ओवैसी से गठबंधन की खबर पर भड़कीं मायावती, जोरदार खंडन कर कहा अकेले लड़ेगी यूपी में BSP
दलित लीडरशिप को खत्म करने के आरोप लगते रहे हैं मायावती पर (file photo)
जनज्वार। कल 26 जून को मीडिया में एक खबर बड़ी तेजी से वायरल हो रही थी कि मायावती की पार्टी बसपा ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है, इसे लेकर तमाम राजनीतिक बहसबाजियों का दौर शुरू हो चुका था। मायावती के राजनीतिक चरित्र से लेकर ओवैसी के पक्ष-विपक्ष में तमाम खबरों से मीडिया पटा हुआ था, मगर आज बसपा सुप्रीमो ने ऐलान किया है कि मीडिया ने उनके बारे में गलत खबर प्रसारित की है, वह अगला चुनाव अकेले लड़ेंगी।
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए ट्वीट किया है कि बहुजन समाज पार्टी यूपी में अकेले चुनाव लड़ेगी। मायावती ने रविवार 27 जून की सुबह ट्वीट कर लिखा कि मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा आम चुनाव औवेसी की पार्टी AIMIM व बीएसपी मिलकर लड़ेगी। यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है। इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है तथा बीएसपी खण्डन करती है।'
2. वैसे इस सम्बन्ध में पार्टी द्वारा फिरसे यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाला विधानसभा का यह आमचुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबन्धन करके नहीं लड़ेगी अर्थात् अकेले ही लड़ेगी। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) June 27, 2021
जिस तरह से मायावती ने ओवैसी के साथ गठबंधन पर तल्ख तेवर अख्तियार किये हैं, उससे उन्होंने साफ कर दिया है कि दलित विरोधी मीडिया उनके खिलाफ दुष्प्रचार बंद करे।
मायावती ने एक के बाद एक 4 ट्वीट किये हैं। अपने अगले ट्वीट में वह लिखती हैं, वैसे इस सम्बन्ध में पार्टी द्वारा फिरसे यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में 2022 में विधानसभा का यह आमचुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबन्धन करके नहीं लड़ेगी, यानी अकेले ही लड़ेगी।
3. बीएसपी के बारे में इस किस्म की मनगढ़न्त व भ्रमित करने वाली खबरों को खास ध्यान में रखकर ही अब बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद श्री सतीश चन्द्र मिश्र को बीएसपी मीडिया सेल का राष्ट्रीय कोओर्डिनेटर बना दिया गया है। 3/4
— Mayawati (@Mayawati) June 27, 2021
मायावती कहती हैं बीएसपी के बारे में इस किस्म की मनगढ़ंत व भ्रमित करने वाली खबरों को खास ध्यान में रखकर ही अब बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्र को बीएसपी मीडिया सेल का राष्ट्रीय कोओर्डिनेटर बना दिया गया है। साथ ही मीडिया से भी यह अपील है कि वे बहुजन समाज पार्टी व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि के सम्बन्ध में इस किस्म की भ्रमित करने वाली अन्य कोई भी गलत खबर लिखने, दिखाने व छापने से पहले एससी मिश्र से उस सम्बंध में सही जानकारी जरूर प्राप्त कर लें।
4. साथ ही, मीडिया से भी यह अपील है कि वे बहुजन समाज पार्टी व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि के सम्बन्ध में इस किस्म की भ्रमित करने वाली अन्य कोई भी गलत खबर लिखने, दिखाने व छापने से पहले श्री एस.सी. मिश्र से उस सम्बंध में सही जानकारी जरूर प्राप्त कर लें। 4/4
— Mayawati (@Mayawati) June 27, 2021
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को दुरुस्त करने की कवायद तेज कर दी है। वह स्वयं प्रत्येक मंडल की समीक्षा कर रही हैं। मुख्य सेक्टर प्रभारियों को माह के अंत तक बूथ स्तर तक संगठन को दुरस्त करने को कहा है, जिससे अगले दो महीनों में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी जाएं। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर संगठन को बूथ स्तर तक गठन करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।
जनहित, जनसुरक्षा व जनकल्याण को संवैधानिक दायित्व स्वीकारते हुए हरियाणा सरकार को फरीदाबाद के खोरी गाँव में वर्षों से बसे लोगों को उजाड़ने से पहले उनके पुनर्वास की भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, बी.एस.पी. की यह सलाह व माँग।
— Mayawati (@Mayawati) June 23, 2021
चार बार UP की मुख्यमंत्री रहीं BSP प्रमुख मायावती के लिए 2022 का चुनाव बहुत खास माना जा रहा है। 2012 के चुनाव में सपा और 2017 में बीजेपी के सामने मायावती को करारी शिकस्त मिली थी। 2017 में पार्टी सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई और उसका मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी खत्म हो गया था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने अखिलेश यादव की सपा से गठबंधन करते हुए 10 सीटों पर जीत हासिल की, मगर चुनाव के बाद ये अलायंस टूट गया और दोनों पार्टियां एक बार फिर अलग-अलग राह पर हैं।
इससे पहले बहुजन समाज पार्टी ने पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन किया है और ऐसा करने का उद्देश्य निश्चित तौर पर दलित वोट बैंक है। पंजाब में 32 फीसदी से ज्यादा दलित आबादी है, ऐसे में बीएसपी ने सुखबीर सिंह बादल की पार्टी से अलायंस करते हुए बड़ा दांव खेला है। 2022 चुनावों में गठबंधन के तहत राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 20 पर बीएसपी लड़ेगी, जबकि बाकी 97 सीटें अकाली दल के हिस्से में आई हैं। पंजाब में 1996 के लोकसभा चुनाव में भी BSP ने अकाली दल से गठबंधन किया था, तब अलायंस ने राज्य की 13 में से 11 लोकसभा सीटें जीती थीं। बीएसपी जिन तीन सीटों पर लड़ी थी वो सभी उसने जीत ली थी। वहीं अकाली दल को 8 सीटें हासिल हुई थीं।