
हवाई चप्पल में रहने वाली ममता दीदी की पार्टी टीएमसी की संपत्ति 180 गुना बढ़ी तो कांग्रेस की 11 सालों में 4 गुना, राष्ट्रीय पार्टियों की आमदनी का 76 प्रतिशत किसी को नहीं पता कि कहां से और कैसे आता है
जनज्वार। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म —एडीआर— ने राजनीतिक पार्टियों द्वारा अर्जित संपत्ति को लेकर 16 अक्तूबर को एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में 7 राष्ट्रीय पार्टियां शामिल हैं, जिसमें केंद्र में सत्तासीन भाजपा सर्वाधिक मुनाफेदार पार्टी साबित हुई है। रिपोर्ट 2004—05 से 2015—16 के बीच 11 वर्षों के अध्ययन पर आधारित है।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 2015—16 में भाजपा की संपत्ति 894 करोड़ हो गई है, जबकि 2004—05 में करीब 124 करोड़ थी। 2004—05 से 2015—16 के बीच के अध्ययन में पता चला है कि कांग्रेस की संपत्ति क्रमश: 167 करोड़ से 759 करोड़ हो गई है।
भाजपा की संपत्ति में यह बेतहाशा वृद्धि इसलिए भी रेखांकित की जाने योग्य है क्योंकि उसने अपने से दुगुनी से भी ज्यादा उम्र वाली कांग्रेस को संपत्ति अर्जित करने में पीछे धकेल दिया है।
राष्ट्रीय पार्टियों की आमदनी का सिर्फ 2 प्रतिशत इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट के जरिए हासिल हुआ। सभी राष्ट्रीय पार्टियों की आमदनी का 76 प्रतिशत किसी को नहीं पता कि कहां से और कैसे आता है।
केवल 9 प्रतिशत संपत्ति आती है आधिकारिक स्रोतों से। शरद पवार की एनसीपी का 91 प्रतिशत, कांग्रेस की 82 प्रतिशत, भाजपा की 73 प्रतिशत, बसपा का 62 प्रतिशत और माकपा का 54 प्रतिशत और भाकपा की 14 प्रतिशत आय कैसे हुई, इसकी कोई जानकारी पार्टियों ने नहीं दी।
वहीं 2004—05 में माकपा लगभग 100 करोड़, भाकपा करीब 6 करोड़, बसपा करीब 43 करोड़, एनसीपी करीब 2 करोड़ और टीएमसी मात्र 25 लाख की संपत्ति वाली पार्टी थी। पर इन पार्टियों की भी संपत्ति बढ़ने में कोई लेकिन नहीं रहा।
बसपा तो इन 11 सालों में 43 करोड़ से सीधे 559 करोड़ और गरीबों—मजदूरों की पार्टी माकपा 100 करोड़ से सीधे करीब 438 करोड़ पर पहुंच गई है।
2004—05 के मुकाबले 2015—16 में भाकपा और एनसीपी की संपत्ति भी क्रमश: 10 और 14 करोड़ हो गई है। वहीं इन 11 सालों में 180 गुना बढ़ोतरी करने वाली टीएमसी 45 करोड़ की संपत्ति की मालिक बन गई है।
एडीआर की यह रिपोर्ट पार्टियों द्वारा दी गई उनकी संपत्ति की जानकारी पर आधारित है।