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राजनीति

नहीं रहे वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी

Janjwar Team
20 Nov 2017 6:02 PM GMT
नहीं रहे वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी
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पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की नीव माने जाने वाले नेताओं में शुमार प्रियरंजन ऐसे समय में कोमा में चले गए जब वे अपने राजनीतिक कैरियर में शिखर पर विराजमान थे...

दिल्ली। तकरीबन 9 सालों से कोमा में रहने के बाद वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रियरंजन दास मुंशी का आज दिल्ली में निधन हो गया। पूर्व ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष प्रियरंजन दास मुंशी वर्ष 2008 में बीमारी के बाद कोमा में चले गए थे।

दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती प्रियरंजन को 2008 में पहले हार्ट अटैक आने के बाद लकवा मार गया था, जिसके कारण वे लंबे समय तक कोमा में रहे और कोमा में ही इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की नीव माने जाने वाले नेताओं में शुमार प्रियरंजन ऐसे समय में कोमा में चले गए जब वे अपने राजनीतिक कैरियर में शिखर पर विराजमान थे। बीमारी के वक्त वे तत्कालीन यूपीए सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थे। पश्चिम बंगाल में उनकी टक्कर का कांग्रेसी नेता सिर्फ प्रणब मुखर्जी थे।

13 नवंबर, 1945 को पैदा हुए प्रिय रंजन दासमुंशी मात्र 25 साल की उम्र में सत्तर के दशक में पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए थे और मात्र एक साल के बाद वर्ष 1971 में साउथ कलकत्ता से जीत हासिल कर संसद पहुंच ए।

1984 में हावड़ा लोकसभा सीट जीतने के बाद वे 1985 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने। खेलों के प्रति खासा लगाव रखने वाले दासमुंशी लगभग दो दशक तक ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष रहे। खास बात यह है कि पश्चिम बंगाल में फुटबॉल के प्रति जुनून क्रिकेट की तरह ही है।

2004 में कांग्रेसी मनमोहन सिंह सरकार में प्रियरंजन दोहरी भूमिकाएं निभा रहे थे।
सूचना प्रसारण मंत्री के साथ—साथ वे संसदीय कार्य मंत्री भी रहे। सूचना प्रसारण मंत्री के बतौर तो उनका कार्यकाल सुर्खियों में रहा था। उन्हीं के कार्यकाल में AXN और फैशन टीवी पर बैन लगाया गया था, इतना ही नहीं खेलों के प्रसारण का अध‍िकार सिर्फ दूरदर्शन को देने का साहसिक निर्णय भी उन्होंने ही लिया था।

हालांकि मीडिया को नियंत्रण में लाने के संबंध में चर्चा में आने पर उनकी खासा आलोचना भी हुई थी, लेकिन बाद में बीमार होने के चलते इस दिशा में कोई बहस आगे नहीं बढ़ पाई।

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