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राजनीति

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश किया खारिज, कहा प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार नहीं है बाध्य

Prema Negi
8 Feb 2020 3:38 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश किया खारिज, कहा प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार नहीं है बाध्य
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उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। किसी का मौलिक अधिकार नहीं है कि वह प्रमोशन में आरक्षण का दावा करे...

जेपी सिंह की टिप्पणी

च्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए क्वॉन्टिटेटिव डेटा एकत्र करे। डेटा एकत्र कर पता लगाया जाए कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं ताकि प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जा सके।

च्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को रिजर्वेशन देने के लिए निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।

ससी/एसटी कैटेगरी में प्रमोशन में आरक्षण देने का निर्देश उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जारी किया था। इस फैसले को राज्य सरकार और सामान्य वर्ग के आवेदन ने चुनौती दी थी। राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि वह एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में पता लगाने के लिए क्वांटिटेव डेटा एकत्र करे और प्रमोशन में आरक्षण प्रदान करे। इस फैसले को चुनौती दी गई थी।

न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। किसी का मौलिक अधिकार नहीं है कि वह प्रमोशन में आरक्षण का दावा करे। कोर्ट इसके लिए निर्देश जारी नहीं कर सकता कि राज्य सरकार आरक्षण दे। उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा साहनी जजमेंट का हवाला देकर कहा कि अनुच्छेद-16 (4) और अनुच्छेद-16 (4-ए) के तहत प्रावधान है कि राज्य सरकार डेटा एकत्र करेगी और पता लगाएगी कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का प्रयाप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं, ताकि प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सके। लेकिन ये डेटा राज्य सरकार द्वारा दिए गए रिजर्वेशन को जस्टिफाई करने के लिए होता है कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।

लेकिन ये तब जरूरी नहीं है जब राज्य सरकार रिजर्वेशन नहीं दे रही है। राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है। और ऐसे में राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है कि वह पता करे कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं। ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है और आदेश कानून के खिलाफ है।

च्चतम न्यायालय ने कहा कि मौजूदा मामले में हाईकोर्ट को ये नहीं बताया गया कि कमिटी ने क्वॉन्टिटेटिव डेटा एकत्र किया था और राज्य सरकार ने तय किया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं दिया जाएगा। ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है।

हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर से असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर प्रमोशन में रिजर्वेशन देने का 15 जुलाई को आदेश पारित किया था। हाईकोर्ट ने इसके लिए राज्य सरकार से कहा था कि वह पब्लिक सर्विस के लिए एससी/एसटी समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए क्वॉन्टिटेटिव डेटा एकत्र करे।

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