सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश किया खारिज, कहा प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार नहीं है बाध्य
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। किसी का मौलिक अधिकार नहीं है कि वह प्रमोशन में आरक्षण का दावा करे...
जेपी सिंह की टिप्पणी
उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए क्वॉन्टिटेटिव डेटा एकत्र करे। डेटा एकत्र कर पता लगाया जाए कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं ताकि प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जा सके।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को रिजर्वेशन देने के लिए निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।
एससी/एसटी कैटेगरी में प्रमोशन में आरक्षण देने का निर्देश उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जारी किया था। इस फैसले को राज्य सरकार और सामान्य वर्ग के आवेदन ने चुनौती दी थी। राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि वह एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में पता लगाने के लिए क्वांटिटेव डेटा एकत्र करे और प्रमोशन में आरक्षण प्रदान करे। इस फैसले को चुनौती दी गई थी।
लेकिन ये तब जरूरी नहीं है जब राज्य सरकार रिजर्वेशन नहीं दे रही है। राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है। और ऐसे में राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है कि वह पता करे कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं। ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है और आदेश कानून के खिलाफ है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मौजूदा मामले में हाईकोर्ट को ये नहीं बताया गया कि कमिटी ने क्वॉन्टिटेटिव डेटा एकत्र किया था और राज्य सरकार ने तय किया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं दिया जाएगा। ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है।