Jammu-Kashmir : महबूबा मुफ्ती की सोनिया गांधी से मुलाकात भाजपा को घेरने की कवायद तो नहीं!
Jammu-Kashmir : बहुत जल्द जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट आने वाली है। अगर ऐसा हुआ तो इस साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर ( Jammu-kashmir ) में चुनाव हो सकता है। इस बात के संकेत संसदीय सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) ने भी दिए थे। इस बीच 18 अप्रैल को जेके की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ( Mehbooba Mufti ) और सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) की मुलाकात ने नई सियासी चर्चा को जन्म दे दिया है। मुलाकात के बाद सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस ( Congress ) क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस ( National Coference ) का साथ छोड़कर पीडीपी के साथ हाथ मिलाएगी या फिर दोनों ही दलों को साधकर रखेगी? ऐसा होने पर क्या गुपकार गठबंधन महत्वहीन हो जाएगा।
फिलहाल दोनों पार्टी की ओर से इस मुलाकात को एक निजी और शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा, लेकिन जिस तरह से 10 जनपथ पर दोनों नेताओं ने जम्मू कश्मीर और देश के सियासी हालात पर चर्चा काफी देर तक की है उससे साफ है कि आने वाले दिनों में पीडीपी ( PDP ) और कांग्रेस एक दूसरे के करीब आ सकते हैं। दोनों में सबसे बड़ी समानता यह है कि दोनों ही सियासी दल मौजूदा समय में हाशिए पर खड़े दिख रहे हैं।
दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान बैठक में प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला, केसी वेणुगोपाल और अंबिका सोनी भी मौजूद थीं। इसके अलावा, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की है। पिछले 3 दिनों में पीके की सोनिया गांधी के साथ 10 जनपथ पर यह उनकी दूसरी मुलाकात है। इसीलिए सियासी हल्कों में सोनिया-महबूबा की बैठक को कोई भी हल्के में नहीं ले रहा है बल्कि जम्मू कश्मीर में एक नए सियासी मोर्चे और गठजोड़ की कवायद के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
रिपोर्ट आने के बाद किसी भी समय चुनाव संभव
देश की राजधानी दिल्ली में सोनिया-महबूबा के बीच बैठक उस समय हुई है जब जम्मू कश्मीर में जारी परिसीमन का काम अंतिम चरण में है। अब परिसीमन आयोग के रिपोर्ट का इंतजार है। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र की मोदी सरकार की मंजूरी मिलने के बाद किसी भी समय जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के ऐलान हो सकते हैं।
ये है पीडीपी और कांग्रेस का पुराना कनेक्शन
बता दें कि महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने पीडीपी के गठन से पहले दो बार जम्मू कश्मीर में प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली थी। 1996 में जब जम्मू कश्मीर में 7 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए थे तो उस समय कांग्रेस के टिकटों का फैसला मुफ्ती सईद ने ही किया था। महबूबा ने बिजबिहाड़ा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर ही पहली बार जम्मू कश्मीर विधानसभा में प्रवेश किया था। कुछ नीतिगत मुद्दों पर मतभेदों के चलते मुफ्ती सईद ने 1999 में पीडीपी का गठन किया था। 2002 में पीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाई थी, जो 2008 में श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के चलते टूट गई थी। तब से कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ आए तो पीडीपी ने अपनी अलग राह चुन ली। इसके बावजूद सोनिया गांधी और महबूबा मुफ्ती के बीच मुलाकात समय-समय पर होती रही हैं।
कांग्रेस को है घाटी में मजबूत सहयोगी की तलाश
यही वजह है कि सोनिया और महबूबा की मुलाकात को घाटी में भाजपा को घेरने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस केंद्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक में सियासी गठजोड़ के लिए पुराने और नए सहयोगी दलों के तालाश में है। जम्मू कश्मीर में 2014 से पहले कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर सरकार चलाया है तो उसके बाद बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी।
भाजपा की स्थिति पहले से बेहतर
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से वहां का सियासी समीकरण बिखर गए हैं। ऐसे में चुनावी संभावनाओं को देखते हुए नए सिरे से गठजोड़ को लेकर सियासी दलों के बीच कवायद तेज है। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में भाजपा की स्थिति पहले की तुलना में मजबूत है। खासकर जम्मू रीजन में। जिला पंचायत चुनाव में जम्मू-कश्मीर की सभी पार्टियां मिलकर भी उसे जम्मू क्षेत्र में चुनौती नहीं दे सकीं।