देश में अस्पताल-इलाज का भारी संकट, लेकिन राज्यसभा के लिए विधायकों की खरीद-बिक्री का बाजार गर्म
जनज्वार। देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा है, मरीज अस्पताल के अभाव में दम तोड़ रहे हैं, अस्पतालों, ट्रेनों में सड़ती लाशें मीडिया की सुर्खियां बन चुकी हैं, मगर इन सबके बीच हमारे देश में राजनीति चालू है। चुनाव के लिए राजनीतिक दल किसी भी हद तक जा रहे हैं।
पिछली बार मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा विधायकों को खरीदकर सरकार बनाने के कांड से सबक लेते हुए कांग्रेस इस बार राजस्थान में अपने विधायकों को बचाती नजर आ रही है।
आगामी 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में कांग्रेस पार्टी चौकस नजर आ रही है। पार्टी ने अपने विधायकों को टूटने से बचने के लिए अपने और निर्दलीय विधायकों को एक रिसॉर्ट में भेज दिया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार सुबह पार्टी के सभी विधायकों के साथ अपने आवास पर एक बैठक की, वहीं शाम को कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने पुलिस महानिदेशक, एसीबी से एक आधिकारिक शिकायत की और उन भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, जो धनबल के जरिए निर्दलीय विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
देश में यह हालत तब हैं जबकि कोरोना मरीजों के लिए पर्याप्त तो छोड़िये बहुत गंभीर मरीजों को तक इलाज नहीं मिल पा रहा है। राजधानी दिल्ली तक में अस्पतालों में जगह नहीं है और निजी अस्पतालों ने तो इसे धंधा ही बना लिया है। एक एक कोरोना रोगी से 10 लाख तक का बिल वसूला जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी कह चुके हैं कि जून अंत तक सिर्फ राजधानी में मरीजों के लिए डेढ़ लाख बेड्स की जरूरत होगी। यानी राष्ट्रीय स्तर पर जाहिर तौर पर यह संख्या कई गुना ज्यादा होगी। मगर बजाय कोरोना की महामारी से निपटने के हमारे राजनेता और सत्तासीन पार्टियां एक अलग ही गणित भिड़ा रही हैं और वो है सत्ता का गणित।
दिल्ली के कोविड स्पेशल 'एलएनजेपी' अस्पताल में तो शवों की अदला-बदली तक हो गई। वहीं निजी अस्पतालों पर कोरोना बेड की ब्लैक मार्केटिंग के आरोप लगे हैं। लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में कोरोना संक्रमित बुजुर्ग मरीज के लापता होने का मामला सामने आया है। वहीं मोदी के पूर्व केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के अस्पताल कैलाश से जुड़ा एक ऐसा मामला आया, जिसने बताया कि आपदा को किस तरह अवसर बनाया जा रहा है। कैलाश अस्पताल में 20 ऐसे मरीज भर्ती किये गये थे, जिनकी क्रॉस चैक के दौरान रिपोर्ट नेगेटिव आयी।
भाजपा की विधायक खरीदो नीति को भांपते हुए और मध्य प्रदेश कांड से सबक लेते हुए कांग्रेस के मुख्य सचेतक जोशी ने डीजी, एसीबी को संबोधित अपने पत्र में कहा है, "हमें अपने विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक की तर्ज पर भाजपा कांग्रेस के विधायकों के साथ ही हमारी सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को लालच देकर राजस्थान में सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।"
पत्र में कहा गया है, "यह कोशिश न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि जन आकांक्षाओं के भी खिलाफ है। यह अवैध, अनैतिक, निंदनीय है और कानूनी कार्रवाई की मांग करता है। जो लोग इस तरह के घृणित अपराध में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।"
राजस्थान में 19 जून को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान होगा, जहां कांग्रेस ने दो उम्मीदवार खड़े किए हैं -के.सी. वेणुगोपाल और नीरज डांगी। जबकि भाजपा ने भी दो उम्मीदवार -राजेंद्र गहलोत और ओमकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला स्थिति का जायजा लेने और कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने बुधवार 10 जून को जयपुर पहुंचे।
सुरजेवाला उस रिसॉर्ट में पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के और निर्दलीय 90 विधायकों के साथ मौजूद हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने आईएएनएस से पुष्टि की कि जल्द ही और भी विधायक रिसॉर्ट में मुख्यमंत्री के पास पहुंचेंगे।
इस बीच यह सूचना आई कि राज्य मंत्री विश्वेंद्र सिंह रिसॉर्ट नहीं पहुंचे हैं, जिनकी गहलोत खेमे से नहीं बनती है। सिंह को सचिन पायलट के खेमे का माना जाता है।
कुछ विधायकों की प्रारंभिक बैठक मुख्यमंत्री के आवास पर हुई थी, लेकिन उसके बाद सभी वरिष्ठ नेता आगे की रणनीति बनाने रिसॉर्ट चले गए।
इस बीच, भाजपा के राज्य अध्यक्ष सतीश पुनिया ने आईएएनएस को बताया, "यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा फैलाया गया प्रोपगंडा मात्र है। मैं उन्हें खुली चुनौती देता हूं कि वे अपने आरोपों के पक्ष में सबूत के साथ सामने आएं।"
उन्होंने आगे कहा, "वास्तव में कांग्रेस को अपने घर को ठीक करने की जरूरत है। पार्टी में कई मंत्री और विधायक हैं, जिन्हें महीनों से नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार एक कंफोर्ट जोन में है और एक टीम के रूप में काम नहीं कर रही है। अब हमने अपना दूसरा उम्मीदवार उतार दिया है तो पूरी पार्टी तनाव में आ गई है और अपने सभी विधायकों से संपर्क करने लगी है।"
पुनिया ने हालांकि कहा, "निर्दलीय विधायकों या एक क्षेत्रीय पार्टी के विधायक को खुला निमंत्रण है कि जो कांग्रेस सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं, वे हमारे साथ आ सकते हैं। इसमें कोई नुकसान नहीं है।"
इस बीच एक निर्दलीय विधायक महादेव खंडेला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें भाजपा की तरफ से कोई फोन या प्रस्ताव नहीं मिला है। उन्होंने कहा, "मैं कांग्रेस के प्रति बचनबद्ध हूं।"
इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीपीएम और भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक अभी तक रिसॉर्ट नहीं पहुंचे हैं।
कांग्रेस के पास अपने 107 विधायक हैं और उसे आरएलडी के एक विधायक, और निर्दलीय 13 विधायकों, बीटीपी और माकपा के विधायकों का समर्थन प्राप्त है। जबकि भाजपा के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन प्राप्त है।