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'कोरोना वैक्सीन का विकास 2020 में हो सकता है, मगर उत्पादन 2021 के अंत तक संभव'

Nirmal kant
31 May 2020 7:00 AM IST
कोरोना वैक्सीन का विकास 2020 में हो सकता है, मगर उत्पादन 2021 के अंत तक संभव
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पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि कोरोना वायरस की बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है, वैक्सीन 2020 में विकसित किया जा सकता है, लेकिन उत्पादन 2021 के अंत तक शुरू हो पाएगा...

जनज्वार/आईएएनएस। स्वीडन के महामारी विशेषज्ञ डॉ. एंडर्स टेगनेल ने कहा है कि कोविड-19 वैक्सीन को 2020 में विकसित किया जा सकता है, लेकिन इसका उत्पादन 2021 के अंत तक ही शुरू हो पाएगा। टेगनेल कोविड-19 स्वीडन के लॉकडाउन-लाइट के वास्तुकार हैं।

न्होंने पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा, बीमारी को रोकने के लिए पूर्ण समूह प्रतिरक्षा तक पहुंचकर लंबे समय में बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

न्होंने कहा, वैक्सीन 2020 में विकसित किया जा सकता है, लेकिन उत्पादन 2021 के अंत तक शुरू हो पाएगा। उन्होंने कहा है कि लोगों को कोविड-19 से प्रतिरक्षा मिलती है। टेगनेल ने कहा, हम यह बात चार-पांच महीनों के अपने अनुभव से कह सकते हैं और हमारे स्वीडिश अनुभव से हम कह सकते हैं कि हमारे पास एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जो दो बार संक्रमित हुआ हो।

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न्होंने कहा, यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी बहुत कम रिपोर्ट हैं कि लोगों को यह बीमारी एक से अधिक बार हुई हो। स्वीडन में हमारे पास एक बहुत मजबूत प्रणाली है, ताकि यह पहचान हो सके कि किसी व्यक्ति को दो बार तो बीमारी नहीं हुई है।

वायरल संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा के पहलू को स्पष्ट करते हुए टेगनेल ने कहा कि प्रतिरक्षा कितने समय तक चलेगी, यह अभी तक पता नहीं लगाया गया है; यह महीनों तक रह सकती है और शायद सालों तक भी रह जाए।

जोर देकर कहा कि समूह की प्रतिरक्षा एक जटिल मामला है, लेकिन पहले से ही आबादी की प्रतिरक्षा के स्तर के साथ, जो कि समूह की सीमा की तुलना में बहुत कम है, प्रसार की गति को प्रभावित करेगा।

स्टॉकहोम में सामूहिक प्रतिरक्षा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्टॉकहोम में कम से कम आबादी का पांचवां हिस्सा फिलहाल प्रतिरक्षित है और यह संक्रमण के प्रसार की कमी से स्पष्ट भी है। उन्होंने कहा, इससे बीमारी के प्रसार में काफी कमी आएगी।

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हामारी विशेषज्ञ ने कहा कि कोविड-19 लंबे समय तक रहेगा, जिसका अर्थ है कि किसी प्रकार की स्थायी प्रतिक्रिया तो होनी ही चाहिए। उन्होंने इस दिशा में बेहतर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों से ही पार पाने को लेकर स्पष्टता जाहिर की। यानी अगर लोगों की बड़ी आबादी में रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होगी तो निश्चित रूप से संक्रमण को हराने में सफलता प्राप्त की जा सकेगी।

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