बनारस में गंगा मईया ने लिया खुद से छेड़खानी का बदला, यूपी में बारिश में मरने वालों की संख्या पहुंची 111
यूपी में बारिश और बाढ़ में मरने वालों की संख्या 111 पहुंची, बिहार में 29 लोगों की मौत, 25 साल बाद उत्तर भारत में इतने कम दिनों में इतनी भयंकर बारिश, प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण मानसून का समय हुआ है बेतरतीब
बनारस के दो गांवों में मौत बनकर बरसी बारिश, कच्चे मकान गिरने से दो बुजुर्ग महिलाओं की मौत हो गयी तो दो अन्य गंभीर रूप से हुए घायल
बनारस, जनज्वार। बनारस के बड़ागाँव थाना क्षेत्र के खरावन गांव में रविवार 29 सितंबर की दोपहर को कच्चा मकान गिरने से उसमें सो रही 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला की मकान के मलबे में दब जाने के कारण मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलते ही CO बड़ागांव अर्जुन सिंह और थानाध्यक्ष संजय सिंह, तहसीलदार और लेखपाल ने मौके पर पहुँच आर्थिक सहायता दिलाने की बात की। उसके बाद बुजुर्ग महिला के शव को अपने कब्जे में लेकर अग्रिम कार्यवाही को भेज दिया।
इसी क्रम में दूसरी घटना इसी थानाक्षेत्र के ग्रामसभा बलुआ में रविवार 29 सितंबर को ही दोपहर में बुजुर्ग हुबराजी देवी के साथ हुई। भगवती दुबे की 85 वर्ष पत्नी हुबराजी देवी के ऊपर दीवार गिर गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी। हालांकि परिजन उन्हें हॉस्पिटल ले गये, मगर तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। यहाँ भी मौके पर प्रशानिक अधिकारियों ने पहुँचकर परिजनों से घटना के बारे में जानकारी ली।
एक अन्य तीसरी घटना इसी थानाक्षेत्र के फत्तेपुर ग्रामसभा में हुई। ग्रामीण मुन्नाराम का कच्चा मकान बारिश की चपेट में आने से भरभरा कर गिर गया। मकान गिरने से घर में रह रही 67 वर्षीय मुलरा देवी गंभीर रूप से घायल हो गई, जिनका उपचार बाबतपुर स्थित एक निजी अस्पताल में चल रहा है, उनकी हालत अभी बेहतर नहीं है।
कच्चे मकानों के गिरने का सिलसिला है जारी
बड़ागांव में बहत्तर घंटों से लगातार हो रही बरसात के कारण इसका पानी आम लोगों के लिए आफत बन गया है। बरसात के जल ने जलजले का रूप ले लिया है। एक तरफ आधा दर्जन से ज्यादा गांवां में किसानों और गरीबों के कच्चे मकान धराशायी हो गये हैं, वहीं टीकरी कला गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। लोगों के घरों में पानी घुसने लग रहा है।
कच्चे मकानों के गिरने से यहां दो पशुओं की मौत हो गई है, वहीं एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला गंभीर रूप से घायल हो गयी है। टीकरी कला गांव में प्रशासन की मुस्तैदी से सड़क काटकर पानी निकलने का रास्ता बनाया गया, जिससे व्यापक जान माल की हानि होने से बचाया गया।
कहा जाता है कि जल ही जीवन है, मगर पिछले तीन-चार दिनों से हो रही अनवरत बरसात के कारण यही जल जलजला बन चुका है, जिससे जनजीवन ही नहीं पशु-पक्षी और पेड़ पौधे तथा फसलें बेहाल हो गई हैं। जगह-जगह जल जमाव के चलते साग सब्जी और दलहनी फसल गल कर नष्ट हो रही है, वहीं आये दिन किसानों और गरीब मजदूरों के कच्चे मकान धराशायी हो रहे हैं।
बाढ़ के पानी से इस तरह भरा हुआ है बनारस शहर
कठिरांव गांव के खरका बस्ती में नन्दलाल यादव का कच्चा मकान गिरने से उसमें दब कर दो भैंसों की मौत हो गई इसी तरह करमपुर गांव में खदेरु प्रजापति का कच्चा मकान गिर गया जिसमें आर्थिक क्षति हुआ है। अनवरत वर्षा के कारण ही कुड़ी गांव में रामलखन प्रजापति का कच्चा मकान गिर गया, यहां भी आर्थिक क्षति हुई है।
जल जमाव और अनवरत वर्षा के कारण रघुनाथपुर गांव के शीतला दुबे, शिव कुमार दुबे, गुलाब साव, मानती देवी लालबिहारी दुबे, बैजनाथ गुप्ता, कमलेश दुबे एवं राजेंद्र प्रसाद का कच्चा मकान धराशायी हो गया। इन सभी किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठाना पड़ा है। लगातार हो रही मूसलाधार बरसात के चलते पिण्डरा विकास खंड के टीकरी कला गांव में सैकड़ों एकड़ में बोई गयी फसल तथा रिहायशी बस्ती जलमग्न हो गई। किसानों और मजदूरों के घर जल प्लावित हो गए।
मगर असल सवाल यह है कि अगर हालात ऐसे ही रहे और कुछ दिन बरसात और रही तो यहां व्यापक जान माल का नुकसान होगा।