकारों, पाठकों व विक्रताओं से निवेदन करते हैं कि कृपया आप सोशल मीडिया अथवा किसी अन्य प्रकार से फैलाए जा रहे इन अफवाहों पर ध्यान न दें। आप सभी का सहयोग जिस प्रकार हमें पूर्व में मिलता रहा है वह आगे भी जारी रहेगा हम ऐसी कामना करते हैं।
यह वही पत्र है जो सोशल मीडिया पर ज्ञानपीठ प्रसार अधिकारी सुनीता बिष्ट के नाम से हो रहा था वायरल
गौरतलब है कि मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ज्ञानपीठ प्रसार अधिकारी सुनीता बिष्ट की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित साहित्यिक मासिक पत्रिका नया ज्ञानोदय के प्रकाशन को अपरिहार्य कारणों से आगामी अगस्त 2018 से कुछ समय के लिए विराम दिया जा रहा है। पुनः प्रकाशन की स्थित में सार्वजनिक सूचना दी जाएगी। इसके आशय का एक पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। पत्र में कहा गया है कि आप सब सुधि पाठकों ने जिस तरह सहयोग किया हम उसके आभारी हैं। पत्र में नया ज्ञानोदय के प्रकाशन को बंद करने की कोई वजह नहीं बताई गई थी। यही पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था।
इसी के बाद से ज्ञानपीठ के ही बंद होने की अफवाहों का बाजार गर्म हो गया था।