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जनज्वार विशेष

उत्तराखण्ड में ब्लड कैंसर पीड़ित बच्ची के सामने सरकारी दावे हवा-हवाई : अब ये जाए किसके दरवाजे

Janjwar Team
27 Feb 2018 8:15 PM GMT
उत्तराखण्ड में ब्लड कैंसर पीड़ित बच्ची के सामने सरकारी दावे हवा-हवाई : अब ये जाए किसके दरवाजे
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ब्लड कैंसर पीड़ित वंशिका के गरीब परिजन लगा रहे इलाज के लिए सरकार से गुहार, लेकिन सरकार संचालित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ तक नहीं मिल रहा वंशिका को

गरीबी के कारण पहले भी यह परिवार नहीं करवा पाया है एक बच्चे का इलाज, वंशिका के पांच साल के भाई की इलाज के अभाव में हो चुकी है मौत

सवालों में गरीबों के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, बीमा योजना को भाजपा सरकार कर चुकी है बंद, विरोध होने पर आनन फानन में किया शुरू, मगर उत्तराखण्ड के निजी अस्पताल नहीं स्वीकार कर रहे स्वास्थ्य बीमा कार्ड

रामनगर से सलीम मलिक और सुमित जोशी की रिपोर्ट

सरकारी सुविधाओं के जोर-शोर के साथ किये जाने वाले दावो की पोल की बात करें तो अनगिनत मामले सामने हैं। उत्तराखण्ड के रामनगर में भी एक ऐसा मामला सामना आया है, जो सरकारी कामकाज की न केवल पोल खोलता है, बल्कि सरकारों की असंवेदनशीलता का परिचायक भी है।

यह कहानी एक गरीब परिवार की बेटी वंशिका से जुड़ी है। वंशिका की कहानी से पहले बता दें कि उत्तराखण्ड राज्य में पिछली हरीश रावत की सरकार ने एक मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारम्भ किया था। जोर-शोर से शुरु हुई इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिये पूरे प्रदेश में थोक के भाव जनता के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्ड बनाये गये थे। लेकिन प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ जनता तक पहुंचाने के सरकार के दावे वंशिका के लिये हवा-हवाई ही साबित हुये।

वंशिका का गरीब परिवार आर्थिक असमर्थता के कारण ब्लड कैंसर से पीड़ित अपनी दस साल की बच्ची वंशिका के इलाज के लिए सराकार से गुहार लगा रहा है, लेकिन सरकार तो छोड़िए राज्य में संचालित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ तक इस परिवार को नहीं मिल सका है। ऐसे में रामनगर के व्यापारी और कई सामाजिक संगठन वंशिका के परिवार की मदद के लिए आगे आए हैं, जिन्होंने डाॅक्टरों के परार्मश के बाद इलाज के लिए उसे दिल्ली भेजा है।

रामनगर में मोची का काम करने वाले मोहल्ला इंदिरा कालोनी उत्तरी खताड़ी निवासी बबलू सागर की दस वर्षीय बच्ची वंशिका को बीते कुछ महीनों से चक्कर आना और शरीर में सूजन की समस्या जूझ रही है। परिजनों ने कुछ समय पहले उसका इलाज एसटीएच हल्द्वानी में कराया, लेकिन कुछ दिन के उपचार के बाद पैसों के अभाव में परिजन उसे वापस रामनगर ले आए।

उसकी मां बबली देवी कहती है, वंशिका की अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण वो उसे शहर के एक निजी अस्पताल में ले गई, जहां जांच में उसके शरीर में खून की कमी पायी गई। बाद में वह वंशिका को काशीपुर के एक निजी अस्पताल में ले गई, जहां उसने उसके परिवार को प्राप्त मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का कार्ड दिखाया तो अस्पताल प्रबंधन ने कार्ड के बंद होने की बात कहकर उसे स्वीकार नहीं किया।

किसी तरह से पैसों का जुगाड़ कर वंशिका के परिजनों ने काशीपुर के निजी अस्पताल में हुई जांचों के लिए सैम्पल को दिल्ली भेजा गया, जिसमें ब्लड कैंसर की प्राइमरी स्टेज में होने की पुष्टि हुई। जांच रिपोर्ट आने के बाद डाॅक्टरों ने वंशिका के परिजनों से उसे बिना देर किए दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया और इलाज में करीब तीन लाख रुपये का खर्च आने की बात कही।

मगर आर्थिक असमर्थता के चलते उसके परिजन उसे वापस रामनगर ले आए। वंशिका के पड़ोस में राशन डीलर नरेन्द्र शर्मा को वंशिका की बीमारी का पता चला तो उन्होने सोशल मीडिया में सहायता की अपील की। तब जाकर स्थानीय व्यापरियों के अलावा कई समाजसेवी संगठनों ने उसकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए, जिसके बाद वंशिका को इलाज के लिए दिल्ली भेज दिया गया। वहां एम्स में डाॅक्टरों के एक पैनल ने उसकी जांच कर उपचार शुरू किया है।

इस परिवार पर गरीबी के कहर की यह इकलौती मार नहीं है। करीब दो महीने पहले आर्थिक तंगी के कारण वंशिका के परिजन उसके पांच साल के भाई का बीमारी में इलाज नहीं करा सके थे, जिस कारण उसकी मौत हो गई थी।

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना पर फिर सवाल
हरीश रावत सरकार में शुरू हुई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने रोक लगा दी थी। माना जा रहा था कि राजनीतिक विद्वेष के चलते भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया था, लेकिन जनहित की इस योजना से छेड़छाड़ होते ही राज्य में सरकार की आलोचना का जो दौर शुरू हुआ, उससे घबराकर सरकार ने आनन-फानन में इस योजना को फिर से शुरू करने का ऐलान कर दिया था।

मगर राज्य के बहुत से अस्पताल अभी भी इस कार्ड को स्वीकार करने से मना कर रहे हैं, जिस कारण राज्य की जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही कुछ ब्लड कैंसर से पीड़ित वंशिका की मां जब उसे इलाज के लिए काशीपुर के एक निजी अस्पताल में ले गई तो वहां के डाॅक्टरों ने स्वास्थ्य बीमा का कार्ड स्वीकार करने से इंकार कर दिया। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करने वाली राज्य में सत्तासीन भाजपा सरकार पर सवाल उठना लाजमी है।

कैंसर पीड़ित वंशिका के परिवार को जारी किया गया है पीला राशन कार्ड
ब्लड कैंसर का सामना कर रही वंशिका के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। उसके पिता बबलू सागर शहर में मोची का काम करते हैं और मां गृहिणी हैं, लेकिन उसे खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा पीला यानी एपीएल कार्ड जारी किया गया है। ऐसे में सरकार द्वारा कराए जाने वाले सर्वे भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि जब गरीबी में जीवन—यापन कर रहे इस परिवार को गलत कार्ड निर्गत किया गया है, तो प्रदेश में ऐसे कई सारे परिवार ऐसे होंगे जो सरकारी लापरवाही के कारण सुविधाओं से वंचित होंगे या फिर गलत लोग सुविधाओं का लाभ उठा रहे होंगे।

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