Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

54 प्रतिशत वोट पाने वाले केजरीवाल आखिर ट्वीटर के मुख्यमंत्री हैं या दिल्ली के

Prema Negi
25 Feb 2020 6:02 AM GMT
54 प्रतिशत वोट पाने वाले केजरीवाल आखिर ट्वीटर के मुख्यमंत्री हैं या दिल्ली के
x

न सिर्फ केजरीवाल बल्कि संसद में दहाड़ने वाले संजय सिंह भी सड़क पर उतरने से गुरेज किया। उन्होंने भी ट्वीटर पर उतरकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली

कुछ साल पहले तक तीसरे स्वाधिनता आंदोलन के लिए अपनी जान की आहूती देने का ताल ठोकते रहे दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय कहीं नहीं नजर आए, जबकि दंगाई उनकी विधानसभा से भी खूब आए

जनज्वार। अभी बहुत दिन नहीं बीते दिल्ली विधानसभा चुनावों को, जिसमें जनता ने भारी बहुमत से अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर से अपना मुख्यमंत्री चुना था। केजरीवाल को अपना नेता चुनने के पीछे जनता की आकांक्षा उन्हें एक शासक के बतौर देखने की रही होगी, तभी उन्हें दोबारा चुना। मगर अपने कामों की बदौलत वोट मांगने वाले केजरीवाल CAA-NRC के नाम पर जलती दिल्ली को देखकर सिर्फ अपने ट्वीटर तक सीमित है।

ल 24 फरवरी को एक बार फिर दिल्ली दंगों में झुलसी, अब तक आधा दर्जन की मौत होने की खबर है तो 100 से ज्यादा लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर है। संपत्ति के नुकसान का तो अभी तक आकलन ही ठीक ठीक नहीं हो पाया होगा। मगर दंगे में इतने बड़े पैमाने पर मची तबाही के बाद भी मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्री तो छोड़िये क्षेत्र के विधायक तक सोशल मीडिया से शांति की अपील कर रहे हैं। लोगों के बीच अब तक केजरीवाल सरकार का एक मंत्री या नेता नहीं पहुंचा है।

गौरतलब है कि दिल्ली चुनावों में केजरीवाल की पार्टी 54 फीसदी मतों के साथ दोबारा सत्ता पर काबिज हुई है। आप के 63 उम्मीदवारों को जनता ने अपना प्रतिनिधि चुनकर सत्ता सौंपी है। मगर यही पार्टी अब जनता के बीच नहीं बल्कि सोशल मीडिया तक सीमित है।



?s=20

ल 24 फरवरी को दिल्ली में मचे बवाल और लगभग आधी दर्जन मौतों के बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है, "दिल्ली के कुछ हिस्सों में बहुत ही चिंताजनक स्थिति है। हम सब मिलकर अपने शहर में शांति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। मैं फिर से सभी से हिंसा से दूर रहने का आग्रह करता हूं। कुछ समय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रभावित क्षेत्रों के सभी विधायकों (सभी दलों के) के साथ बैठक करूंगा।'

सिर्फ केजरीवाल बल्कि संसद में दहाड़ने वाले संजय सिंह भी सड़क पर उतरने से गुरेज किया। उन्होंने भी ट्वीटर पर उतरकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। संजय सिंह ने ट्वीट किया, 'सभी दिल्लीवासियों से विनम्र अनुरोध है अपनी खूबसूरत दिल्ली को हिंसा और फ़साद के जाल में न फँसने दें, ये वक़्त धैर्य व संयम का परिचय देने का है किसी के भड़काने में न आयें हिंसा किसी समस्या का समाधान नही है।'

हीं 'काम बोलता है' कहकर वोट मांगने वाले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया भी ट्वीटर छोड़ जमीन पर लोगों के बीच नहीं पहुंच पायें। मनीष सिसौदिया ने भी ट्वीट करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। सिसौदिया ने ट्वीटर से ही लोगों से निवेदन किया है, 'सभी दिल्लीवासियों से अपील है कि शांति बनाए रखें। हिंसा में सबका नुक़सान है। हिंसा की आग सबको ऐसा नुक़सान पहुँचाती है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाती।'

वाल यह है कि घर घर वोट मांगने पहुंचने वाले ये जननेता अब लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को क्यों नहीं सुलझा रहे।

