Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

DDCA में अरूण जेटली से महज इस बात के लिए भिड़ गये थे आज दीदी की TMC का दामन थामने वाले कीर्ती आजाद!

Janjwar Desk
23 Nov 2021 7:43 PM IST
dilli news
x

(टीएमसी में शामिल हुए पूर्व क्रिकेटर कीर्ती आजाद) 

कीर्ति आजाद ने दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था जब जेटली इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने वित्तीय घोटाले, सदस्यों को गलत तरीके से भुगतान और बिना टेंडर के गैरकानूनी खरीद-फरोख्त का दावा किया था...

Kirti Azad : साल 1983 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे कीर्ति आजाद ने एक बार फिर पार्टी चेंज कर ली है। उन्होंने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया है। लगभग 26 साल तक भाजपा में रहने के बाद कीर्ति आजाद 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस में लगातार साइडलाइन चल रहे कीर्ति आजाद अब टीएमसी के राष्ट्रीय विस्तार अभियान का हिस्सा बनाए जा सकते हैं।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी से की थी। वे दिल्ली में गोल मार्केट विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। दिल्ली में जब शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने 15 वर्षों तक एकछत्र राज किया तो कीर्ति ने बिहार को अपना नया राजनीतिक ठिकाना बना लिया। दरभंगा लोकसभा सीट से वे 1999, 2009 और 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने बीजेपी के बड़े नेता और उस समय राष्ट्रीय महासचिव रहे अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

DDCA की वित्तीय फ्रॉड में जेटली से पंगा

कीर्ति आजाद ने दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था जब जेटली इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने वित्तीय घोटाले, सदस्यों को गलत तरीके से भुगतान और बिना टेंडर के गैरकानूनी खरीद-फरोख्त का दावा किया था। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने आजाद के दावों की जांच के लिए सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिस (SFIO) की एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने आजाद के आरोपों में सच्चाई पाई और इशारा किया कि डीडीसीए में हिसाब-किताब रखने के मापदंडों का पालन नहीं किया गया है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने डीडीसीए और इसके तीन पदाधिकारियों जिनमें सुनील देव, एस पी बंसल और नरेंद्र बत्रा पर 4 लाख रुपये का जुर्माना लगाया लेकिन जेटली पर कोई आंच नहीं आई। हालांकि तभी साफ हो गया कि कीर्ति आजाद के लिए बीजेपी में बने रहना मुश्किल होगा।

ये था कांग्रेस छोड़ने का कारण

जेटली के खिलाफ लगातार बयानबाजी के चलते कीर्ति आजाद को 2015 में बीजेपी से निलंबित कर दिया गया। उनके पिता कांग्रेस में रहे थे, इसलिए कीर्ति ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें दरभंगा की बजाय धनबाद से टिकट दिया, लेकिन वे हार गए। इसके बाद उन्होंने फिर से दिल्ली का रुख किया। शीला दीक्षित की मौत के बाद वे दिल्ली में कांग्रेस में अपने लिए बड़ी संभावनाएं तलाश रहे थे। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई बार उनके नाम की चर्चा भी हुई, लेकिन कीर्ति के हाथ कुछ नहीं आया।

भाजपा में उपेक्षा का शिकार

आजाद कांग्रेस में अपनी लगाता उपेक्षा से आहत थे। बीजेपी में उनके वापसी संभव नहीं थी। पत्नी पूनम आजाद के जरिए वे आम आदमी पार्टी में अपने लिए पहले ही संभावनाएं तलाश चुके थे। ऐसे में उन्हें ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस में मौका दिख रहा है। ममता बनर्जी अपनी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की कोशिशों में लगी हैं और इसके लिए उन्हें अलग-अलग राज्यों में बड़े चेहरों की तलाश है। दूसरी ओर, कीर्ति आजाद भी अपने लिए ऐसा राजनीतिक ठिकाना ढूंढ रहे हैं जहां उनकी पूछ-परख हो। इस लिहाज से टीएमसी में जाना कीर्ति और ममता बनर्जी दोनों के लिए फायदे का सौदा है। अब देखना यह है कि नई पार्टी में उनकी भूमिका क्या होती है और उनका कार्यक्षेत्र कहां रहता है।

Next Story

विविध