मोरबी हादसे में हीरो बनकर उभरे कांति अमृतिया को दिया BJP ने टिकट, क्या जनता इतनी जल्दी भूल जायेगी भाजपा का गुनाह
मोरबी हादसे में हीरो बनकर उभरे कांति अमृतिया को दिया BJP ने टिकट, क्या जनता इतनी जल्दी भूल जायेगी भाजपा का गुनाह
Gujrat Election 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 पर मोरबी झूलता पुल दुर्घटना का असर साफ देखा जा रहा है। मोरबी से 5 बार विधायक रहे कांतिभाई अमृतिया (कान्हा भाई) को भाजपा ने इस बार अपना प्रत्याशी घोषित किया है, क्योंकि झूलता पुल दुर्घटना में कान्हा भाई ने लोगों की बहुत मदद की थी। गौर करने वाली बात यह है कि ये वही कान्हा भाई हैं, जिनका टिकट 2017 के चुनाव में पार्टी ने काट दिया था, मगर इस बार मौके को भुनाने के लिए भाजपा उन्हें कैश करना चाहती है।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, मोरबी पुल हादसे के बाद भाजपा से गुजराती जनता बहुत नाराज है, इसलिए पीड़ितों को हर तरह से मदद देने वाले अपने नेता कान्हा भाई को पार्टी ने टिकट दिया है, ताकि यहां से उसे सिम्पैथी वोट मिले। 2017 में यहां से भाजपा की हार हुई थी।
2017 के चुनाव में पाटीदार फैक्टर बहुत मायने रखता था, इसलिए मोरबी की सीट पर पाटीदारों का वर्चस्व होने से भाजपा की हार हुई थी। उसके बाद ब्रजेश मेरजा जोकि कांग्रेस से जीते थे, उन्होंने इस्तीफा दिया और उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से लड़े और जीते भी। पारंपरिक तौर पर वह सीट बीजेपी की ही मानी जाती है, लेकिन 2017 में मामूली बढ़त से बृजेश मेरजा वहां जीते थे।
ब्रजेश मेरजा के टिकट कटने के और भी कई कारण बताए जाते हैं, जिसमें खासकर एक दरगाह के लिए जमीन आवंटन करने की सिफारिश को भी माना जा रहा है, जिसका RSS ने बहुत विरोध किया था।
हालांकि ब्रजेश मेरजा सामान्य लोगों के बीच कांति अमृतिया जितने प्रभावशाली नहीं है। कांति अमृतिया को टिकट देकर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं, जिससे कि परफॉर्मेंस न देने वाले ब्रजेश मेरजा का टिकट काटा गया और झूलता पुल की दुर्घटना की सिम्पैथी कांति भाई के साथ है, वह सारी बीजेपी के साथ जोड़ी जा सके और उसे भुनाया जा सके।
हालांकि मोरबी विधानसभा की जनता शुरू से कांतिभाई अमृतिया से खुश रही है, इसलिए वे यहां से 5 बार विधायक रह चुके हैं और इस बार भी उन्होंने मोरबी पीड़ितों के बीच जिस तरह से काम किया है, उससे उनकी जीत निश्चित मानी जा रही है। जहां तक ब्रजेश मेरजा का सवाल है, तो कांग्रेस से उन्हें अलग कर भाजपा ने अपना काम कर दिया है और यह कार्यकाल भी खत्म हो चुका है। चूंकि इस सीट से कांतिभाई की जीत लगभग निश्चित है तो अब अगर ब्रजेश मेरजा घरवापसी यानी कांग्रेस में दोबारा चले भी जाते हैं तो भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इस तरह से भाजपा ने सांप भी मार लिया और लाठी भी सुरक्षित बचा ली।
मोरबी शहर की बात करें तो यह 40% दक्षिणी शहर टंकारा विधानसभा में आता है। वहां पर ललित कगथरा भारी बहुमत से जीतते रहे हैं। उस सीट को जीतना बीजेपी के लिए मुश्किल है, इसलिए मोरबी माड़िया विधानसभा को बीजेपी किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहती। दूसरी तरफ ब्रजेश मेरजा का कार्यकाल थोड़ा विवादों में घिरा रह चुका है, इसलिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कांतिभाई अमृतिया को टिकट देकर एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया है।
जनज्वार से हुई बातचीत में मोरबी की जनता कहती है, कांति अमृतिया मोरबी के स्थानीय लोगों में अच्छी छवि रखते हैं और मोरबी पुल दुर्घटना के समय वह लोगों के बीच थे और अच्छा काम भी किया था। दूसरी तरफ ब्रजेश मेरजा को मोरबी की दुर्घटना के बाद जनता एक अभिमानी नेता के तौर पर देख रही है।
जनज्वार संवाददाता से कई लोगों ने बातचीत में कहा कि कांति अमृतिया जोकि 5 बार विधायक रह चुके हैं, वह लोगों के अपने विधायक हैं। हालांकि वह छठी बार मोरबी से हारे थे, उसका मुख्य कारण पाटीदार फैक्टर था और यहां से जीतने के लिए पूरे के पूरे मंत्रिमंडल को ब्रजेश मेरजा की मदद में उतार दिया गया था, जिस कारण कांतिभाई अमृतिया की हार हुई थी।
जनता आरोप लगाती है कि ब्रजेश मेरजा ने मोरबी दुर्घटना के समय लोगों से संवाद तक नहीं किया था। लोग इस बात से बहुत नाराज हैं कि उनका विधायक उन तक नहीं पहुंचा, पहुंचना तो दूर हालचाल तक लेना मुनासिब नहीं समझा। बाद में ब्रजेश मेरजा सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए ही लोगों से मिले थे, जबकि कांति अमृतिया लोगों के बीच रहकर बचाव कार्य में भी बने थे। शायद इसी का पारितोषिक कांति अमृता को बीजेपी टिकट दे कर दिया गया है।
गौरतलब है कि 29 अक्टूबर की शाम को मोरबी में मच्छु नदी पर बना पुल भारी वजन के कारण टूट गया था। इसके चलते काफी संख्या में लोग नदी में गिर गए थे। उस हादसे में लगभग 150 लोगों की मौत हुई और 177 लोगों को बचा लिया गया था। हादसे के दौरान कांतिलाल रबर की ट्यूब पहन कर नदी में कूद गए और कई लोगों की जान भी बचाई थी।