गौरतलब है कि यह वही आम आदमी पार्टी है जिसे ओखला विधानसभा जहां कि शाहीनबाग भी आता है और शाहीनबाग आजकल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर CAA-NRC के खिलाफ हो रहे विरोध के चलते अपनी पहचान बना चुका है, वहां से सबसे बड़ी जीत मिली। कहीं न कहीं इस प्रदर्शन में शामिल जनता को उम्मीद होगी कि केजरीवाल सरकार उनका समर्थन करेगी, उनका आंदोलन असरकारी होगा, मगर ऐसा कुछ होता दिखायी नहीं देता। यह जनता का भाजपा के खिलाफ गुस्सा ही था कि आम आदमी पार्टी उम्मीदवार अमानतुल्ला खान ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की और भाजपा के ब्रह्म सिंह को 71 हजार 827 मतों से हराया।

र बात पर जनता के बीच जाकर भूख हड़ताल पर बैठने वाली दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी अब तक जनता के बीच नहीं पहुंची हैं। वो भी सोशल मीडिया तक सीमित होकर शांति बहाली की अपील करती दिख रही हैं।

स्वाति मालीवाल ने ट्वीट किया है, दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल जी के शहीद होने की दुखदाई खबर से मन बहुत व्यथित हुआ। सभी दिल्लीवासियों से अपील है शांति और धैर्य बनाए रखें। हिंसा से कभी कुछ हासिल नहीं होता। ऐसी हिंसा में अक्सर खुदके घर जल जाते हैं।'

न सबसे 2 कदम आगे बढ़कर यानी बात बात पर आंदोलन की बात करने वाले आप के गोपाल राय भी अपना फर्ज सोशल मीडिया से भी निभाये जा रहे हैं। वीडियो जारी कर वह कहते हैं, 'सभी से हाथ जोड़कर विनती है कि शांति व्यवस्था बनाए रखें।' लगातार आंदोलन के पैरवीकार आखिर क्यों नहीं अपनी विधानसभा में पहुंच लोगों से अपील कर रहे हैं कि शांति बनाये रखें, कहां गया उनके भीतर का आंदोलनकारी राजनेता। इसीलिए लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि आप ने सिर्फ सत्ता पाने के लिए हर दांव चला था और जब सत्ता पा ली है तो चुप लगाकर बैठ गये हैं, जनता मरती रहे।

CAA-NRC प्रदर्शन के दौरान अब तक 3 बार गोलीबारी हो चुकी है और अब तीसरी बार कल 24 फरवरी को मौजपुर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA-NRC) के समर्थकों और विरोधियों में हिंसक झड़प हुई। इस दौरान का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक लड़का हाथ में तमंचा लेकर फायरिंग करता दिख रहा है। फायरिंग मौजपुर से जाफराबाद वाली सड़क पर की गई, जिसमें एक पुलिस वाले की मौत हो गयी। हालांकि इस गोलीबारी में शामिल युवा मुस्लिम है। जानकारी के मुताबिक उसका नाम शाहरूख है।

गर असल सवाल है कि दिल्ली दंगों की आग में आखिर झुलस क्यों रही है। यह बात सही है कि दिल्ली पुलिस केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, मगर दिल्ली का मुखिया होने के नाते केजरीवाल के कुछ कर्तव्य और अधिकार तो होंगे जिनसे वो हिंसा की आग में जल रही जनता को बाहर निकाल सकें और लोगों को लगे कि उनका चुनाव सही है।

म आदमी पार्टी की CAA-NRC के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में हिंसक तांडव पर चुप्पी से लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि केजरीवाल सरकार भाजपा की बी टीम है, क्योंकि चुप रहना भी समर्थन की श्रेणी में आता है। जनता केजरीवाल से सवाल रही है कि दिल्ली के मुखिया होने के नाते आखिर ऐसे कैसे लोगों को हिंसा की आग में झुलसने के लिए छोड़ सकते हैं।

शाहीनबाग में लंबे समय से CAA-NRC के खिलाफ हो रहे आंदोलन का समर्थन कर रहे मुकेश कहते हैं, 'केजरीवाल सरकार आने के बाद लोगों में उम्मीद बंधी थी कि हमारे आंदोलन को सही दिशा मिलेगी, मगर केजरीवाल ने भी दांव सिर्फ सरकार बनाने के लिए चला था। उनके लिए भी हमारे आंदोलन की कोई कीमत नहीं है। सही कहें तो केजरीवाल हमें मोदी से किसी भी मामले में अलग नजर नहीं आ रहे। बल्कि इसके बाद तो अपने चुनाव पर भी शर्म आ रही है कि हमने कैसे आदमी को दोबारा सत्ता तक पहुंचा दिया। लोगों में केजरीवाल सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है।'

Next Story

विविध